दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर 60 फीसदी बच्चों को ले सकती है चपेट में, सर्वे में हुआ खुलासा

डॉक्टरों का कहना है कि जो बच्चे कोविड पॉजिटिव होते हैं उनमें से 90 से 95 फीसदी बच्चों में रोग के बहुत सामान्य लक्षण पाये जाते हैं, इसलिए यह बात सुकून देने वाली कही जा सकती है कि बच्चों के लिए रेमेडिसिर या अन्य गंभीर दवाइयों की जरूरत बहुत कम पड़ती है....

Update: 2021-05-21 03:00 GMT

कोरोना की तीसरी लहर बतायी जा रही है बच्चों के लिए बहुत खतरनाक

जनज्वार। कोरोना की भयावहता कम होने का नाम नहीं ले रही है, बल्कि और जयादा बढ़ ही रही है। सरकारें दावा कर रही हैं कि पॉजिटिव केस कम हो गये हैं, मगर मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। हर दिन मौतें नया रिकॉर्ड कायम कर रही हैं। अब ऐसे भयावह माहौल में एक और खबर डराती है। दिल्ली में सीवो सर्वे ने दावा किया है कि कोरोना की तीसरी लहर की चपेट में 60 फीसदी बच्चे आ सकते हैं। पहले से ही कोरोना की मार झेल रहे लोग इस आशंका से बहुत ज्यादा डर चुके हैं, अब अपने बच्चों के लिए डर सताने लगा हैं।

द‍िल्‍ली में किये सीवो सर्वे की पांचवीं र‍िपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना की तीसरी लहर में राजधानी दिल्ली में 60% से अधिक बच्चे कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। जानकारी के मुताबिक सीरो के तीसरे सर्वे के बाद दिल्ली में जवानों से ज्यादा मात्रा में बच्चों के अंदर एंटीबॉडी पाई गई थी। सर्वे में कहा गया है कि बच्चों में ज्यादा एंटीबॉडी होने का मतलब यह भी है किवह संक्रमित हो चुके हैं, हो सकता है ज्यादातर केसों में यह संक्रमण बहुत मामूली रहा हो।

शायद सीरो के तीसरे सर्वे के बाद अधिकांश मां-बाप ने राहत ली होगी कि कम से कम बच्चे तो इस महामारी से सुरक्षित हैं, मगर अपने पांचवे सर्वे में बच्चों में 60 फीसदी संक्रमण फैलने की आशंका से और ज्यादा डर फैल रहा है। जानकारी के मुताबिक जनवरी में दिल्ली के अंदर पांचवें दौर की सीरो सर्वे के सैंपल लिए गए थे, जिनका सैंपल साइज 28000 से ज्यादा था। उस सर्वे में दिल्ली की कुल जनसंख्या में आनुपातिक रूप से 56% से अधिक लोगों में एंटीबॉडी यानी संक्रमण पाया गया था‌। इस सर्वे के हिसाब से देखें तो भारत में तांडव फैलाने वाली दूसरी लहर की शुरुआत से पहले ही दिल्ली में 60% से अधिक बच्चे कोविड के शिकार हो चुके हैं।

इससे पहले सीरो ने अपनी चौथी सर्वे रिपोर्ट जिसे 15-21 अक्टूबर के बीच दिल्ली के सभी वार्डों के बीच किया गया था, उसमें 15162 सैंपल लिये गये गये थे, जिसमें से 15015 सैंपल की जांच के आधार पर कहा गया था कि दिल्ली में तब 29.1% जनसंख्या कोरोना संक्रमित हो चुकी थी, लेकिन संक्रमित होने वाले बच्चों का प्रतिशत जवान लोगों के मुकाबले कहीं ज्यादा यानी लगभग 35 फीसदी था। ये बच्चे 5 से लेकर 17 साल की आयु वर्ग के बीच के थे। जो 5 साल से लेकर 17 साल की आयु वर्ग के बीच रहे।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बच्चों में कोविड संक्रमण के फैलने का कारण परिजनों को मानते हैं। कहा गया कि काम के लिए बाहर निकलने वाले मां-बाप के जरिये बच्चे संक्रमित होते हैं। इसके अलावा बच्चों के संक्रमण के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि बच्चों का टीकाकरण शुरू नहीं किया गया है और परिवारों में बच्चों के साथ सोशल डिस्टेंसिंग नहीं रखी जा रही है, जिसकी वजह से भी किसी एक व्यक्ति के परिवार में संक्रमण होने की स्थिति में क्योंकि बच्चे सबके साथ रहते हैं बच्चे भी संक्रमित हो जाते हैं।

बच्चों के ​तीसरी लहर में ज्यादा प्रभावित होने के बारे में दिल्ली मेडिकल काउंसिल के पूर्व सदस्य डॉ. अजय गंभीर ने मीडिया को बताया कि लगातार कोरोना वायरस अपना रूप बदल रहा है और बदलता रहेगा, ऐसे में हमें भी चाहे बच्चों के लिए या बड़ों के लिए वैक्सीन को उसी आधार पर बदलना होगा। तभी हम लोगों की जान बचा सकते हैं और संक्रमण पर प्रभावी रूप से अंकुश लगा सकते हैं। खास बात यह है कि जब दिल्ली में देश की दूसरी और दिल्ली की चौथी लहर आने से पहले भी तकरीबन 60 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी पाई गई थी और वह भी तब जब टीकाकरण शुरू भी नहीं किया गया था। यानी वह प्राकृतिक अर्थात कोविड इंफेक्शन एंटीबॉडी थी। उसके बावजूद दिल्ली में बड़ी संख्या में कोविड के मामले आए और मृत्यु हुई। ऐसे में अगर दिल्ली के बच्चों में अधिक मात्रा में एंटीबॉडी का संक्रमण है, उसके बावजूद तीसरी लहर में बच्चे गंभीर संकट में हो सकते हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि जो बच्चे कोविड पॉजिटिव होते हैं उनमें से 90 से 95 फीसदी बच्चों में रोग के बहुत सामान्य लक्षण पाये जाते हैं। इसलिए यह बात सुकून देने वाली कही जा सकती है कि बच्चों के लिए रेमेडिसिर या अन्य गंभीर दवाइयों की जरूरत बहुत कम पड़ती है। 

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