कोरोना से मां का हुआ निधन, चिता को मुखाग्नि देकर फिर ड्यूटी पर लौट आया एम्बुलेंस चालक
प्रभात पिछले कोरोना काल से अब तक अपने पिता और भाई की मौत को भी देख चुके थे और जब कोरोना काल की त्राहिमाम वाली दूसरी लहर में जब वह अपने फर्ज को अदा कर कोविड मरीजो की सेवा में जुटे हुए थे, तभी उनकी मां के देहांत की खबर प्रशांत को मिली....
जनज्वार डेस्क। कोरोना महामारी के बीच कई लोग इंसानियत की मिसाल कायम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मथुरा के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एक ऐंबुलेंस ड्राइवर प्रभात यादव भी इसी कड़ी में शामिल हो हैं। दरअसल कोरोना से माँ के निधन के बाद भी वह लगातार अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। प्रभात अपनी माँ के अंतिम संस्कार में भी कुछ समय के लिए ही शामिल हुए थे। काम के प्रति उनके समर्पण की अब खूब तारीफ हो रही है।
जानकारी के मुताबिक 108 एम्बुलेंस सेवा में चालक के पद पर कार्यरत प्रभात यादव मूल रूप से मैनपुरी के गांव बरनाहल के रहने वाले हैं। साल 2012 से मथुरा में ही रहकर ऐंबुलेंस चलाकर लोगों को जीवन देने का प्रयास कर रहे हैं। प्रभात ने पिछले कोरोना काल में भी लोगों की जी जान से सेवा की और इस कोरोना काल मे भी वह लोगों की सेवा में जुटे हुए थे।
प्रभात पिछले कोरोना काल से अब तक अपने पिता और भाई की मौत को भी देख चुके थे और जब कोरोना काल की त्राहिमाम वाली दूसरी लहर में जब वह अपने फर्ज को अदा कर कोविड मरीजो की सेवा में जुटे हुए थे, तभी उनकी मां के देहांत की खबर प्रशांत को मिली। मां की मौत की खबर सुन प्रभात एक बार तो टूट गए लेकिन फर्ज के जज्बे ने उन्हें हिम्मत दी। उन्होंने लोगों की सेवा के लिए अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल न होने का फैसला लिया।
प्रभात के फैसले को सुन उनके प्रोग्राम मैंनेजर अजय सिंह ने उन्हें समझाया और अपनी गाड़ी से प्रभात को उनके घर छोड़ने गए। मां की अंतिम यात्रा में पहुंचे प्रभात ने सबसे छोटे होने के कारण मां का दाह-संस्कार किया और कुछ देर रुकने के बाद ही अपने प्रोग्राम मैंनेजर अजय सिंह से वापस चलने के लिए कहा। प्रभात की बात सुन प्रोग्राम मैंनेजर अजय असहज हो गए और उन्होंने गांव में ही रुकने के लिए कहा लेकिन प्रभात ने किसी की बात न सुनते हुए उस बात को ध्यान में रखा जब लोग ऑक्सिजन, ऐंबुलेंस के लिए दर-दर भटक रहे थे।
अपने काम के प्रति कर्तव्यनिष्ठ होने के कारण प्रभात अपने प्रोग्राम मैनेजर अजय सिंह के साथ उसी रात वापस चल दिए। मथुरा आकर उन्होंने सरकारी ऐंबुलेंस की स्टेरिंग को थाम ली। अपनी मां की चिता की राख को ठंडी होने से पहले और दाग देने के बाद भी अपने फर्ज को निभाने के लिए प्रभात जब लौटकर आए और अधिकारियों को इस बात की जानकारी हुई तो वह भी हैरान रह गए। अब उनकी सोच और अपने फर्ज के लिए समर्पण की तारीफ अधिकारी करते नहीं थक रहे हैं। प्रभात यादव के कार्य के प्रति समर्पण की भावना की तारीफ करते हुए कोविड-19 के नोडल प्रभारी डॉक्टर भूदेव सिंह ने जानकारी दी।