DU ने अंग्रेजी कोर्स से निकालीं 2 दलित लेखिकाओं की कहानियां, महाश्वेता देवी की द्रोपदी भी हटाई
DU ने महाश्वेता देवी की शार्ट स्टोरी को अंग्रेजी के सिलेबस से हटा दिया गया है, इसके साथ ही दो दलित लेखकों की रचनाओं को भी सिलेबस से हटा दिया गया है..
जनज्वार। दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) की ओवरसाइट कमेटी द्वारा जानी-मानी लेखिका महाश्वेता देवी की शार्ट स्टोरी को अंग्रेजी के सिलेबस से हटा दिया गया है। इसके साथ ही दो दलित लेखकों की रचनाओं को भी सिलेबस से हटा दिया गया है। ओवरसाइट कमिटी का तर्क है कि यह महज सिलेबस रिवीजन भर है, जिसके तहत कुछ पुरानी चीजें हटाई जाती हैं और नई चीजें जोड़ी जाती हैं। वहीं यूनिवर्सिटी एकेडमिक काउंसिल के कुछ सदस्यों का आरोप है कि ऐसा करने के लिए ओवरसाइट कमिटी द्वारा कोई तर्क नहीं दिया गया है।
बुधवार 25 अगस्त को एकेडमिक काउंसिल की संपन्न हुई मीटिंग में काउंसिल के 15 सदस्यों ने इसको लेकर अपना विरोध दर्ज कराया है। इन सदस्यों ने ओवरसीज कमेटी के काम करने के तरीके पर असहमति दर्ज कराई। डीयू की एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में इन 15 एसी मेंबर्स ने असहमति पत्र दिया। इन एसी मेंबर्स ने कहा है कि लर्निंग आउटकम्स बेस्ड करिकुलम फ्रेमवर्क (LOCF) इंग्लिश सिलेबस में काफी छेड़छाड़ की गई है और उसके पीछे तर्क भी नहीं दिया गया है। यह सेमेस्टर 5 का सिलेबस है।
एकेडमिक काउंसिल के मेंबर मिथुराज धिसिया ने कहा, "जिन डिपार्टमेंट का सिलेबस बदला गया है, हैरानी की बात है कि उन डिपार्टमेंट के एक्सपर्ट ओवरसाइट कमिटी में नहीं हैं। सिलेबस सब्जेक्ट से एक्सपर्ट्स बनाते हैं, तो सवाल उठता है कि क्या कमिटी में साहित्य के एक्सपर्ट हैं। कमेटी ने इन्हें हटाने के लिए कोई तर्क भी नहीं दिया है।"
एसी मेंबर्स का कहना है कि ओवरसाइज कमेटी ने इंग्लिश डिपार्टमेंट से नामी लेखिका महाश्वेता देवी की कहानी 'द्रौपदी' को हटाने को कहा जो कि एक ट्राइबल महिला की कहानी है और दिल्ली यूनिवर्सिटी में 1999 से पढ़ाई जा रही है।
साथ ही कमिटी ने दो तमिल दलित लेखिका बामा और सुकीर्तारानी को भी सिलेबस से हटाने का फैसला लिया। इनका आरोप है कि इन लेखकों की जगह ओवरसाइट कमिटी ने उच्च जाति की लेखिका रमाबाई को रखा। टीचर्स का आरोप है कि इसके पीछे कमिटी ने कोई तर्क भी नहीं दिया।
डीयू के कुछ टीचर्स ने कहा कि ओवरसाइट कमिटी में कोई दलित और अनुसूचित जनजाति का मेंबर नहीं है। साथ ही यह कमिटी इससे पहले हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस, सोसियॉलजी में भी इस तरह के बदलाव कर चुकी है। हालांकि कमिटी का कहना है कि यह सिर्फ सिलेबस रिविजन है, जिसमें कई नई चीजें जोड़ी जाती है तो कुछ पुरानी हटाई भी जाती है।