Covid 19 Death: सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को लगाई फटकार, Covid मृतकों को मदद न देने पर पूछा यह सवाल

यूपी सरकार को इसे लेकर प्रत्येक जिले के सभी स्थानीय अखबारों में विज्ञापन देना चाहिए। कोविड-19 से हुई मौतों के लिए विकसित एक पोर्टल के बारे में प्रचार नहीं करने को लेकर पिछली सुनवाई में भी कोर्ट ने राज्यों को फटकार लगाई थी...

Update: 2021-12-16 06:43 GMT

(योगी आदित्यनाथ को मिली सुप्रीम फटकार)

Lucknow News: कोरोना महामारी के दौरान अपने परिजनों को खोने वाले आश्रितों को मुआवजा राशि के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यूपी सरकार की तरफ से भी ऑनलाइन (Online) आवेदन करने के लिए कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कोविड से हुई मौतों के लिए मुआवजा राशि के वितरण को लेकर यूपी सरकार (UP Government) को कड़ी फटकार लगाई है।

कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, यूपी सरकार को इसे लेकर प्रत्येक जिले के सभी स्थानीय अखबारों में विज्ञापन देना चाहिए। कोविड-19 से हुई मौतों के लिए विकसित एक पोर्टल के बारे में प्रचार नहीं करने को लेकर पिछली सुनवाई में भी कोर्ट ने राज्यों को फटकार लगाई थी।

पोर्टल के प्रचार पर नाराजगी जाहिर करते हुए जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की बेंच ने कहा कि पीड़ितों को उस पोर्टल के बारे में जानकारी दी जाए ताकि वे मुआवजा प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकें.

अन्य राज्यों की तरह क्यों नहीं देते विज्ञापन- कोर्ट

दरअसल, अन्य राज्यों में मुआवजा राशि देने के लिए मृतकों के परिजनों को लगातार जानकारी दी जा रही है। इसी को लेकर बेंच ने यूपी की योगी सरकार से कहा, 'आप अन्य राज्यों की तरह विज्ञापन क्यों नहीं देते, जिसमें बताया गया हो कि यह पोर्टल है, यह शिकायत निवारण समिति है और आप संपर्क कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि, आप आगे से प्रत्येक जिले के स्थानीय अखबारों में विज्ञापन देंगे, जिसमें पोर्टल और शिकायत निवारण समिति संबंधी पूरी जानकारी होगी।

आदेश पारित करेगी अदालत

मामले में यूपी सरकार की ओर से पेश वकील अरधंदुमौली कुमार प्रसाद ने बेंच से कहा कि कुल 25,933 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 20,060 को भुगतान किया गया है। पीठ ने प्रसाद से स्थानीय अखबारों में दिए गए विज्ञापन के बारे में पूछा और कहा कि प्रसाद ने अवगत कराया है कि विज्ञापन दिए गए, जिनमें एक फोन नंबर दिया गया कि ये तहसीलदार का नंबर है।

जिसपर पीठ ने कहा, 'कौन टोल फ्री नंबर को उठाता है। हम आपसे कहते हैं कि अभी कॉल करिए और देखिए, आप अभी फोन करिए। तहसीलदार को फोन करिए', इसके बाद अदालत ने कहा कि वे एक आदेश पारित करेंगे। 

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