कार्बन मुक्त नेट ज़ीरो अर्थव्यवस्था के लिए 10 में से 8 बिजनेस लीडर्स सख्त नियमों के पक्ष में, सर्वे में हुआ खुलासा
700 से अधिक सीईओ और अनुभवी व्यवसायिक लीडर्स के बीच किए गए सर्वे में 80% इससे सहमत थे कि जलवायु परिवर्तन की स्थितियों का सामना करने के लिए सरकारी नीतियां आवश्यक हैं, वहीं 70% का मानना है कि उनकी अपनी कंपनियों में भी नेट जीरो लक्ष्यों को हासिल करने के लिए विनियम आवश्यक व महत्वपूर्ण है...
दुनिया के पांच महाद्वीपों के 10 में 8 बड़े बिजनेस लीडर्स का मानना है कि 'नेट जीरो' के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने और अर्थव्यवस्था को व्यापक तौर पर कार्बनमुक्त बनाने के लिए सशक्त नियमों की जरूरत है। यह निष्कर्ष हाल में ही किए गए एक सर्वे से निकलते हैं।
कैम्ब्रिज इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबिलिटी लीडरशिप (CISL) का YouGov द्वारा जारी नया बिजनेस सर्वे कहता है कि बिजनेस समूहों को लगता है कि उनके पास 'नेट जीरो' को लेकर रणनीति और योजनाओं के साथ ही इसके अमल के लिए पर्याप्त धन की भी व्यवस्था है, लेकिन इस संदर्भ में स्पष्ट सरकारी नीतियों का बड़ा अभाव है।
सर्वे में सात देशों : ब्राजील, जापान, भारत, यूके, यूएस, जर्मनी, साउथ अफ्रीका को शामिल किया गया था। नेट जीरो रेगुलेशन का बिजनेस समूहों ने मजबूती से समर्थन किया है। 10 में से 8 व्यवसायिक समूहों का कहना है कि उन्हें अपनी 'नेट जीरो' योजनाओं के अमल के लिए विनियमों की जरूरत है। 10 में 7 का कहना है कि नेट जीरो को लेकर उनके पास कुछ न कुछ खाका अवश्य है। वहीं 65% कहते हैं कि उनके पास इसके लिए पर्याप्त निवेश तो है, लेकिन सही नीतियों के अभाव में कंपनियां अपनी नेट जीरो योजनाओं का जमीनी क्रियान्वयन नहीं कर पाएगी।
एक नज़र आईपीसीसी मिटिगेशन रिपोर्ट पर
इस वर्ष की आईपीसीसी मिटिगेशन रिपोर्ट कहती है 'उत्सर्जन को गंभीरता से कम करने के लिए नीतियों, विनियमों, एवं बाजार तंत्र को विकसित करने की प्रक्रिया तेज करनी चाहिए'। इसके आलोक में देखे तों अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, भारत में बिजनेस सर्वे यह इशारा करता है कि व्यवसायिक समूहों ने नेट जीरो रणनीतियों को विकसित करने में उल्लेखनीय प्रगति दिखायी है, लेकिन इसको अमली जामा पहनाने में अभी भी बड़ी बाधाएं हैं, इन देशों में नीतियों एवं विनियमों में स्पष्टता का अभाव भी इसमें एक है।
सीईओ का नज़रिया
700 से अधिक सीईओ और अनुभवी व्यवसायिक लीडर्स के बीच किए गए सर्वे में 80% इससे सहमत थे कि जलवायु परिवर्तन की स्थितियों का सामना करने के लिए सरकारी नीतियां आवश्यक हैं, वहीं 70% का मानना है कि उनकी अपनी कंपनियों में भी नेट जीरो लक्ष्यों को हासिल करने के लिए विनियम आवश्यक व महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त 70% का कहना है कि उनके पास किसी न किसी प्रकार का नेट जीरो की योजना व खाका तैयार है, वहीं, 80% का कहना है कि उनके पास नेट जीरो महत्वाकांक्षाओं को हासिल करने के लिए आवश्यक सभी जरूरी निवेश मौजूद हैं।
विशेषज्ञों की राय
