अमेरिका राष्ट्रपति चुनावों में ट्रंप नहीं हारे, बल्कि पर्यावरण की हुई है जीत

जो बाइडन और कमला की जीत इस बात का सबूत है कि लोगों ने अपनी आवाज़ उठायी है, और उन्होंने तय किया है कि हम ट्रम्पवाद से उबर चुके हैं, जलवायु परिवर्तन की अनदेखी के दौर से बाहर निकल आये हैं अब जीवाश्म ईंधन निर्माताओं के चंगुल से राजनीतिक व्यवस्था को बाहर निकालने के लिए तैयार हैं....

Update: 2020-11-09 09:16 GMT

जनज्वार। तीन साल पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने जब पैरिस समझौते से हाथ पीछे खींचे थे तब उन्होंने न महज़ एक प्रशासनिक फ़ैसला नहीं लिया था। उन्होंने असल में पूरी दुनिया को जलवायु संकट में झोंका था। उसका असर कुछ ऐसा हुआ कि दुनियाभर में जलवायु नीति पर काम करने वालों में हताशा, और मायूसी ने घर कर लिया।

लेकिन तीन साल बाद, डोनाल्ड ट्रम्प की हार के साथ ही आज उन सभी में जीत की ख़ुशी है। और ये ख़ुशी जो बाइडन की जीत से ज़्यादा इस बात पर है कि अब बाइडन के नेतृत्व में जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ वैश्विक जंग में जीत सम्भावना बढ़ गयी है।

ट्रम्प के जाते ही आखिर अब परिवर्तन की हवा जो चल पड़ी है। बाइडन-हैरिस जीत ने अमेरिका में संघीय जलवायु नीति के एक नए युग का संकेत दिया है। दरअसल बाइडन ने शुरू से ही स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु-अनुकूल बुनियादी ढांचे को अपने आर्थिक सुधार और नौकरियों के कार्यक्रम के मूल स्तंभ बनाया और इस क्षेत्र में $2 ट्रिलियन के निवेश पर अपना कैंपेन चलाया। बिडेन ने चुनावी नतीजों के साफ़ होते ही अमेरिका के लैंडमार्क पेरिस समझौते से वापस जुड़ने के अपने वादे की प्रतिबद्धता फिर से ज़ाहिर भी की।

वैसे पेरिस समझौते से अगर एक बार को बाइडन न भी जुड़ें तो भी उनके पास तमाम ऐसे विकल्प हैं जिनकी मदद से वो पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साबित कर सकते हैं। बाइडन अगर चाहें तो न सिर्फ़ ओबामा-युग की पर्यावरण अनुकूल नीतियां बहाल कर सकते हैं, वो चाहें तो उन्हें मज़बूत भी कर सकते हैं। उन नीतियों में जीवाश्म ईंधन के उत्पादन पर लगाम लगाना और इंधन उपयोग और उपभोग के सख्त नियम शामिल हैं।

बात विदेश नीति की करें तो बाइडन प्रशासन के पास विदेशी नीति में जलवायु संबंधी विचारों को शामिल करने की काफी छूट होगी। बाइडन न सिर्फ़ शिपिंग और एविएशन उत्सर्जन पर लगाम कसने के लिए एक वैश्विक प्रयास का नेतृत्व कर सकते हैं, वो जीवाश्म ईंधन सब्सिडी और आर्कटिक में अपतटीय ड्रिलिंग पर रोक लगाने के लिए भी वैश्विक प्रयास कर सकते है।

बाइडन विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी वापस अमेरिका के सम्बन्ध स्थापित कर सकते हैं और जलवायु परिवर्तन की दिशा में अपने कार्यों को पुनर्निर्देशित कर सकते है। एक बहस के दौरान उन्होंने संकेत भी दिया था कि वो न सिर्फ़ ब्राज़ील के साथ अमेज़न वन को आग से बचाने के लिए बात कर सकते, वो यूरोपीय यूनियन के साथ भी इस मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार हैं।

