UP में सभी बोर्डों और आयोगों को भंग कर शिक्षा सेवा चयन आयोग बनाने के पीछे योगी सरकार की मंशा नौकरियों को खत्म करना

Education Service Selection Commission : एक आयोग बनाने के पीछे सरकार की मंशा नौजवान हितैषी होने के बजाय नौकरियों को खत्म करने की है। सरकार की रोजगार विरोधी नीति के खिलाफ आवाज न उठ सके, इसके लिए ही आयोग इलाहाबाद के बजाय लखनऊ बनाने की कोशिश हो रही है....

Update: 2023-01-09 12:57 GMT

UP में सभी बोर्डों और आयोगों को भंग कर शिक्षा सेवा चयन आयोग बनाने के CM योगी के आदेश का इंकलाबी नौजवान सभा ने किया विरोध

 Education Service Selection Commission : सभी शिक्षक आयोग-बोर्डों को भंग कर उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग बनाने के सरकार के फैसले का इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) ने प्रयागराज के बालसन चौराहे के पास प्रदर्शन कर विरोध दर्ज किया। प्रदर्शन के दौरान आरवाईए के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य ने कहा कि उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती अनियमित है, लाखों पद रिक्त हैं, लेकिन भर्ती सही समय पर पूरी नहीं हो पा रही है। आयोगों, बोर्डों में सदस्यों की संख्या पूरी नहीं रहती। यह हाल तब है जब अलग-अलग आयोग बोर्ड संचालित हो रहे हैं। आयोगों-बोर्डों के गठन के लिए आंदोलन करना पड़ता है तब जाकर फार्म, परीक्षा व नियुक्ति हो पाती है।

उन्होंने कहा कि एक आयोग बनाने के पीछे सरकार की मंशा नौजवान हितैषी होने के बजाय नौकरियों को खत्म करने की है। सरकार की रोजगार विरोधी नीति के खिलाफ आवाज न उठ सके, इसके लिए ही आयोग इलाहाबाद के बजाय लखनऊ बनाने की कोशिश हो रही है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षकों की भर्ती के लिए जल्द ही उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन करने के निर्देश हाल ही में दिए हैं। उन्होंने कहा था कि इसी आयोग के जरिये ही बेसिक, माध्यमिक, उच्च और तकनीकी शिक्षण संस्थानों में योग्य शिक्षकों का चयन किया जाएगा और प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का आयोजन भी नए शिक्षा सेवा चयन आयोग के माध्यम से किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा था कि वर्तमान में बेसिक, माध्यमिक, उच्च और तकनीकी शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के चयन के लिए अलग-अलग प्राधिकारी, बोर्ड व आयोग चल रहे हैं। ऐसे में भविष्य की जरूरतों को देखते हुए नीतिगत सुधारों के तहत शिक्षक चयन आयोगों को एकीकृत स्वरूप दिया जाना उचित होगा। इस आयोग द्वारा बेसिक, माध्यमिक या उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की सीधी भर्ती के लिए मार्गदर्शी सिद्धांत दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये थे कि नए आयोग के स्वरूप, अध्यक्ष व सदस्यों की अर्हता, आयोग की शक्तियों और कार्यों के संबंध में रूपरेखा तय करते हुए प्रस्ताव तैयार किया जाए।

आरवाईए के संयोजक सुमित गौतम ने कहा कि लगातार सरकार पदों को कम कर रही है। अलग-अलग परीक्षा कराने में यह बात स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है, जिससे सरकार की किरकिरी होती है। इसके बजाय एक आयोग होने से उनके पास नौकरियों को प्रदर्शित करने का आंकड़ा बेहतर दिखाई देगा।

आरवाईए की सदस्य राखी ने कहा कि सरकार उच्चतर से लेकर माध्यमिक, प्राथमिक में पेपर लीक व भ्रष्टाचार को खत्म करने में फेल हो गई है। नौकरियों में भ्रष्टाचार आम होती जा रही है। ऐसे में एक आयोग बनाकर भ्रष्टाचार को और ही आसान बना दिया जाएगा। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में इंटरव्यू का अंक प्रतिशत बढ़ाकर सरकार मनमाना नियुक्ति का रास्ता आसान करेगी।

इंकलाबी नौजवान सभा ने नए आयोग को न बनाकर पुराने आयोगों- बोर्डों को सुचारू रूप से संचालित करने की बात कही, ताकि फिजूलखर्ची से भी बचा जा सके। आज 9 जनवरी को हुए प्रदर्शन में वीरेंद्र रावत, प्रदीप कुमार, हर्षवर्धन कुमार, विजय शर्मा, अनिरुद्ध गौतम, भानु कुमार, शक्ति, सामर्थ्य समेत दर्जनों लोग शामिल हुए।

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