यूएन सेक्रेटरी जनरल के गैर राज्यों के नेट जीरो उत्सर्जन प्रतिबद्धताओं पर उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह की अध्यक्ष कैथरीन मैककेना ने कहा: सर्वेक्षण के अनुसार, यूके में नेट जीरो प्रतिबद्धताओं के लिए सशक्त समर्थन है, आधी से अधिक कंपनियों के पास पहले से ही किसी न किसी रूप में नेट जीरो प्लान मौजूद है। यूके में सर्वेक्षण में शामिल 80% से अधिक प्रतिभागियों का मानना है कि ऊर्जा अंगीकरण के लिए आवश्यक परिवर्तन लाने के लिए सरकारी नीतियों की आवश्यकता होगी, वहीं 50% से कम प्रतिभागी मानते हैं कि व्यवसाय आवश्यक परिवर्तनों का वाहक बनेगा।
यूके में सर्वेक्षण में शामिल 60% से अधिक व्यवसायिक समूहों का मानना है कि जलवायु संकट से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी समाधान प्रदान करेगी, जो सर्वेक्षण में शामिल अन्य सभी देशों (75%) की तुलना में कम है। ब्रिटेन के 50% से अधिक व्यवसायिक समूहों ने अपनी कंपनी की नेट जीरो महत्वाकांक्षाओं के समर्थक के लिए विनियमों में परिवर्तन पर भरोसा जताया है। लगभग इतने ही प्रतिभागियों (52%) का कहना है कि उनके पास अपने नेट जीरो अपेक्षाओं को प्राप्त करने के लिए आवश्यक निवेश उपलब्ध है। वहीं, 57% इसको लेकर स्पष्ट हैं कि नेट जीरो अंगीकरण लक्ष्यों के लिए उनके पास कौन से संभावित वित्तीय या आर्थिक विकल्प हैं।
यह सर्वेक्षण नए प्रधानमंत्री के तौर पर लिज ट्रिस की घोषणा के पहल और यूके कंजर्वेटिव लीडरशिप कांटेस्ट के दौरान किया गया था।
बात भारत की
नीतियों एवं प्रौद्योगिकी के स्तर पर उपजी बाधाओं के मामले में भारत में भी बड़े बिजनेस लीडर्स व समूह सर्वेक्षण में शामिल अन्य देशों के ही समकक्ष खड़े हैं। 92% बिजनेस प्रमुखों ने अपने नेट जीरो प्लान को पूरा करने के लिए नीतियों व विनियमों में बदलावों पर ही भरोसा जताया है। इसके अतिरिक्त, प्रौद्योगिकी नवाचार की कमी भी एक प्रमुख बाधा के तौर पर सामने आती है। 87% का कहना है कि वे अपनी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए उन इनोवेशन पर निर्भर हैं जो अभी तक बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। बहरहाल, निजी क्षेत्र पहले से ही नेट जीरो रणनीतियों के क्रियान्वयन पर आगे बढ़ रहा है। 70% भारतीय व्यवसाय समूहों के पास इसके लिए कार्ययोजना है, और बिजनेस लीडर्स संगठनात्मक बाधाओं को लेकर कोई खास चिंतित नहीं हैं। मात्र 45% ऐसा सोचते हैं कि उनकी नेट जीरो महत्वाकांक्षाओं को लिए संगठनात्मक बाधाओं से निपटने की आवश्यकता है।
सर्वेक्षण से यह भी भी पता चलता है कि कम कार्बन अंगीकरण से पैदा होने वाले आर्थिक अवसर को लेकर भी बिजनेस लीडर्स में स्पष्टता है। भारतीय व्यवसाय जलवायु संबंधी खतरों (37%) की तुलना में अंगीकरण (65%) द्वारा निर्मित आर्थिक संभावनाओं से कहीं अधिक संचालित होते हैं। इसके अतिरिक्त, 72% के पास अपनी नेट जीरो महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक सभी या लगभग जरूरी निवेश हैं, जो जापान (29%) या यूके (52%) जैसे समृद्ध देशों में सर्वे में शामिल अन्य समूहों की तुलना में बहुत अधिक है। व्यवसायों के लिए कौन से संभावित फंडिंग विकल्प उपलब्ध हो सकते हैं, इस पर भी बहुत अधिक स्पष्टता है। मसलन भारत में 75% भागीदार इसको लेकर स्पष्ट है, जबकि सभी देशों को मिलाकर यह औसतन 47% है।
-Climateकहानी