केरल के इडुक्की में भूस्खलन में 8 लोगों की मौत, 60 लापता
इस इलाके में रहने वाली महिलाएं जहां चाय के बागानों में काम करती हैं, वहीं अधिकांश पुरुष जीप चालकों के रूप में काम करते हैं, गुरुवार देर रात दो निवासियों ने फॉरेस्ट स्टेशन में जाकर हादसे की सूचना दी....
तिरुवनंतपुरम। केरल के पहाड़ी क्षेत्र में पिछले चार दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण इडुक्की जिले के राजामलाई में हुए भूस्खलन में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई है, जबकि 60 लोग अब भी लापता हैं।
गुरुवार देर रात जिस जगह भूस्खलन हुआ वह मुनार के लोकप्रिय पर्यटन स्थल से लगभग 30 किमी दूर है।
अधिकारियों ने बताया कि बचाव कार्य के लिए केरल पुलिस की 200 सदस्यों वाली टीम मौके पर पहुंची थी। यह खबर लिखे जाने तक आठ शव बरामद हो चुके थे और 12 व्यक्तियों को बचाया जा चुका था।
इस इलाके में रहने वाली महिलाएं जहां चाय के बागानों में काम करती हैं, वहीं अधिकांश पुरुष जीप चालकों के रूप में काम करते हैं। गुरुवार देर रात दो निवासियों ने फॉरेस्ट स्टेशन में जाकर हादसे की सूचना दी तब जाकर अधिकारियों को इस बारे में पता चला।
मुनार के एक अस्पताल में भर्ती दीपन ने कहा कि भूस्खलन के बाद से उन्हें उनके पिता, पत्नी और भाई के परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वहीं उनकी मां को गंभीर हालत में कोट्टायम मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया था।
दुख से व्याकुल दीपन ने बताया, 'पिछले 10 दिनों से लगातार बारिश हो रही है। गुरुवार रात 10.30 बजे के आसपास भूस्खलन हुआ। मुझे मेरे पिता, पत्नी और मेरे भाई के परिवार के बारे में कुछ नहीं पता। इस क्लस्टर में तीन पंक्तियों में बने घरों में लगभग 80 लोग रहते हैं। पता नहीं उन सबका क्या हुआ। भूस्खलन में 30 जीपें भी दब गईं हैं।'
केरल सरकार ने घटनास्थल पर हवाई बचाव दल लाने का प्रयास किया, लेकिन खराब मौसम के कारण यह प्रयास नाकाम रहा। हालांकि, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की दो टीमें मौके पर पहुंचने वाली थीं ।
अधिकारियों ने कहा कि यहां सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस क्षेत्र की सभी संचार लाइनें टूट गई हैं और जगह-जगह पेड़ों के उखड़ने के कारण सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं।
इसी जिले के निवासी राज्य के ऊर्जा मंत्री एम.एम. मणि ने कहा, 'भूस्खलन ऐसी जगह पर हुआ था, जहां चाय के मजदूर रहते हैं। यह स्थान एक पहाड़ी के चोटी पर है। स्थानीय विधायक भी मौके पर जा रहे हैं। सभी आपातकालीन सेवाओं को वहां लगा दिया गया है।'
इस बीच, क्षेत्र के निवासी पार्थसारथी ने मीडिया को बताया कि उन्हें तीन कतारों में निर्मित मकानों के बारे में पता है, जिनमें चाय बागानों में काम करने वाले लगभग 80 लोग रहते थे, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि जब भूस्खलन हुआ था तब वहां कितने लोग थे। क्योंकि पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश के कारण कई श्रमिक अपने घरों पर थे।