टीकाकरण की रही यही रफ्तार तो 140 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने में लग जायेंगे 10 साल
मोदी सरकार के कई मंत्री लगातार दावा कर रहे हैं कि पूरे देश में दिसंबर 2021 तक पूरा वैक्सीनेशन हो जायेगा, लेकिन अभी की रफ्तार से ऐसा लगता नहीं...
मनोज ठाकुर की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। आम आदमी को इतने बड़े बड़े दावों में इतना उलझा दो कि वह अपनी समस्या ही भूल जाए। कोविड से निपटने में मोदी सरकार कुछ ऐसा ही करती नजर आ रही है। अब केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के बयान को ही देखिए। उन्होंने दावा ठोका कि दिसंबर तक 108 करोड़ लोगों के लिए 216 करोड़ टीके की व्यवस्था होगी। इतने पर भी मंत्री नहीं थमे, दावा यह भी किया कि दिसंबर से पहले ही वैक्सीनेशन अभियान पूरा कर लिया जाएगा।
प्रकाश जावड़ेकर की दावे की मानें तो दिसंबर तक देश के 108 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने को लेकर पूरा खाका हेल्थ मिनिस्ट्री तैयार कर चुकी है, दिसंबर तक 200 मिलियन डोज लगाने का पूरा खाका बना हुआ है। कुल 216 करोड़ डोज होती हैं। 2021 के पहले पूरा करने का खाका खींचा जा चुका है।
कांग्रेस पर हमलावर होते हुए जावड़ेकर ने कहा, कांग्रेस कोवैक्सीन पर सवाल उठा रही थी, उसके बारे में संशय पैदा कर रही थी, इनके एक साथी इसे मोदी वैक्सीन बता रहे थे। पीएम मोदी ने खुद कोवैक्सीन इंजेक्शन लगवा कर शुरुआत की। सबसे तेज और सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन करने वाला भारत दूसरा देश है। अगस्त से और ज्यादा बढ़ोतरी होगी। राहुल जी आज तक जो 20 करोड़ वैक्सीन दिए गए हैं, वो केंद्र सरकार ने दिए हैं और मुफ्त दिए हैं, तो वैक्सीनेशन हो रहा है और दिसंबर तक 216 करोड़ खुराक लग जाएंगी।'
अब केंद्रीय मंत्री के इन दावों के विपरीत जमीनी हकीकत बिलकुल अलग है। जिस अभियान को केंद्रीय मंत्री दिसंबर तक पूरा करने का दावा कर रहे हैं, इसकी स्थिति यह है कि 18 मार्च तक 3.06 करोड़ लोगों को दवा का पहला डोज दिया गया। भारत की कुल आबादी 135.5 करोड़ है। यानी कुल आबादी के 2.3 प्रतिशत लोगों को पहला डोज लगा है। दोनो डोज लगने का आंकड़ा मात्र 0.5 प्रतिशत है, अब यदि इसी रफ्तार से टीकाकरण चलता रहा तो 70 प्रतिशत आबादी को वैक्सीनेशन करने में 10.8 साल लग जाएंगे।
मोदी सरकार महामारी को लेकर कितनी लापरवाह है, इसका अंदाजा इस बात से लग सकता है कि सरकार ने 28 मई तक सीरम इंस्टीट्यूट से कोविशील्ड की लगभग 21 करोड़ खुराक और भारत बायोटेक से कोवैक्सीन की 7.5 करोड़ खुराक की खरीद की है, जबकि भारत को एक अरब, 40 करोड़ लोगों के लिए दोनों डोज की 2 अरब से ज्यादा डोज चाहिए। यह तथ्य एक आरटीआई से उजागर हुआ है।
यह आरटीआई नागपुर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता मोहनीश जबलपुर ने दायर की थी। सरकार ने वैक्सीनेशन के लिए बजट निर्धारित किया था 35 हज़ार करोड़। अभी इसमें से पांच हजार करोड़ भी खर्च नहीं हुए। यानी तीस हज़ार करोड़, जो कि हमारा आपका पैसा है, खजाने में पड़ा है, जिसे खर्च कर लोगों को टीकाकरण समय पर किया जाना चाहिए था ताकि लोगों की जान बचाई जा सके। लेकिन सरकार ने इस पैसे तो खर्च तक नहीं किया।
अब केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर दावा कर रहे हैं कि दिसंबर तक टीकाकरण का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा। यह होगा कैसे? क्या रातोंरात अचानक से टीकों का उत्पादन बढ़ जाएगा। नीति आयोग ने भी सरकार के कदम से कदम से मिलाते हुए दावा किया कि दिसंबर तक वैक्सीन के 2.1 अरब डोज तैयार हो जाएंगे। इन दावों को देख सुनकर तो यहीं लगता है कि सारी आबादी को टीका लग जाएगा।
