DDU कुलपति राजेश सिंह के खिलाफ आमरण अनशन पर प्रो. कमलेश गुप्त, कहा मेरे साथ किसी भी अनहोनी के लिए 4 शिक्षकों समेत राजभवन के अफसर होंगे जिम्मेदार
जहां एक तरफ कुलपति राजेश सिंह के कारनामों का काला चिट्ठा खोलने के लिए प्रोफेसर कमलेश गुप्त आमरण अनशन पर हैं, वहीं कुलपति ने धमकी दी है कि जो विश्वविद्यालय का जो भी शिक्षक प्रो. कमलेश गुप्त का साथ देगा उसे भी अनुशासनहीनता माना जाएगा और उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी...
जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
DDU Gorakhpur : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह को हटाने की मांग को लेकर पिछले एक वर्ष से आंदोलनरत प्रो. कमलेश कुमार गुप्ता के आमरण अनशन का आज 6 नवंबर को दूसरा दिन है। ऐसे में अपने आंदोलन के दौरान दूसरी बार निलंबन की मार झेल रहे प्रो. गुप्ता के एक बयान ने भूचाल ला दिया है।
उन्होंने यह कहकर सनसनी मचा दी है कि हमारे साथ होने वाले किसी भी हादसे के लिए मात्र कुलपति राजेश सिंह ही नहीं, चार शिक्षकों से लेकर राजभवन के अफसर तक जिम्मेदार होंगे। उनकी इस घोषणा के बाद आंदोलन को लेकर अब तक बनी धुंधली तस्वीर अब साफ हो चुकी है। उनके इस बयान से अब साफ है कि आंदोलन के साथी शिक्षक व विरोध में खड़े लोगों की पहचान को उजागर करते हुए ये लड़ाई को आगे बढ़ाना चाहते हैं। संघ के निवर्तमान पदाधिकारी से लेकर विभिन्न संगठनों ने अनशनकारी के प्रति अपनी एकजूटता जाहिर करते हुए आंदोलन के दूसरे दिन भी अपनी उपस्थिति जताई।
गौरतलब है कि हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्ता कुलपति के तमाम प्रशासनिक निर्णयों का विरोध करते हुए उन्हें हटाने की मांग करते रहे हैं। इसको लेकर सांकेतिक धरना का दौर पिछले एक वर्ष से चलता रहा है। इसको लेकर वर्ष के प्रारंभ में निलंबित कर दिया गया था। निलंबन वापसी के बाद इनके विरोध जारी रहने पर एक बार फिर निलंबन की कार्रवाई हुई, जो अब भी बरकरार है। अब 5 नवंबर से प्रो. गुप्ता प्रशासनिक भवन के सामने कुलपति को हटाये जाने को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हैं।
प्रो. कमलेश ने किसी भी अनहोनी के लिए 7 लोगों को किया है चिन्हित
एक वर्ष से आंदोलनरत प्रो. कमलेश गुप्ता के सामने कई बार अंतर्द्वंद्व की स्थिति दिखी। उनके आंदोलन को लेकर अपनाए जा रहे रुख व शिक्षकों के बीच आपसी मतभेद से कई तरह के सवाल उठते रहे हैं, जिसका पहली बार खुलकर जवाब देने की प्रो. गुप्ता ने कोशिश की है।
सोशल मीडिया पर दिए गए अपने एक बयान में प्रोफेसर कमलेश गुप्त ने कहा है कि यदि मेरे साथ किसी तरह की अनहोनी होती है, तो उसके लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति प्रो. राजेश सिंह, कुलसचिव विशेश्वर प्रसाद (दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर)), वर्तमान अध्यक्ष, हिंदी विभाग, प्रो०दीपक प्रकाश त्यागी, अध्यक्ष, हिंदी विभाग, प्रो०अनिल कुमार राय, आचार्य, हिंदी विभाग प्रो. राजेश मल्ल, अधिष्ठाता छात्र कल्याण व पूर्व वित्त अधिकारी, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर प्रो. अजय सिंह, कुलाधिपति (यह पद राज्यपाल के पास होता है इसलिए डीडीयू की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल हैं) के विशेष कार्याधिकारी डॉ. पंकज एल० जानी को जिम्मेदार माना जाय।
