अंबेडकर यूनिवर्सिटी दिल्ली फैकल्टी एसोसिएशन का विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ सभी परिसरों में विरोध जारी, 3 साल में 25 से ज्यादा शिक्षक सौंप चुके इस्तीफा
AUDFA का कहना है कि वह एक दशक से अधिक समय से विश्वविद्यालय में सेवारत गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए हाल ही में जारी किए गए 38-दिवसीय अनुबंध का कड़ा विरोध करता है। यह कदम असंवैधानिक है और इस गैरजिम्मेदार प्रशासन की उदासीनता को ही दर्शाता है...
Ambedkar University Delhi : अंबेडकर यूनिवर्सिटी दिल्ली फैकल्टी एसोसिएशन (एयूडीएफए) ने 24 अगस्त को सभी परिसरों में अपना विरोध जारी रखा। 17 अगस्त को AUDFA ने विश्वविद्यालय प्रशासन को मांगों का एक चार्टर सौंपा, जिसका समर्थन 136 नियमित संकायों में से 110 ने किया। मांगों के चार्टर में काम के बिगड़ते माहौल, लक्षित उत्पीड़कों सहित कई मापदंडों पर विश्वविद्यालय की गिरावट पर प्रकाश डाला गया।
AUDFA द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि वह सुविधाजनक और समावेशी शासन की मांग के प्रति प्रशासनिक उदासीनता का विरोध करता है। विशेष रूप से विश्वविद्यालय के भीतर नौकरशाही गतिरोध के आलोचक हैं, जिसके कारण विश्वविद्यालय में अत्यधिक देरी और अनियमित्ताओं से चल रहा है। इसके चलते विश्वविद्यालयों के विभिन्न स्कूलों और केंद्रों में कार्यात्मक स्वायत्तता की कमी हो रही है। साथ ही यह भी कहा है कि एसोसिएशन संकाय पदोन्नति के लिए यूजीसी नियमों की प्रतिगामी व्याख्या, सेवा नियमों पर स्पष्टता की कमी और चिकित्सा लाभ से संबंधित नियमों के मनमाने ढंग से लागू होने का विरोध करता है।
AUDFA का आरोप है कि विश्वविद्यालय में लिए जाने वाले निर्णयों में उसकी अनदेखी और अवहेलना की जाती है। एसोसिएशन के अनुसार वरिष्ठ विद्वानों सहित करीब 25 से अधिक संकाय सदस्यों ने 2020 से विश्वविद्यालय से इस्तीफा दे दिया है। इनमें से कुछ निजी विश्वविद्यालयों में चले गए हैं, जबकि अन्य ने वर्तमान तनावपूर्ण कार्य स्थितियों के कारण बिना किसी नौकरी के एयूडी छोड़ दिया है। यह होना एक पब्लिक यूनिवर्सिटी के लिए काफी शर्म की बात है।
AUDFA का कहना है कि वह एक दशक से अधिक समय से विश्वविद्यालय में सेवारत गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए हाल ही में जारी किए गए 38-दिवसीय अनुबंध का कड़ा विरोध करता है। यह कदम असंवैधानिक है और इस गैरजिम्मेदार प्रशासन की उदासीनता को ही दर्शाता है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने चिरपरिचित अंदाज़ में अपने अलोकतांत्रिक चेहरे को उज़ागर करते हुए, एक बार फिर से अपने ही शिक्षण समुदाय की मांगों को मानने से इनकार कर दिया है।
एयूडीएफए ने अपने साप्ताहिक विरोध को जारी रखते हुए 24 अगस्त को कश्मीरी गेट परिसर में मौन मार्च के विरोध प्रदर्शन किया, और प्रशासन द्वारा कोई जवाब न मिलने पर, अपने संघर्ष को जारी रखने का संकल्प लिया। आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूरे शिक्षण समुदाय ने एयूडीएफए के सभी विरोध आह्वानों और विभिन्न कार्यकर्मों में उत्साह के साथ, और एयूडी परिसरों में चल रही शैक्षणिक गतिविधियों को बिना बाधित किए सक्रिय रूप से भाग लिया।
एयूडीएफए का कहना है कि वह डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के सपनो के समाज के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है और साथ ही साथ सार्वजनिक विश्वविद्यालय के प्रगतिशील और लोकतांत्रिक विचारों के लिए संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए भी प्रतिबद्ध है।