रामदेव की पतंजलि वाली कोरोनिल को WHO ने नकारा, कहा हमने नहीं दिया सर्टिफिकेट

23 जून 2020 को रामदेव ने 'कोरोनिल' लॉन्च करते हुए इससे कोविड-19 मरीजों को ठीक करने का दावा किया था, इसके लॉन्च होते ही देश में विवाद छिड़ गया, तो उत्तराखंड के आयुष विभाग ने भी कोरोना की दवा बनाने की कोई अनुमति या लाइसेंस नहीं लिए जाने की बात कहते हुए पतंजलि आयुर्वेद को नोटिस जारी किया था...

Update: 2021-02-21 12:56 GMT

Ramdev Patanjali Ghee fail : रामदेव की पतंजलि के गाय के घी का सैंपल फेल -फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की जांच में सामने आयी मिलावटए स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक

जनज्वार, नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साफ किया है कि उसने कोविड-19 के ट्रीटमेंट के लिए किसी भी ट्रेडिशनल मेडिसिन के असर का न कोई रिव्यू किया है, न ही किसी को सर्टिफिकेट ही दिया है। डब्लूएचओ का ये बयान रामदेव वाली पतंजलि आर्युवेद के उस दावे के महज एक दिन बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि कोरोनिल दवा को डब्लूएचओ की सर्टिफिकेशन स्कीम के तहत आयुष मिनिस्ट्री से सर्टिफिकेट मिला हुआ है।

पतंजलि के इस दावे के बाद अब डब्लूएचओ के दक्षिण पूर्व एशिया के रीजनल ऑफिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर ट्वीट किया कि डब्लूएचओ ने किसी भी ट्रेडिशनल दवा का कोविड-19 के इलाज को लेकर सर्टिफिकेशन नहीं किया है।

गौरतलब है कि शुक्रवार 19 फरवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में रामदेव ने एक बार फिर से कोरोना की दवा कोरोनिल लॉन्च की है। उनके साथ केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री हर्षवर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद रहे थे। रामदेव ने दावा किया कि पतंजलि रिसर्च इंस्टिट्यूट की यह दवा विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन से सर्टिफाइड है। उनका दावा है कि डब्लूएचओ ने इसे GMP यानी 'गुड मैनुफैक्‍चरिंग प्रैक्टिस' का सर्टिफिके‍ट दिया है।

पतंजलि आयुर्वेद के स्वामी रामदेव ने कहा क‍ि यह दवा एविडेंस बेस्‍ड है। रामदेव ने इस मौके पर एक रिसर्च बुक भी लॉन्‍च की थी। रामदेव ने कहा था कि कोरोनिल के संदर्भ में नौ रिसर्च पेपर दुनिया के सबसे ज्‍यादा प्रभाव वाले रिसर्च जर्नल्‍स में प्रकाशित हो चुके हैं। जिनमें 16 रिसर्च पेपर पाइपलाइन में हैं।

गौरतलब है कि पतंजलि ने पिछले साल जून में 'कोरोना किट' लॉन्‍च की थी। जिस पर खासा विवाद हुआ था। आयुष मंत्रालय ने कहा था कि पतंजलि कोरोनिल को केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली बताकर बेच सकता है। रामदेव ने 'कोरोनिल' को तब कोविड-19 की दवा के रूप में लॉन्‍च किया था, मगर विवाद के बाद वह उसे बीमारी का असर कम करने वाली दवा कहने लगे थे।

बाबा रामदेव ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा था कि मंत्रालय ने उनसे कोविड के इलाज की जगह 'कोविड प्रबंधन' शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कहा है। 23 जून 2020 को रामदेव ने 'कोरोनिल' लॉन्च करते हुए इससे कोविड-19 मरीजों को ठीक करने का दावा किया था। इसके लॉन्च होते ही देश में विवाद छिड़ गया। तब उत्तराखंड के आयुष विभाग ने भी कोरोना की दवा बनाने की कोई अनुमति या लाइसेंस नहीं लिए जाने की बात कहते हुए पतंजलि आयुर्वेद को नोटिस जारी किया था।

इस विवाद के बाद पतंजलि आर्युवेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने भी ट्वीट किया है कि कोरोनिल के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (Drugs Controller General of India) यानी डीसीजीआई (DCGI) ने फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट सर्टिफिकेट (Certificate of Pharmaceutical Product) यानी सीपीपी (CPP) दिया है। उन्होंने कहा है कि पतंजलि सिर्फ लोगों का कनफ्यूजन दूर करते हुए बात को स्पष्ट करने की कोशिश कर रहा था और यह साफ है कि WHO किसी भी दवा को मंजूर या नामंजूर नहीं करता है।

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