झारखंड में लगातार बढ़ रहा हाथियों का आतंक, दो सालों में गयी 207 लोगों की जान—बड़ी संख्या में घरों को किया बर्बाद

गांव में हाथियों के आने की सूचना वन विभाग को ग्रामीणों द्वारा दी जाती है और वन विभाग के कर्मी भी आते हैं, लेकिन वे भी हाथी को भगाने में असमर्थ रहते हैं। वन विभाग की इस असफलता से गांव के लोग और भी भयभीत दिख रहे हैं....

Update: 2023-07-30 16:00 GMT

झारखंड में लगातार बढ़ रहा हाथियों का आतंक, दो सालों में गयी 207 लोगों की जान—बड़ी संख्या में घरों को किया बर्बाद

विशद कुमार की रिपोर्ट

Elephant horror in Jharkhand : झारखंड में 2020 से 2022 तक हाथियों ने 207 लोगों को मार डाला है। 2020-21 में 74 और 2021-22 में झारखंड के 133 लोग हाथियों के गुस्से का शिकार हुए हैं। वहीं इस बीच बिजली विभाग की लापरवाही के कारण बिजली के करेंट लगने से लगभग 20 हाथियों की मौत झारखंड में हुई है। हाथियों के हमले से लोगों की जानें तो जाती ही हैं, लेकिन कभी कभी रात में उनके हमलों से लोगों के घर भी क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।

हाल ही में राज्य के कोल्हान प्रमंडल क्षेत्र के सरायकेला- खरसावां जिला अंतर्गत चौका थाना क्षेत्र के कुरली गांव के दुखनी महतो के घर को 27 जुलाई की रात हाथियों ने गिरा दिया और घर में रखे धान खा गये। घर में सो रहे परिवार के लोगों ने कोने में दुबक कर किसी तरह अपनी जान बचायी। हाथियों के इस उत्पात के बाद गांव के लोगों में आज भी दहशत का माहौल है। हाथियों ने केवल घर ही नहीं तोड़ा बल्कि घर के सारे सामान को तहस-नहस कर दिया और घर में रखे अनाज का एक-एक दाना खा गये।

वहीं उसी रात प्रमंडल के पश्चिमी सिंहभूम जिले के जगन्नाथपुर थाना अंतर्गत मातगुटू गांव में जंगली हाथी ने चंद्रमोहन कराई के कच्चे मकान को भी तोड़ दिया। हाथी के हमले के वक्त चंद्रमोहन का परिवार (तीन सदस्य) अंदर सो रहे थे। घर में तीन बकरियां, एक बैल व एक बाइक थी।

चंद्रमोहन ने बताया वह खाना खाकर कमरे में सोया था कि रात के 12 बजे अचानक जोरदार आवाज हुई। घर के अगले भाग के छप्पर और दीवारें गिरने लगीं। हाथी चिंघाड़ते हुए घर को तोड़ रहा था। मैं अपने बच्चों और पत्नी को लेकर पीछे के कमरे में चले गया। हाथी ने घर के अगले भाग को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। आस-पड़ोस के लोगों ने किसी प्रकार से हाथी को भगाया। घर के अंदर तीन बकरियां, एक बैल और एक बाइक सुबह तक फंसी रही। हमने रातभर खौफ में जागकर बितायी। सुबह पीछे के घर से बाहर निकला। ग्रामीणों ने बताया हाथी महालिमुरु जंगल की ओर से आया था। खदेड़ने पर पुन: उसी ओर चला गया। घटना के बाद ग्रामीणों ने घटना की सूचना वन विभाग को दी।

दूसरी तरफ पूर्वी सिंहभूम जिला के बहरागोड़ा प्रखंड अंतर्गत मानुषमुड़िया पंचायत के धानघोरी गांव में हाथियों ने एक विद्यालय की खिड़की तोड़कर अंदर रखे लगभग एक क्विंटल चावल को खाने के साथ साथ बर्बाद कर दिया। हाथियों के इस उत्पात से पूरे क्षेत्र के लोग दहशत में हैं।

धानघोरी गांव में जंगली हाथी ने उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय के रसोई घर की खिड़की तोड‍़ दी। अंदर रखे एक क्विंटल चावल खाकर और छींटकर बर्बाद कर दिया। विद्यालय के प्रधानाचार्य रामचंद्र सिंह ने बताया कि रात के करीब एक बजे हाथी गांव में घुसा। स्कूल के रसोई घर की खिड़की तोड़कर तीन बोरियों में रखे एक क्विंटल चावल खा गया। ग्रामीणों ने मशाल जलाकर हाथी को खदेड़ा।

