उत्तराखंड की नदियों में मशीन से खनन पर लगी रोक, उच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला देते हुए भेजा सभी जिलाधिकारियों को पत्र
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने याचिका में उठाए गए सवालों को वाजिब मानते हुए तत्काल प्रभाव से उत्तराखंड की सभी नदियों में मशीनों से खनन पर रोक लगा दी...
Nainital news : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहे खनन कारोबार पर गहरी चोट करते हुए उत्तराखंड की सभी नदियों में हो रहे मशीनों से खनन पर रोक लगा दी है। इस संबंध में कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 21 दिन के बाद 12 जनवरी को तय करते हुए कोर्ट ने खनन सचिव से नदियों और पट्टे के खनन की रॉयल्टी की विषमताओं पर शपथ पत्र के माध्यम से जवाब भी तलब किया है।
जानकारी के अनुसार अनुसार हल्द्वानी के हल्दूचौड़ निवासी गगन परासर व अन्य ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में मशीनों से खनन की अनुमति नहीं है। लेकिन उसके बाद भी उत्तराखंड की नदियों में भारी मशीनों के साथ खनन किया जा रहा है। जबकि खनन नियमावली में मैनुअली खनन की अनुमति है, इसलिए मशीनों से हो रहे इस अवैध खनन पर रोक लगाई जाए।
याचिकाकर्ता ने नदियों की सरकारी व पट्टों के माध्यम से होने वाले प्राइवेट खनन की रॉयल्टी दरों में भिन्नता का मुद्दा भी उठाते हुए कहा था कि वन निगम की वेबसाइट पर 31 रुपया प्रति कुंतल और प्राइवेट में 12 रुपया प्रति कुंतल रॉयल्टी निर्धारित है, जिसकी वजह से प्राइवेट खनन कारोबारी कम टैक्स दे रहे हैं, जबकि सरकार ज्यादा दे रही है जिससे सरकार को घाटा हो रहा है। रॉयल्टी की इस विषमता के कारण प्राइवेट खनिज सस्ता होने की वजह से लोग प्राइवेट खनन कारोबारियों से उप खनिज खरीद रहे हैं। याचिका में सरकारी व प्राइवेट में एक समान रॉयल्टी दरें निर्धारित करने की मांग की गई थी।
सोमवार 19 दिसंबर को इसी याचिका पर मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने याचिका में उठाए गए सवालों को वाजिब मानते हुए तत्काल प्रभाव से उत्तराखंड की सभी नदियों में मशीनों से खनन पर रोक लगा दी। इसके अलावा सरकारी व प्राइवेट खनन की रॉयल्टी दरों में भिन्नता पर हाईकोर्ट ने सचिव खनन से पूछा है कि वन विकास निगम की वेबसाइट पर प्रति कुंतल रॉयल्टी 31 रूपया और प्राइवेट खनन वालों की वेबसाइट पर 12 रुपया प्रति कुंतल रॉयल्टी कैसे है।
न्यायालय ने इसका जवाब 21 दिन बाद 12 जनवरी तक शपथपत्र के माध्यम से देने को कहा है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को नदियों के तट पर खनन कार्य में लगी सभी मशीनों को भी तत्काल सीज करने के आदेश भी दिए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी को होगी।