Agra News: आगरा की इस यूनिवर्सिटी में शोधार्थियों के साथ हुआ छल, बिना शोध करने वाले बन गये आर्यभट्ट

Agra News: उत्तर प्रदेश की आगरा स्थित डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में शोधार्थियों के साथ हेरफेर की बात सामने आ रही है। यहां, आर्यभट्ट टीचिंग असिस्टेंट के नाम पर ना सिर्फ नियमों को ताक पर रखा गया बल्कि शोधार्थियों के लिए शुरू हुई योजना का लाभ ऐसे अभ्यर्थियों को दे दिया गयाजो शोधार्थी ही नहीं हैं...

Update: 2022-10-22 03:57 GMT

Agra News: आगरा की इस यूनिवर्सिटी में शोधार्थियों के साथ हुआ छल, बिना शोध करने वाले बन गये आर्यभट्ट

Agra News: उत्तर प्रदेश की आगरा स्थित डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में शोधार्थियों के साथ हेरफेर की बात सामने आ रही है। यहां, आर्यभट्ट टीचिंग असिस्टेंट के नाम पर ना सिर्फ नियमों को ताक पर रखा गया बल्कि शोधार्थियों के लिए शुरू हुई योजना का लाभ ऐसे अभ्यर्थियों को दे दिया गया जो शोधार्थी ही नहीं हैं।

मामले में सबसे खास बात यह है कि ये सबकुछ यूनिवर्सिटी की सबसे बड़ी बॉडी कही जाने वाली कार्य परिषद के फैसले के नाम पर किया गया। जबकी उसी पर नियमों को बनाने, पालन कराने इत्यादि की जिम्मेदारी थी। विश्वविद्यालय की कार्य परिषद ने शोधार्थियों को आर्यभट्ट टीचिंग असिस्टेंट बनाने का फैसला लिया था। लेकिन कार्य परिषद ने आर्यभट्ट के लिए चयन प्रक्रिया तक को जानने का प्रयास नहीं किया। 

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक विश्वविद्यालय के जिम्मेदारों ने इस फैसले में ठीक वैसा ही खेल कर दिया जैसा निदेशकों के संबंध में लिए गये फैसलों पर किया गया था। यूनिवर्सिटी ने इस Pre-PHD कोर्स वर्क कर रहे अभ्यर्थियों को आर्यभट्ट टीचिंग असिस्टेंट बनाया, जबकि नियमानुसार कोई भी अभ्यर्थी तब तक शोधार्थी नहीं माना जायेगा, जब तक उसकी RDC ना हो जाए। ऐसे में विश्वविद्यालय ने खुद के लिए तय किये गये नियमों को ताक पर रख दिया। 

हिंदी विभाग पर दिखाई खास मेहरबानी 

विश्वविद्यालय ने सभी विभागों में एक-एक शोधार्थी को आर्यभट्ट टीचिंग असिस्टेंट बनाने का फैसला लिया। जहां-जहां विभागाध्यक्षों ने एक से अधिक आर्यभट्ट मांगेवहां एक ही दिया गया, जबकि विश्वविद्यालय के जिम्मेदारों ने हिंदी विभाग पर खास मेहरबानी दिखाई। जिसके चलते यहां दो-दो शोधार्थियों को आर्यभट्ट टीचिंग असिस्टेंट बना दिया गया। 

कौन लोग थे बैठक में हिस्सेदार? 

जिस कार्य परिषद में बिना मानक और नियमों के आर्यभट्ट तय किये गये, उस बैठक में तत्कालीन कुलपति प्रों विनय पाठक, कुलपति प्रों. अजय तनेजा, कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह, परीक्षा नियंत्रक डॉ. ओम प्रकाश, प्रो. प्रदाप श्रीधर, प्रो. बीपी सिंह, प्रो. एसके जैन, प्रो. जैसवार गोतम, प्रो. एसपी सिंह. प्रो. सुकेश आदि शामिल रहे। 

डीन ने क्या कुछ कहा? 

डीन रिसर्च प्रों विनीता सिंह का इस मसले पर कहना है कि PHD के लिए चयनित हुए अभ्यर्थियों को Pre-PHD कोर्स वर्क के एग्जाम को क्वालिफाई करना होता है। इसके बाद पीएचडी में प्रवेश के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया की जाती है। काउंसलिंग के बाद विवि में पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया जाए और शोध कार्य शुरू कर दे। ऐसे ही अभ्यर्थी को पीएचडी स्कॉलर माना जाएगा। सत्र 2021-22 के कोर्स वर्क कर रहे अभ्यर्थी शोधार्थी नहीं हैं। 

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