मकान और जमीनों में भारी दरारों के बाद अब जोशीमठ में हाइटेंशन तारों के खंभे हुए तिरछे, एक कदम और बढ़ा खतरा

Joshimath News : अतुल सती कहते हैं, 'भूस्खलन प्रभावित जोशीमठ के लोग घरों के ढहने के भय से सर्दी की रात खुले आसमान के नीचे बिताने को मजबूर हैं। सरकार सोई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट राजनीतिक गोटियां सेट कर रहे हैं....'

Update: 2023-01-03 09:19 GMT

मकान और जमीनों में भारी दरारों के बाद अब जोशीमठ में हाइटेंशन तारों के खंभे हुए तिरछे, एक कदम और बढ़ा खतरा

Joshimath news : उत्तराखंड का जोशीमठ शहर वैसे तो सांस्कृतिक धार्मिक कारणों से चर्चा में रहता है, मगर इन दिनों चर्चा का कारण है यहां लगातार होने वाला भू धंसाव। यह शहर हर दिन अपने खत्म होने की तरफ बढ रहा है। जनता भारी दहशत में जी रही है। पहले जमीनों और मकानों में दरारें आ रही थीं, अब हाईटेंशन लाइन के खंभे भी तिरछे होने लगे हैं।

लगातार जोशीमठ की जनता की आवाज उठा रहे सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता अतुल सती कहते हैं, 'डीएम का फोन बंद है, एसडीएम छुट्टी चले गये। तहसीलदार के भरोसे आपदा ग्रस्त दरारों, धंसाव से पटा नगर हजारों जनता है। कल रात से दरारें लगातार बढ़ रही हैं, चौड़ी हो रही हैं...' उनका यह बयान अपने आप में किसी बड़ी विपदा की तरफ इशारा कर रहा है।

अतुल सती कहते हैं, 'भूस्खलन प्रभावित जोशीमठ के लोग घरों के ढहने के भय से सर्दी की रात खुले आसमान के नीचे बिताने को मजबूर हैं। सरकार सोई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट राजनीतिक गोटियां सेट कर रहे हैं।'

गौरतलब है कि समुद्र तल से करीब 1800 मीटर की ऊंचाई पर बसा बदरीनाथ धाम का प्रवेश द्वार भारत का स्विटजरलैंड कहे जाने वाले औली का भी मुख्य प्रवेशद्वार है। धार्मिक और मौज मस्ती पर्यटन का केंद्र बिंदु बना जोशीमठ देश दुनिया के पर्यटकों के लिए महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है तो चीन के निकट होने के कारण इसका सामरिक महत्व भी है। इस शहर में जिंदगी की रफ्तार देश के बाकी और शहरों के साथ ही कदम मिलाते हुए चल रही थी, लेकिन कुछ समय पहले से यहां के घरों में अचानक से कुछ दरारें दिखनी शुरू होती हैं। देखते ही देखते घरों से बाहर सड़कों तक पर इन दरारों का उभरना शुरू हो जाता है। मामूली बात समझकर लोग इन दरारों की मरम्मत करते हैं, लेकिन कुछ ही दिन बाद यह दरारें इस बार कहीं और ज्यादा चौड़ी होकर नमूदार होने लगती हैं। पहले यह दरारें इक्का दुक्का घरों की समस्या के तौर पर सामने आती हैं, लेकिन हर दिन गुजरने के साथ में इसमें कुछ और घरों का ऐसा सिलसिला जुड़ता है कि आज यह पूरे जोशीमठ शहर की समस्या बन गई है।

घर, जमीन के बाद बिजली के हाईटेंशन लाइन के खंभे भी तिरछे होने के बाद खतरा लगातार गहराता जा रहा है। जनता डरी सहमी हुई है। खेतों में लगे संतरा, माल्टा और सेब के पेड़ दरार गहरी होने के कारण गिरने शुरू हो गए हैं। नगर के मनोहर बाग वार्ड में सबसे तेज भू-धंसाव होने की खबरें आ रही हैं यहां कई घरों और गोशालाओं में गहरी दरारें दिख रही हैं। डरे हुए लोगों ने दूसरी जगहों पर शिफ्ट करना शुरू कर दिया है।

भू धंसाव से हाईटेंशन लाइन के खंभे तिरछे हो गए हैं। इससे खंभे के आसपास के घरों को खतरा पैदा हो गया है। वहीं भगवती प्रसाद कपरवाण का कहना है कि उनके खेत में लगातार दरार बढ़ने से खेतों में लगाए माल्टे और सेब के पेड़ भी गिरने शुरू हो गए हैं।

अमर उजाला में प्रकाशित खबर के मुताबिक सुनील वार्ड में भी जमीन पर दरारें आनी शुरू हो गई हैं। यहां के प्रकाश रतूड़ी, गोपाल रतूड़ी, विजय, राजेंद्र, कमल, लक्ष्मण, अमित, नितिन सेमवाल, चंडी प्रसाद, सुरेंद्र सेमवाल की जमीनों में दरार आने की खबर है।

