अब सूरज को काबू करना चाहते हैं बिल गेटस, तेजी से हो रहा है इस पर काम

इस प्रोजेक्ट में ऊंचाई पर उड़ने वाले बैलूनों का उपयोग किया जाएगा और ऐसे पदार्थों का छिड़काव किया जाएगा जिससे सूर्य की तेज किरण पृथ्वी की जगह अन्य जगहों पर परिवर्तित हो जाएं...

Update: 2021-01-24 08:57 GMT

जनज्वार। जनज्वार। माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेटस हमेशा किसी न किसी कारण से चर्चा में रहते हैं। दुनिया के सबसे बड़े पूंजीपतियों में शुमार बिल गेट्स अब सूरज की रोशनी को काबू करना चाहते हैं, जिस पर तेजी से काम चल रहा है। उनका कहना है कि इससे दुनिया पर सूरज की किरणों से जो दुष्प्रभाव पड़ते हैं, उसे बचेगी और ग्लो​बल वार्मिंग भी नहीं होगी।

आप सूरज को उंगली से नहीं ढक सकते हैं, लेकिन हो सकता है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में के साथ यह संभव हो। फोर्ब्स के अनुसार, बिल गेट्स एक प्रोजेक्ट को फंड कर रहे हैं जो पृथ्वी को ठंडा रखने के लिए सूरज की रोशनी को मंद कर देगा।

स्ट्रैटोस्फेरिक कंट्रोल्ड डिस्टर्बेंस एक्सपेरिमेंट (Stratospheric Controlled Disturbance Experiment) नाम के इस शोध को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया है जिसका उद्देश्य सूर्य के प्रकाश को हमारे ग्रह से बाहर कहीं परिलक्षित कर दिया जाए।

यह समाधान गैर विषैले कैल्सियम कार्बाेनेट (non-toxic calcium carbonate - CaCO3) के वातावरण में टनों छिड़काव से संभव हो सकेगा। स्कोपेक्क्स स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल की समझ को आगे बढ़ाने के लिए एक वैज्ञानिक प्रयोग है जो सौर जियोइंजीनियरिंग के लिए लाभप्रद हो सकता है। ऐसे इस प्रोजेक्ट में उल्लेख है।

यह प्रोजेक्ट ऐसे परीक्षणों से आरंभ होगा जिसमें वैज्ञानिक उपकरणों से युक्त गुब्बारे को अंतरिक्ष में छोड़ेंगे, जो CaCO3 स्प्रे नहीं करेगा, लेकिन गतिशीलता के परीक्षण और आपरेटिंग सिस्टम का पता लगाने के लिए काम करेगा।

इस परियोजना को लेकर बताया गया है कि इसके तहत वातावरण में लगभग 20 किमी दूर तक उच्च ऊंचाई वाला गुब्बारा के जरिए इंस्ट्रूमेंट पैकेज को उठाने की योजना बनायी गयी है। जब यह एक बार अंतरिक्ष में अपनी जगह पहुंच जाएगा तो कम मा़त्रा में पदार्थ को वायु द्रव्यमान बनाने के लिए लगभग एक किलोमीटर लंबा और 100 मीटर के व्यास में छोड़ा जाएगा। फिर उसी बैलून का उपयोग एयर मास में बदलाव, वामुमंडलीय रसायन और प्रकाश प्रकीर्णन को नापने के लिए प्रयोग किया जाएगा। 

फोर्ब्स के अनुसार, इस परियोजना के विरोधी वैज्ञानिकों का मानना है कि सौर जियो इंजीनियरिंग मौसम के चरम परिवर्तन व टाला नहीं जा सकने वाला बदलाव ला सकता है, जो वर्तमान वार्मिंग ट्रेंड से अलग नहीं होगा।

वे यह भी व्याख्या करते हैं कि पर्यावरणविदों को डर है कि यह नाटकीय बदलाव ग्रीन हाउस गैसों के खतरों को बढाने वाला बन जाएगा जो वर्तमान उपभोग पैटर्न में बिना किसी भिन्नता के उत्सर्जित होना जारी रहेगा।

(https://www.entrepreneur.com/ पर प्रकाशित मूल आलेख से साभार अनूदित, मूल स्टोरी को पढने के लिए लिंक को क्लिक करें।)

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