लेकिन जमीनी हकीकत अलग है। सरकार का दावा है कि सीरम इंस्टीट्यूट हर माह 15 करोड़ डोज तैयार करेगा, लेकिन कंपनी दस करोड़ डोज हर माह बनाने की बात कर रही है। कोवैक्सीन को लेकर भी सरकार का दावा है कि हर माह 11 करोड़ डोज उपलब्ध होगी, लेकिन कंपनी का कहना है कि वह 7.8 करोड़ डोज ही उपलब्ध करा पाएगी। इसके बाद रूसी वैक्सीन स्पुतनिक को लेकर खासी उम्मीद जताई जा रही है।
सरकारी दावे में कहा कि जुलाई से दिसंबर तक 15.6 करोड़ डोज उपलब्ध होगी, लेकिन सच यह है कि डॉक्टर रेडी और अन्य उत्पादक कंपनी ऐसा दावा नहीं कर रहे हैं। अमेरिकन वैक्सीन कोवैक्स पर उम्मीद जतायी जा रही है। दावा है कि दिसंबर तक 20 करोड़ डोज उपलब्ध होगी, मगर अभी वैक्सीन के ट्रायल्स ही पूरे नहीं हुए। सितंबर से पहले इसके भारत में आने की उम्मीद नहीं है।
विशेषज्ञों का कहना है एक ओर तो टीके पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है, दूसरी ओर लोगों को इंजेक्शन देने की बजाय इन्हें खराब किया जा रहा है।
11 अप्रैल तक देश में वैक्सीन की 23 प्रतिशत डोज खराब कर दी गई। एक आरटीआई के अनुसार तमिलनाडु में 12.10 प्रतिशत हरियाणा में 9.74 प्रतिशत पंजाब में 8.12 मणिपुर में 7.8 तेलंगाना में 7.55 प्रतिशत डोज खराब कर दी। जानकारी के अनुसार 11 अप्रैल तक 10.34 करोड़ डोज में से 44.78 लाख टीके बर्बाद हो गए। जानकारों का कहना है कि एक ओर तो टीके पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं, दूसरी ओर बर्बाद किए जा रहे हैं। यह बर्बादी भी टीकाकरण अभियान में बड़ा रोड़ा है।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि टीकाकरण की रफ्तार कम से कम दस गुना बढ़ानी होगी। दिक्कत यह है कि रफ्तार तब बढ़ेगी जब टीके उपलब्ध होंगे, क्योंकि सरकार ने टीके की उपलब्धता के लिए कोई कदम नहीं उठाया। अब अचानक से कैसे इतनी तेजी से टीकाकरण हो जाएगा, इसका जवाब सरकार के पास भी नहीं है।
टीकाकरण की हकीकत यह है कि कई राज्यों के पास टीके का स्टॉक खत्म हो चुका है। केंद्र सरकार कह रही है कि राज्य सरकार खुद ही टीके खरीदे। लेकिन इसमें भी कई तरह की अड़चन आ रही है। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह कहते हैं, टीके उपलब्ध कराने की बजाय केंद्र सरकार राजनीति कर रही है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने जनज्वार से हुई बातचीत में कहा, यह सरकार दिखावा कर रही है। लोगों को मारने के लिए छोड़ दिया गया है। मंत्रियों का एक ही काम है, बस प्रधानमंत्री की छवि चमकती रहे। इसके लिए चाहे देश में कितनी भी जान चली जाए।
उन्होंने बताया कि सरकार ने कोविड की दूसरी लहर से निपटने की तैयारी तक नहीं की। पर्याप्त मात्रा में टीके तक उपलब्ध नहीं कराए गए। अब जब सरकार की हकीकत जनता के सामने आई तो मंत्री अनाप शनाप दावे कर रहे हैं।
रणदीप सिंह सुरजेवाला आगे कहते हैं, 'सरकार के मंत्री यह नहीं बताते कि कोविड से निपटने के लिए कर क्या रहे हैं, वह बस यह बताते हैं कि ऐसा करेंगे, वैसा करेगा। इससे साफ है कि इस सरकार के पास महामारी से निपटने की कोई रणनीति नहीं थी। देश में जितनी भी कोविड से मौत हुई है, इसके लिए सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है, लेकिन सरकार अपनी जिम्मेदारी से भागना चाह रही है। जब कंपनियां खुद बयान दे रही हैं कि कितना टीका तैयार कर सकती हैं, फिर मंत्री किस आधार पर यह बयान दे रहे हैं कि दिसंबर तक टीकाकरण अभियान पूरा कर लिया जाएगा। यह सिर्फ झूठ है। इससे ज्यादा कुछ नहीं।'
हकीकत यह है कि जनता कोविड से मर रही है। लोग मौत का तांडव देखने के लिए मजबूर हो रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार मस्त है। उन्हें लोगों की जान की परवाह नहीं है। बस एक ही चिंता है, मौत के इस तांडव में भी प्रधानमंत्री की छवि चमकती रहे।