ऊर्जा निगम के जेई डीएस पंवार कहते हैं, मनोहर बाग वार्ड से सूचना मिली है कि वहां जमीन धंसने से बिजली के खंभे लटकने लग गए हैं। आज 3 जनवरी को क्षेत्र में जाकर निरीक्षण किया जाएगा, जिसके बाद खतरे की जद में आए खंभे शिफ्ट करने की कार्रवाई की जाएगी।

जानकारी के मुताबिक नगर क्षेत्र में भू धंसाव से प्रभावित मकानों का सर्वे करने के लिए प्रशासन की ओर एक टीम गठित की गयी है, जिसने लगभग 100 मकानों का सर्वे किया है। प्रशासन का दावा है कि नगर पालिका की ओर से भू धंसाव से प्रभावित घरों के हर दिन का डाटा तैयार किया जा रहा है। जहां से भी मकान में दरार आने की सूचना मिल रही है वहां कर्मचारियों को भेजकर उनकी स्थिति को देखने के बाद सूची में दर्ज किया जा रहा है। नगर पालिका के मुताबिक सोमवार 2 जनवरी तक भू धंसाव से प्रभावित मकानों की संख्या जोशीमठ में 586 हो चुकी है।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने जोशीमठ को बचाने की अपील करते हुए एक पत्र सीएम धामी को लिखा था, जिसमें कहा गया था, '20 से 25 हजार की आबादी वाला नगर अनियंत्रित अदूरदर्शी विकास की भेंट चढ़ रहा है । एक तरफ तपोवन विष्णुगाड परियोजना की एनटीपीसी की सुरंग ने जमीन को भीतर से खोखला कर दिया है दूसरी तरफ बायपास सड़क जोशीमठ की जड़ पर खुदाई करके पूरे शहर को नीचे से हिला रही है। एक तरफ जनता पिछले एक साल से अधिक से त्राहि त्राहि कर रही है दूसरी तरफ शासन—प्रशासन मूक तमाशा देखता रहा है। जोशीमठ के स्थानीय प्रशासन ने एक साल में तमाम बार लिखने कहने के बावजूद घरों का सर्वे नहीं किया। दिसम्बर प्रथम सप्ताह में बहुत जोर डालने पर नगर पालिका को प्रभावितों की गिनती करने को कहा गया। अर्थात आपदा आने पर मरने वालों की गिनती करने के निर्देश दिए। नगर पालिका ने आदेश के क्रम में लगभग 3000 लोगों को चिन्हित किया जो आपदा आने पर प्रभावित होंगे। आपदा से बचाव के उपाय करने के बजाय आपदा की प्रतीक्षा करने का यह क्रूर हृदयहीन रवैय्या बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इस राज्य को जिसे अपने बलिदानों से हमने हासिल किया, उसमें जनता को मरने के लिये छोड़ देने का यह अनुपम उदाहरण शायद ही कहीं मिले।'

गौरतलब है कि भारत के सबसे ज़्यादा भूकंप प्रभावित इलाके ज़ोन 5 में शामिल जोशीमठ में भू स्खलन की समस्या यूं तो काफी पुरानी है, लेकिन पिछले साल अक्टूबर की बारिश के बाद से धीरे-धीरे यहां घरों में दरारें पड़नें लगीं। धीरे-धीरे करके दरारें बहुत चौड़ी होने लग गईं। यह शुरुआत एक मुहल्ले छावनी बाजार से हुई। तब क्षेत्र के प्रसिद्ध एक्टिविस्ट अतुल सती ने भविष्य के खतरे को भांपते हुए जोशीमठ के लोगों को आगाह करने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें असफलता हाथ लगी। लोगों की उनकी अतिश्योक्तिपूर्ण लगीं। जब एक के बाद एक कई घरों की हालत ऐसी होने लगी तो लोगों को इसकी गंभीरता समझ में आने लगी।

वर्तमान में लोगो ने मकान ढहने के डर से घरों के लिंटर को रोकने के लिए बल्लियां लगा रखी हैं। कई लोग अनहोनी के डर से लोग अपना मकान भी छोड़ रहे हैं। जोशीमठ के जिस क्षेत्र छावनी बाजार में सबसे पहले इस तरह की दरारें देखी गई तो यहां के लोगों ने संबंधित अधिकारियों को सूचना दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। राज्य के लगभग हर आंदोलन में शामिल होने वाले जोशीमठ के एक्टिविस्ट अतुल सती को पता चला तो वे प्रभावित लोगों को लेकर संबंधित अधिकारियों से मिले, ज्ञापन दिये गये, लेकिन अधिकारी तो दूर जोशीमठ के दूसरे हिस्सों में रहने वालों ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया।

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