सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर लगाई रोक जिसमें बताई गई समूची स्वास्थ्य प्रणाली 'राम भरोसे'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को ऐसे निर्देश जारी करने से बचना चाहिए जिन्हें क्रियान्वित नहीं किया जा सकता।
जनज्वार डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाई है जिसमें कहा गया था कि कोरोना महामारी के बीच उत्तर प्रदेश के गांवों और छोटे शहरों में पूरी स्वास्थ्या प्रणाली 'राम भरोसे' है।
जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस बी आर गवई की अवकाशकालीन पीठ ने अपने फैसले में कहा कि हाईकोर्ट के 17 मई के निर्देशों को निर्देशों के रूप में नहीं माना जाएगा और इन्हें उत्तर प्रदेश सरकार को सलाह के रूप में माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को ऐसे निर्देश जारी करने से बचना चाहिए जिन्हें क्रियान्वित नहीं किया जा सकता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के एक अस्पताल में पृथक-वार्ड में भर्ती 64 वर्षीय संतोष कुमार की मौत पर संज्ञान लेते हुए राज्य में कोरोना वायरस के प्रसार और पृथक-वास केंद्रों की स्थिति को लेकर दायर जनहित याचिका पर 17 मई को कुछ निर्देश जारी किए थे।
जांच रिपोर्ट के अनुसार संबंधित अस्पताल के डॉक्टर संतोष की पहचान करने में विफल रहे थे और उसके शव को अज्ञात के रूप में निपटा दिया था। संतोष अस्पताल के बाथरूम में 22 अप्रैल को बेहोश हो गया था। उसे बचाने के प्रयास किए गए लेकिन उसकी मौत हो गई थी। अस्पताल के कर्मचारी उसकी पहचान नहीं कर पाए थे और उसकी फाइल खोजने में भी विफल रहे। इस तरह, इसे अज्ञात शव का मामला बताया गया था।