यहाँ पर बिडेन की टीम में होने वाली नियुक्तियों की बात भी ज़रूरी है। ऐसा माना जा रहा है कि बाइडन की आमद यह सुनिश्चित करेगी कि बाइडन प्रशासन अगर एक ओर जलवायु चैंपियन नियुक्त करे तो दूसरी ओर जीवाश्म ईंधन उद्योग से संबंध रखने वालों से दूरी भी बनाए। ट्रेजरी, एनर्जी, इंटीरियर, और ईपीए सभी महत्वपूर्ण चयन होंगे, लेकिन हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट, स्टेट, डिफेंस और लेबर सभी को जलवायु शासन पर महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। फेड द्वारा और वित्त उद्योग विनियमन में निर्धारित नीतियां निजी क्षेत्र को विशेष रूप से प्रभावित कर सकती हैं, खुस तौर से इसलिए क्योंकि यह नीतियां बैंकों और जीवाश्म ईंधन कंपनियों की जवाबदेही तय करेंगी।

कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि बाइडन एक क्लाइमेट लीडर नियुक्त कर सकते हैं या फिर एक जलवायु परिषद भी बना सकते हैं।

वैसे भी नई नीतियों को बनाने की तुलना में नीतियों को पूर्ववत करना ज़्यादा आसान है खुस तौर से तब जब कम संघीय कार्यबल के साथ, जो ट्रम्प प्रशासन के दौरान लगातार आलोचना भी झेलता रहा है और गंभीर रूप से कम मनोबल, समझ और ब्रेन ड्रेन से ग्रस्त है। यह तय है कि EPA (ईपीए) और ऊर्जा विभाग जैसी एजेंसियों के कर्मचारियों को राष्ट्रपति या कांग्रेस द्वारा निर्देशित लेखन, कार्यान्वयन और विनियम लागू करने के साथ और अन्य जलवायु संबंधी कार्यों का काम सौंपा जाएगा। नए प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य महत्वाकांक्षी नीतियों को पूरा करने के लिए इन एजेंसियों के भीतर क्षमता को पुनर्जीवित करना होगा।

आगे बात नए कानून बनाने की करें तो हालाँकि सीनेट पर रिपब्लिकन नियंत्रण कुछ मुश्किलें खाड़ी करेगा लेकिन फिर भी पर्यावरण अनुकूल नीतियों को शामिल करने के प्रयासों में बढ़ोतरी अपेक्षित है। सदन में डेमोक्रेटस और सीनेट में उदारवादी रिपब्लिकन के साथ काम करते हुए, नए प्रशासन से स्वच्छ ऊर्जा टैक्स क्रेडिट, रिन्यूएबल जेनेरशन, ऊर्जा भंडारण और कार्बन कैप्चर प्रौद्योगिकियों का विस्तार करने की अपेक्षा है। इमारतों, परिवहन और उद्योग में ऊर्जा दक्षता के उपायों पर भी विचार किए जाने की संभावना है।

अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पीपल और प्लेनेट के लिए अधिवक्ता और 350.org की उत्तरी अमेरिका निदेशक, तमारा टोल्स ओ'लॉलिन, का कहना है, " जो बाइडन की जीत हमारे लिए एक अवसर है पर्यावरण के लिए कुछ बेहतर करने का।"

उसी तर्ज़ पर क्लाइमेट इक्विटी के लिए वरिष्ठ अभियान रणनीतिकार, एड्रियन सालाज़ार कहते हैं, "जो बाइडन और कमला की जीत इस बात का सबूत है कि लोगों ने अपनी आवाज़ उठायी है, और उन्होंने तय किया है कि हम ट्रम्पवाद से उबर चुके हैं, जलवायु परिवर्तन की अनदेखी के दौर से बाहर निकल आये हैं अब जीवाश्म ईंधन निर्माताओं के चंगुल से राजनीतिक व्यवस्था को बाहर निकालने के लिए तैयार हैं। अब हम सब को एक बेहतर भविष्य का इंतजार है।"

-Climate कहानी

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