कमलेश गुप्त का कहना है कि 'इन सभी लोगों ने तरह-तरह से मेरा उत्पीड़न किया है। मुझे मेरे प्राप्तव्यों से वंचित करने और अपने निहित स्वार्थों के लिए अपने कुछ सहयोगियों के साथ मेरे विरुद्ध षडयंत्र रचा है और लगातार साजिशें रच रहे हैं। कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के विशेष कार्याधिकारी डॉ. पंकज एल० जानी न केवल इन षडयंत्रों में शामिल हैं, बल्कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह को पूरी तरह संरक्षण प्रदान कर रहे हैं। मैंने कुलपति प्रो. राजेश सिंह के विरुद्ध शपथपत्र और साक्ष्यों के साथ जो भी शिकायतें की हैं,उनको किए एक वर्ष से अधिक की अवधि बीत चुकी है और अब तक उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसके लिए डॉ. पंकज एल. जानी ही जिम्मेदार हैं।'
अब इस बीच प्रोफेसर कमलेश गुप्त के अनशन को व्यापक समर्थन मिलते दिख रहा है। डीडीयू शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष व शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजक प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी व कॉमर्स के प्रोफेसर अजेय गुप्ता भी उनके समर्थन में दिनभर बैठे रहे। उधर उप्र आवासीय विश्वविद्यालय महासंघ के अध्यक्ष प्रो. चितरंजन मिश्र ने भी सभी से समर्थन की अपील की है। अनशन के दूसरे दिन यहां शिक्षक संगठनों के पदाधिकारी घंटों जमे रहे।
प्रो. कमलेश गुप्त ने रखी है 6 सूत्रीय मांग
अनशनकारी प्रो. कमलेश गुप्ता ने अपने छह सूत्रीय मांगों में कहा कि है कि कुलपति प्रो. राजेश सिंह के विरुद्ध की गई शिकायतों की निष्पक्ष जांच हो। साथ ही जांच होने तक उन्हे कुलपति पद से कार्य विरत किया जाए। उनके कार्यकाल में हुई विश्वविद्यालय की समस्त आय और व्यय की निष्पक्ष जांच हो। दोषी पाए जाने पर प्रो. राजेश सिंह को पदमुक्त करते हुए विधिक कार्यवाही सुनिश्चित हो।
प्रो. कमलेश गुप्त के निलंबन के आरोप पत्र एवं तथाकथित जांच समिति के सम्पूर्ण कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग सार्वजनिक की जाएं। जन सूचना अधिकार कानून के अर्न्तगत प्रो. कमलेश गुप्त द्वारा मांगी गई समस्त सूचनाएं उपलब्ध करायी जाएं। प्रोफेसर कमलेश गुप्त ने कहा कि प्रो. राजेश सिंह के विरुद्ध शपथ पत्र और साक्ष्यों सहित कुलाधिपति से की गई शिकायतों पर एक वर्ष से अधिक की अवधि बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही न होने के कारण उन्हें आमरण अनशन का निर्णय लेना पड़ा।
अन्याय के प्रतिकार की प्रो. चितरंजन मिश्र ने की अपील
अनशन का समर्थन करते हुए उत्तर प्रदेश आवासीय विश्वविद्यालय महासंघ के अध्यक्ष प्रो. चितरंजन मिश्र ने कहा कि अब भी समय है अपने अस्तित्व और स्वाभिमान को, अपनी संस्था के गौरवशाली इतिहास को प्रमाणित करने का. मित्रों उठो और अन्याय का प्रतिकार करो। हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्त एक आदर्शवादी एवं कर्तव्यनिष्ठ तथा साहसी शिक्षक हैं। भ्रष्टाचार एवं कुछ मुद्दों पर वह इस कुलपति से निरंतर अहिंसा वादी तरीके से अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उनके साथ संघर्ष में साथ देने के लिए प्रो.उमेश नाथ त्रिपाठी के अध्यक्षता में एक संघर्ष मोर्चा गठित हुआ है।
