बनारस हिंदू विश्वविद्यालय खोलने की मांग को लेकर धरने पर बैठे छात्र, कहा विश्वविद्यालय प्रशासन अपना रहा तानाशाही रवैया

धरनारत विद्यार्थीयों का कहना हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन तानाशाही रवैया अपना रहा है। परिसर के सभी मंदिर खुले है, सर सुंदरलाल अस्पताल खुला है पर कक्षाएं खोलने के नाम पर विश्वविद्यालय प्रशासन आनाकानी कर रहा हैं। विश्वविद्यालय न खुलने के कारण यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों का जीवन अधर में लटकता नज़र आ रहा है।

Update: 2021-02-25 09:24 GMT

वाराणसी से राजेश सारथी की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो। देश में कोविड-19 महामारी (Covid 19 Panedemic) के दौरान के विभिन्न संस्थान व विश्वविद्यालय महामारी रोकथाम के नाम पर बंद कर दिए गए थे। समय के साथ औद्योगिक संस्थान और अन्य संस्थानों को खोल कार्यों को सुचारू रूप से जारी कर दिया गया। वहीं देश में शिक्षण संस्थानों को अभी तक पूर्ण रूप से नहीं खोला गया है जिसका खामियाजा छात्र भुगत रहे हैं।

शिक्षण संस्थानों (educational institutions) के द्वारा शिक्षा को जारी रखने के लिए ऑनलाइन के माध्यम चयन किया गया है। ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली (Online Education System) में छात्रों को विभिन्न प्रकार की समस्या आ रही हैं। जिनके पास अधुनिक उपकरण है वो सभी शिक्षा ले पा रहे हैं, वहीं जिनके पास आधुनिक उपकरण नहीं हैं वो सभी शिक्षा से वंचित हो रहे हैं।

वहीं दूसरी तरफ एक कक्षा के अन्दर बैठ शिक्षा लेने का एक अलग ही प्रभाव होता है जिसकी पूर्ति एक आधुनिक डिस्पेल पूरा नहीं कर सकता। निम्न समस्याओं को देखते हुए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University), वाराणसी के विद्यार्थी ने विश्वविद्यालय को पुनः सुचारू रूप से खोलने की मांग करते हुए विगत 22 फरवरी 2021 से विश्वविद्यालय के प्रमुख द्वारा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

विद्यार्थियों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए 22 फरवरी को विश्वविद्यालय प्रशासन के पीआरओ डॉ. राजेश सिंह ने देर शाम विज्ञप्ति जारी कर भारत सरकार के निर्देशानुसार विश्वविद्यालयय को खोलने की बात कही और छात्र-छात्राओं से विश्वविद्यालय का शैक्षणिक वातावरण बनाने की अपील की है। वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन विभिन्न पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत अंतिम वर्ष के छात्रों और शोधार्थियों की ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन शुरू कर दिया है।

धरनारत विद्यार्थीयों का कहना हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन तानाशाही रवैया अपना रहा है। परिसर के सभी मंदिर खुले है, सर सुंदरलाल अस्पताल खुला है पर कक्षाएं खोलने के नाम पर विश्वविद्यालय प्रशासन आनाकानी कर रहा हैं। विश्वविद्यालय न खुलने के कारण यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों का जीवन अधर में लटकता नज़र आ रहा है।

विश्वविद्यालय को खोलने की मांग को लेकर विद्यार्थियों और प्रशासन के बीच ठन गई है। लंका (वाराणसी) स्थित सिंह द्वार पर धरना दे रहे छात्रों ने अपनी मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन की रणनीति में बदलाव करते हुए गांधीवादी तरीके से अपनी मांग को रखते हुए आमारण अनशन पर जाने का फैसला किया है।

इस विषय पर फोन के माध्यम से छात्र आशुतोष से बात करने पर पता चला कि विश्वविद्यालय सुचारू रूप से खुलवाने की मांग को लेकर छात्र नई रणनीति के तहत विरोध प्रदर्शन करेंगे जिसमें शामिल निम्न बिंदू हैं-

  • 25 फरवरी से मुख्य द्वार के किनारे के दोनों गेट जब तक आंदोलन चलेगा, खुले रहेंगे।
  •  25 फरवरी से छात्र आशुतोष कुमार विश्वविद्यालय खुलवाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठेंगे।
  • दिनांक 25 फरवरी को रात को आठ बजे ट्विटर पर #Unlock_BHU ट्रेंड कराया जाएगा।
  • दिनांक 25 फरवरी को दोपहर 3 से 5 बजे तक एक पोस्टर वर्कशॉप का आयोजन कराया जाएगा।
  •  26 फरवरी को शाम 4:30 बजे विश्वनाथ मंदिर से मुख्यद्वार तक स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट मार्च का आयोजन किया जाएगा।
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