दूसरी ओर एक हाथी ने मानुषमुड़िया में मुख्य सड़क के किनारे निगमानंद आश्रम की चहारदीवारी तोड़ दी। आश्रम के मुख्य गेट को तोड़कर घुसा और पीछे की चहारदीवारी तोड़कर बाहर निकाल गया। वहीं हाथियों ने कुरली गाव में मंगलराम महतो, महादेव महतो, उमेश महतो, संतोष महतो, सुशेन महतो, मेघनाथ महतो, विनोद महतो के खेतों में धान का बिचड़ा रौंदकर कर बर्बाद कर दिया। ग्रामीणों ने बताया कि जंगली हाथियों की संख्या चार है। चारों हाथी देर रात गांव में घुसे, इस समय लोग अपने घरों में सो रहे थे। हाथियों की चिंघाड़ सुनकर ग्रामीण भय से घरों में दुबके रहे। गांव में उत्पात मचाने के बाद हाथी वापस मारांगहारांग पहाड़ पर चले गये। हाथी को भगाने में ग्रामीण रात भी परेशान रहे।

गांव में हाथियों से हुए नुकसान की सूचना पाकर 28 जुलाई को वनरक्षी सुभाष मछुआ कुरली गांव में पहुंचे। यहां नुकसान का जायजा लिया. हाथी प्रभावित लोगों को मुआवजा देने का आश्वासन दिया

ग्रामीण बताते हैं कि इस इलाके में पिछले कई महीनों से जंगली हाथियों ने उत्पात मचा रखा है। हाथियों के उत्पात के कारण ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया है। जंगली हाथी अब तक कई स्कूलों को भी निशाना बना चुका हैं।

कहना ना होगा कि राज्य के कई इलाकों में हाथियों का आतंक लगातार जारी है। अचानक जंगल से गांव की तरफ हाथियों के आने से ग्रामीण इलाकों में लोग दहशत में रहने लगे है। गांवों की ओर आने वाले हाथियों के सामने जब भी कोई दिख जाता है, हाथी उस हमला कर बैठते हैं और जान से मार देते हैं। वहीं गांव पहुंचकर फसलों, घरों और घरों में रखे अनाजों को बर्बाद कर दे रहे हैं। जिससे लोग घर और बाहर दोनों जगह आसुरक्षित महसूस करने लगे है।

हाल ही में हजारीबाग जिले के ग्रामीण इलाके में एक हाथी ने जमकर आतंक मचाया। जिले के दारू, कटकमदाग सहित मुफस्सिल थाना क्षेत्र के कई गांवों में जंगली हाथियों का आंतक पिछले एक महीने से लगातार जारी है। हाथियों के आतंक से गांव वाले डरे सहमे से रहने लगे हैं। पिछले दिनों अपने झुंड से बिछड़ा एक हाथी ने क्षेत्र के कई गांवों की फसलों को बर्बाद कर दिया। कई लोगों के घरों को तोड़ दिया। एक आदमी को पटक पटक कर मार दिया।

गांव में हाथियों के आने की सूचना वन विभाग को ग्रामीणों द्वारा दी जाती है और वन विभाग के कर्मी भी आते हैं, लेकिन वे भी हाथी को भगाने में असमर्थ रहते हैं। वन विभाग की इस असफलता से गांव के लोग और भी भयभीत दिख रहे हैं।

ऐसी घटनाएं इस बात को साबित करती हैं कि जंगल में रह रहे इन जानवरों के जीवन में खलल पड़ रहा है, उन्हें न तो उचित खाना मिल पा रहा है और न ही वे खुद को जंगल में खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। यही वजह है कि वे गांवों की ओर रुख कर दे रहे हैं।

ऐसे में सवाल उठना लाज़मी हो जाता है कि जंगलों से जानवर मानव आबादी की ओर क्यों आ रहे हैं? वे इतने आक्रामक क्यों हो गये हैं? जवाब साफ है, झारखंड वन और पहाड़ों का प्रदेश है। जहां जंगल में नक्सल उन्मूलन के नाम पर सुरक्षा बलों द्वारा सर्च अभियान के दौरान मुठभेड़ में फायरिंग वगैरह होती रहती हैं, वहीं कई क्षेत्रों में लकड़ी माफियाओं द्वारा अवैध रूप से जंगल की कटाई भी जारी है। दूसरी तरफ पहाड़ों पर उत्खनन हो रहा है। कुछ वैध उत्खनन है तो ज्यादातर अवैध। उत्खनन के लिए विस्फोटक का इस्तेमाल होता है, जो जंगली जानवरों की शांति में खलल डालता है, जिससे डरे सहमे ये बेजुबान जंगलों से बाहर निकलने को बाध्य हो जाते हैं।

बता दें कि राज्य में दर्जनों पहाड़ उत्खनन के कारण खत्म हो चुके हैं। पहाड़ की जगह अब समतल जमीन हो गयी है। इसकी वजह से पहाड़ों से निकलने वाली नदियां सूखने के कगार पर हैं। नक्सल और सुरक्षा बलों की जंगलों में गतिविधियां भी इनके चैन में खलल डालती हैं। जंगलों की कटाई भी इनके आवास के लिए बड़ी समस्या है। यही वजह है कि गुस्से में जानवर अब जंगल छोड़ गांवों की ओर आ रहे हैं। अतः ऐसे में भालू, तेंदुआ और हाथी के हमले झारखंड के लिए अब नयी बात नहीं रह गई हैं।

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