यूक्रेन से लौटे 14000 छात्रों की उम्मीदों को लगा झटका, केंद्र ने SC से कहा - ' MCI की नजर में ये डॉक्टरी की पढ़ाई के काबिल नहीं '

केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि यूक्रेन से लौटे छात्र या तो नीट में कम अंक पाने वाले हैं या फिर वो सस्ती पढ़ाई के लिए यूक्रेन गए थे।

Update: 2022-09-16 07:20 GMT

नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग की वजह से यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई छोड़कर भारत लौटे ( Ukraine returnee ) छात्रों ( medical student ) का डॉक्टर बनना मुश्किल है। केंद्र सरकार ( Central Government ) ने सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में दाखिल हलफनामे में कहा है कि यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों को भारतीय मेडिकल कॉलेजों ( medical college India )  में आगे की पढ़ाई के लिए प्रवेश नहीं दे सकते। वहां पढ़ रहे छात्रों को भारतीय मेडिकल कॉलेजों में दाखिला देने का कोई प्रावधान नहीं है। केंद्र के इस जवाब से 14,000 मेडिकल छात्रों की उम्मीदों को झटका लगा है।

यूक्रेन से लौटे मेडिकल के छात्र NEET एग्जाम में हुए थे फेल

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए हलफनामे में कहा गया है कि यूक्रेन से लौटे छात्र या तो नीट एग्जाम ( NEET Exam ) में मेरिट सूची में नाम दर्ज कराने में विफल रहे थे। इसके बावजूद डॉक्टर बनने की जिद को पूरा करने के लिए विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने जाते हैं। इनमें कुछ पैसे वाले अभिभावकों के बच्चे होते हैं या फिर उन अभिभावकों के बच्चे होते हैं जो पुरानी सोच से निर्देशित हैं। ऐसे अभिभावक मानते हैं कि उनके बच्चे डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बने तो समाज में वो किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाएंगे।

इन छात्रों को MCI नहीं मानती डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए फिट

स्वास्थ्य मंत्रालय के अवर सचिव सुनील कुमार के माध्यम से दायर हलफनामे में कहा गया है कि अगर कम मेरिट वाले इन छात्रों को डिफॉल्ट के रूप से भारत के प्रमुख मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की अनुमति दी जाती है तो जो छात्र इन कॉलेजों में सीट नहीं पा सकेंगे वो अदालत में मेडिकल कॉलेजों के खिलाफ मुकदमे भी दायर कर सकते हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार से शीर्ष अदालत को बताया कि यूक्रेन से लौटने वाले छात्रों की सहायता के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ( MCI ) के परामर्श से सक्रिय कदम उठाए गए हैं। यूक्रेन से लौटे छात्रों को एडमिशन देना देश में चिकित्सा शिक्षा के मानकों को भी गंभीर रूप से बाधित करेगा। एमसीआई मानती है कि ऐसे छात्रों को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश देना के लिए कोई कानूनी विकल्प नहीं है। ऐसे में प्रवेश दिया गया तो कई तरह की समस्याएं उठ खड़ी होंगी। सबसे बड़ी समस्या तो यही होगी कि भारतीय मेडिकल एजुकेश की गुणवत्ता प्रभावित होंगी।

बता दें कि केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत में यह हलफनामा उन छात्रों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं पर जवाब के तौर पर दाखिल किया है जो विदेशी मेडिकल महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में पहले से चौथे वर्ष के बैच के मेडिकल छात्र हैं। ये छात्र अपने शेष सेमेस्टर की पढ़ाई भारतीय चिकित्सा महाविद्यालयों में ट्रांसफर करने की मांग कर रहे हैं। ये छात्र कम अंक पाने वाले हैं या फिर वो सस्ती पढ़ाई के लिए यूक्रेन गए थे। ऐसे छात्रों को एमसीआई डॉक्टरी के पढ़ाई के लिए योग्य नहीं मानती है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि यूक्रेन से वापस देश आये छात्रों की सहायता की जाएगी।

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