अन्य संगठनों के साथ ही प्रोफेसर त्रिपाठी ने गुआक्टा को भी संघर्ष में साथ देने का आह्वान किया है। प्रो. गुप्ता पिछले एक वर्ष से दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति राजेश सिंह के अराजक और उजड्ड आचरण से विश्वविद्यालय और उसकी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को तहस नहस करने वाली कार्यप्रणाली की ओर कुलाधिपति महोदया का, जनप्रतिनिधियों का और राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट करके उचित कार्यवाही की मांग कर रहे हैं।
साक्ष्यों सहित शपथ पत्र पर अनियमितताओं की शिकायत करने के कुलाधिपति महोदया आनंदीबेन पटेल के निर्देश का पालन करने के बावजूद न तो कुलपति की जांच के लिए कोई समिति बनाने और न ही किसी प्रभावी कार्रवाई के होने से स्थिति लगातार बिगडती जा रही है। शिक्षकों की उदासीनता संगठन के अभाव और संघ के पदाधिकारियों की निष्क्रियता ने करेले को नीम पर चढकर फूलने फलने का अवसर दिया। पढ़ाई लिखाई, परीक्षा और रिजल्ट सब चौपट होते जा रहे हैं। यदि समूह सक्रिय और संगठित होता तो विश्वविद्यालय इस दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति में न फंसता और न तो एक शिक्षक को अकेले आमरण अनशन के लिए विवश होना पड़ता।
संघ के निष्क्रिय होने और समुदाय के उदासीन होने से शिक्षकों की गरिमा को ठेस लगी है। समाज में हमारे समुदाय की खिल्ली उड़ रही है। समुदाय की उदासीनता से ही नयी शिक्षानीति तथा सी बी सी एस के नाम पर होने वाले फर्जी नवाचारों से पढ़ाई लिखाई भी चौपट होती गयी। विश्वविद्यालय में नियम परि नियम अधिनियम अध्यादेश, जो विश्वविद्यालय के संचालन के लिए ही बनाये गए हैं. कुलपति के मनमानी निर्णयों से बेमानी होते गये। सभी निकायों को राजेश सिंह के उजड़ और मनबढ़ तानाशाही आचरण ने पंगु बना दिया और हमारे शिक्षक साथी विवश, निरुपाधि असहाय होकर एक दूसरे का मुंह ताकते रहे। अब यह अभूतपूर्व संकट का समय है जब एक कर्त्तव्य निष्ठ ईमानदार शिक्षक अकेले विश्वविद्यालय बचाने के लिए आमरण अनशन के लिए विवश हुआ है।
शिक्षक संघ के निवर्तमान पदाधिकारियों ने जताया समर्थन
शिक्षक संघ के निवर्तमान अध्यक्ष प्रो.के.डी.तिवारी व महामंत्री प्रो.धीरेन्द्र सिंह ने आंदोलन के प्रति समर्थन जताते हुए अपील करते हुए कहा है कि साथियों यह एक बेहद ही संवेदनशील मुद्दा है, हम लोग प्रोफेसर कमलेश गुप्ता का किस प्रकार साथ दें? कई मित्रों का फोन आया है कि प्रो. गुप्त के संघर्ष में गुआक्टा को साथ देना चाहिए। अपील है कि गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबंध रखने वाले सभी शिक्षक, चाहे वित्त पोषित हो, स्ववित्त पोषित हो या सेवानिवृत्त हो, प्रो. कमलेश गुप्ता के संघर्ष के साथी बने, चाहे वह कुछ ही समय के लिए क्यों ना हो।
अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ के पूर्व जोनल सेक्रेटरी उत्तर प्रदेश-उतराखंड डा. राजेश मिश्र ने भी अनशकनकारी प्रो. कमलेश गुप्ता के प्रति एकजुटता व्यक्त की है। डा. मिश्र ने कहा कि न्याय के लिए सभी शिक्षकों को साथ आने की जरूरत है।
आंदोलन का समर्थन करने वालों को कुलपति ने चेताया
प्रो. कमलेश गुप्त के आमरण अनशन पर डीडीयू प्रशासन ने भी सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। विवि प्रशासन के मुताबिक आमरण अनशन की घोषणा को अत्यंत गंभीरता से लिया गया है। इस बारे में जिला प्रशासन को लिखित सूचना दे दी गई है। पूरे मामले को राजभवन के संज्ञान में भी लाया गया है। कुलपति के हवाले से कहा गया है कि जो भी प्रो. कमलेश गुप्त का साथ देगा उसे भी अनुशासनहीनता माना जाएगा और उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।