पश्चिम बंगाल ने कहा, मोदी की नई शिक्षा नीति हम लागू नहीं करेंगे, कमियां गिनाई
पश्चिम बंगाल ने एमफिल को खत्म किए जाने पर आपत्ति उठायी है और कहा है कि यह स्पष्ट नहीं है कि इस पर खर्च होने वाला पैसा कहां से आएगा, इसमें केंद्र व राज्य की क्या हिस्सेदारी होगी...
जनज्वार। पश्चिम बंगाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पेश की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने से फिलहाल इनकार कर दिया है। सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में नई शिक्षा नीति को लेकर एक सेमिनार का आयोजन किया गया था। इस सेमिनार का नाम था उच्च शिक्षा के बदलाव में नई शिक्षा नीति की भूमिका पर राज्यपालों का सम्मेलन। इस सेमिनार में पश्चिम बंगाल के शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी भी वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने यह ऐलान किया कि पश्चिम बंगाल केंद्र सरकार द्वारा पेश की गई नई शिक्षा नीति को फिलहाल नहीं अपनाएगा।
पार्थ चटर्जी ने कहा कि नई शिक्षा नीति देश के संघीय ढांचे को कमजोर करती है। उन्होंने सम्मेलन में शास्त्रीय भाषाओं में बांग्ला को शामिल नहीं करने पर भी विरोध जताया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में फिलहाल इस नई शिक्षा नीति को अपनाने का कोई सवाल ही नहीं है, उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सभी पक्षों से विचार-विमर्श किए जाने की जरूरत है।
पार्थ चटर्जी ने कहा कि हमने नई शिक्षा नीति को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज करायी है, क्योंकि यह संघीय ढांचे को कमजोर करता है और राज्यों के भूमिका को कम करता है। उन्होंने कहा कि इस समय कोरोना संक्रमण से लड़ने पर हमारा ध्यान होना चाहिए न कि नई शिक्षा नीति को लागू करने में हड़बड़ी करनी चाहिए।
पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री के अनुसार, बहु भाषा वाले राज्य में नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की रूपरेखा नहीं बतायी गई है। उन्होंने कहा कि एमफिल को समाप्त किया जा रहा है, जिसका हम विरोध करते हैं।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में केंद्रीकरण पर जोर दिया जा रहा है और राज्य की भूमिका कम की जा रही है। पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री का कहना है कि शिक्षा में जीडीपी का छह प्रतिशत निवेश करने की बात कही गई है लेकिन यह नहीं बताया गया है कि यह पैसा कहां से आएगा। उन्हांेंने कहा कि नई शिक्षा नीति को लागू करने में आने वाले खर्च में केंद्र व राज्य की क्या हिस्सेदारी होगी और इसका आर्थिक दायित्व किस पर होगा यह भी स्पष्ट नहीं है।