दिल्ली का प्राइवेट स्कूल ताइक्वांडो कोच को नहीं दे रहा था वेतन, सुसाइड नोट में गंभीर आरोप लगा दी जान
मीडिया में आ रही जानकारी के मुताबिक ताइक्वांडो कोच जिस स्कूल में नौकरी करता था, उसे भाजपा के एक पूर्व विधायक और उनकी पत्नी चलाते हैं...
जनज्वार। कोरोना लॉकडाउन के बीच जहां निजी स्कूलों द्वारा छात्रों के परिजनों को एक भी रुपये की छूट फीस में नहीं दी है, वहीं शिक्षकों का तरह—तरह से शोषण और पूरा वेतन न दिये जाने के कई मामले देशभर से सामने आये हैं। मीडिया में कई शिक्षकों द्वारा आर्थिक परेशानियों के कारण आत्महत्या की घटनायें भी सामने आती रहती हैं।
अब ऐसा ही एक मामला दिल्ली के मंगोलपुरी में सामने आया है, जहां एक प्राइवेट स्कूल द्वारा कथित रूप से वेतन नहीं दिए जाने के कारण 46 वर्षीय ताइक्वांडो कोच ने अपने घर पर 22 जून को आत्महत्या कर ली। यह मामला आज 24 जून को सामने आया है। मीडिया में आ रही जानकारी के मुताबिक ताइक्वांडो कोच जिस स्कूल में नौकरी करते थे, उसे भाजपा के एक पूर्व विधायक और उनकी पत्नी चलाते हैं। कोच की आत्महत्या के बाद भी जिस तरह स्कूल और भाजपा नेता का नाम एक्सपोज नहीं हो रहा है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मामला दबाने के लिए लगातार मीडिया पर भी दबाव पड़ रहा है।
जिस ताइक्वांडो कोच ने आर्थिक तंगी और स्कूल द्वारा सेलरी न दिये जाने के कारण आत्महत्या की है, उसकी पहचान तनूप जोहर के रूप में की गयी है। परिजनों द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक तनूप रोहिणी के एक स्कूल में काम करता था, लेकिन पिछले करीब एक वर्ष से भी अधिक समय से वह लगभग बेरोजगारी की हालत में था। पुलिस के मुताबिक तनूप ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
पुलिस को अनूप जोहर की लाश के पास से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें तनूप ने स्कूल प्रबंधन से जुड़े दो व्यक्तियों के नाम का उल्लेख करते हुए स्कूल प्रशासन पर वेतन नहीं देने का आरोप लगाया है। तनूप ने सुसाइड नोट में कहा है कि वेतन नहीं मिलने से वह बेहद परेशान था और उसके पास हाल में कोई काम नहीं था।
पुलिस के मुताबिक तनूप ने वेतन नहीं मिलने के कारण स्कूल प्रबंधन के खिलाफ पिछले वर्ष श्रमिक न्यायालय में मुकदमा भी दायर किया था।
तनूप के एक सहयोगी ने मीडिया से हुई बातचीत में बताया, 'पिछले वर्ष दो महीने तक ऑनलाइन कक्षाएं लेने के बाद तनूप ने स्कूल प्रशासन से वेतन मांगा था, लेकिन स्कूल की ओर से लगातार यह कहा गया कि जैसे ही बच्चों की ओर से फीस का भुगतान किया जाएगा, उन्हें वेतन दे दिया जाएगा। चार माह के बाद हमने दोबारा स्कूल प्रशासन से वेतन की मांग की, तो उन्होंने हमसे नौकरी से इस्तीफा देने के लिए कहा। हम स्कूल के खिलाफ श्रमिक न्यायालय में भी गए, हम अब भी अपने वेतन का इंतजार कर रहे हैं।'
वहीं बाहरी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त परविंदर सिंह का इस मामले में कहना है कि तनूप जोहर पिछले करीब एक वर्ष से भी अधिक समय से स्कूल में काम नहीं कर रहा था। तनूप की ओर से लगाए गए सभी आरोपों की जांच की जा रही है। हालांकि अब तक स्कूल प्रबंधन के खिलाफ पुलिस द्वारा कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है।