शिक्षण क्षमता के आकलन के लिए शिक्षकों को देनी होगी परीक्षा, निर्णय के खिलाफ संगठन आंदोलन के राह पर

शिक्षा के दोहरे स्तर को लेकर हमेशा सवाल उठते रहा है। ऐसे में एक बार फिर जब शिक्षण कार्यों में सुधार के लिए समय समय पर शिक्षकों के प्रशिक्षण व उनकी परीक्षा की आवश्यकता जताई जा रही है, शिक्षक संगठन इसका विरोध कर रहे हैं....

Update: 2021-06-25 07:08 GMT

देवरिया से जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

जनज्वार। उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में वर्षों से शिक्षण कार्य में लगे शिक्षक,शिक्षा मित्रों, व अनुदेशको को एक बार फिर परीक्षा से गुजरना होगा। ऑनलाइन परीक्षा के आधार पर शिक्षकों के शैक्षणिक क्षमता का अनुमान लगाया जाएगा। उधर प्रशासन के इस निर्णय के खिलाफ देवरिया में शिक्षक संगठन आंदोलन पर उतर आए हैं। ये प्रशासन के निर्णय को तुगलकी फरमान बताते हुए परीक्षा का बहिष्कार करने का एलान किया है।

बेसिक शिक्षा में सुधार को लेकर शासन के बड़े बजट खर्च करने के बाद भी धरातल पर उत्साह जनक परिणाम नज़र नहीं आ रहा है। हालांकि सरकार से लेकर विभागीय अधिकारी इसको लेकर नए-नए प्रयोग करने में लगे हैं। इसी क्रम में प्रशासन का मानना है कि मिशन प्रेरणा के तहत शिक्षण कार्यों में गुणवत्ता लाने में काफी हद तक सफलता मिलेगी।

इसी क्रम में मिशन प्रेरणा के तहत छह माह पूर्व शिक्षकों को कुछ शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई गई थी। जिसमें आधारशिला, ध्यानाकर्षण व शिक्षण संग्रह नाम की तीन हस्तपुस्तिाकाएं दी गई थी। इसमें आधारशिला पुस्तक के माध्यम से कक्षा एक व दो के बच्चों को बुनियादी ज्ञान तथा ध्यानाकर्षण के माध्यम से बच्चों में दिख रही कमजोरियों को चिन्हित कर उसे दूर करने के तरीके बताए गए हैं। साथ ही शिक्षण संग्रह सरल ढंग से शिक्षण कार्य करने के तरीकों की जानकारी देती है। तीनों पुस्तक सभी शिक्षकों को उपलब्ध कराने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए कई बार कार्यशाला भी आयोजित की गई। अब इन्हें परीक्षा के माध्यम से पूर्व में प्राप्त जानकारी को साबित करना होगा।

30 जून को बीआरसी पर आयोजित होगी परीक्षा

जिलाधिकारी के निर्देश पर जनपद के सभी ब्लाक संशाधन केंद्रों पर शिक्षकों की ऑनलाइन परीक्षा कराने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए अभी 30 जून परीक्षा की तिथि निर्धारित है। एक साथ एक ही दिन इतने शिक्षकों की परीक्षा कैसे कराई जाएगी। इसको लेकर अभी कोई रूपरेखा नहीं तय की गई है। हालांकि अनुमान लगाया जा रहा है कि ब्लाक संशाधन केंद्रों पर उस ब्लाक के सभी शिक्षकों की क्रमवार दिनभर में कई चरणों में परीक्षा कराई जा सकती है। इस परीक्षा को लेकर दो दो घंटे के समय दिए जाएंगे। हालांकि शिक्षकों के विरोध का तेवर देख जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के तरफ से अब तक कोई ठोस कार्ययोजना नहीं तैयार की गई है।

यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि परीक्षा की तिथि टल सकती है। उधर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार राय ने कहा कि यह कोई परीक्षा नहीं है।मिशन प्रेरणा के तहत शिक्षकों को शिक्षण क्रिया के प्रति प्रेरित व प्रोत्साहित करने के मकसद से ऐसे आयोजन किए जाते हैं। इसमें बेहतर प्रदर्शन करनेवाले शिक्षकों को सम्मानित भी किया जाएगा।इस प्रयास को हमारे शिक्षकों को सकारात्मक कदम के रूप में देखना चाहिए। जिससे की शासन के मंशा के अनुसार बच्चों के शैक्षणिक स्तर में गुणात्मक सुधार हो सके है। इसके लिए शिक्षकों के अनुभव व ज्ञान में बढोतरी लाना जरूरी है।

सरल शिक्षण प्रक्रिया अपनाने पर दिया जाते रहा है जोर

बेसिक विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाने को लेकर सरकार द्वारा विभिन्न तरह की योजनाएं चलाई जा रही है। इसके बावजूद भौतिक परिस्थितियां है कि योजना के मुताबिक अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है। छात्रों की नामांकन व उपस्थिति संख्या काफी कम रहती है। जबकि यहां शिक्षकों को योग्यता परीक्षा से गुजरना पड़ता है। प्रशिक्षित शिक्षकों के बावजूद बच्चों की संख्या जहां काम रहती है वही आस पास मौजूद मानको कि अनदेखी कर खोले गए प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की अच्छी संख्या रहती है। जहां आमतौर पर अप्रशिक्षित शिक्षकों की तैनाती रहती है।

शिक्षा के दोहरे स्तर को लेकर हमेशा सवाल उठते रहा है। ऐसे में एक बार फिर जब शिक्षण कार्यों में सुधार के लिए समय समय पर शिक्षकों के प्रशिक्षण व उनकी परीक्षा की आवश्यकता जताई जा रही है, शिक्षक संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। हालांकि विरोध कर रहे शिक्षकों का तर्क है कि यह परीक्षा शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के बजाए उन्हें हतोत्साहित करने का कार्य करेगा। बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक परीक्षा कराना न्याय संगत नहीं है। इसके अलावा शासन स्तर से भी इस तरह का कोई निर्देश प्राप्त नहीं है। यह एक मात्र जिला प्रशासन की मनमानी का नतीजा है।

शिक्षक परीक्षा के विरोध में कर रहे आंदोलन

शिक्षकों का कहना है कि शासन द्वारा तय शिक्षण प्रणाली के विपरित जिला प्रशासन अपनी मनमानी पर तुला है। ऐसे आयोजन राज्य के अधिकांश जिलों में नहीं हो रहे हैं। यह मनमाने तरीके से बिना पूर्व सूचना के अचानक शिक्षको, शिक्षा मित्रों व अनुदेशकों का ऑनलाइन परीक्षा का आदेश जारी कर उन्हें परेशान करने का यह निर्णय है। आंदोलित शिक्षको ,शिक्षा मित्रों व अनुदेशकों का कहना है कि जब बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा ऐसा कोई आदेश निर्गत नही है ,और न ही शिक्षक नियमावली में वर्णित है,कि शिक्षको से चयन उपरांत समय समय पर परीक्षा ली जाए। ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा कोई भी लिया गया निर्णय अमान्य है।

उत्तर प्रदेश जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ, देवरिया का एक शिष्टमण्डल हाल ही में जिलाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह की अध्यक्षता में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार राय से मिलकर मॉड्यूल पर आधारित ऑन-लाइन परीक्षा कराने के विरोध में ज्ञापन सौंपा था।

इस दौरान शिक्षकों ने कहा कि स्थानीय स्तर पर परीक्षा का संचालन कराके विभाग हम शिक्षकों का प्रोत्साहन एवं उत्साहवर्धन न करके पीड़ित करने का कार्य कर रहा है, जबकि सरकार के तरफ से परीक्षा कराने की बाध्यता नहीं है। संगठन उक्त परीक्षा का विरोध और बहिष्कार करता है। जिला प्रशासन द्वारा किसके आदेश पर परीक्षा कराने के आदेश जारी हो रहें है। शिक्षको का स्थानीय स्तर पर परीक्षा कराना न्याय संगत नही है। जिला प्रशासन,द्वारा आयोजित की जा रही परीक्षा उसकी तुगली फरमान है। इस निर्णय को तत्काल वापस लिया जाए।

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