काजीरंगा नेशनल पार्क में बाढ़ के कारण 116 जानवरों की मौत, 143 बचाए गए

वन विभाग और काजीरंगा पार्क के अधिकारियों ने कहा कि कई बाघ और गैंडे अपने आवासों में बाढ़ के कारण भटककर आसपास के गांवों और ऊंचे स्थानों पर चले गए, पार्क का 430 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का 90 प्रतिशत हिस्सा अब बाढ़ से प्रभावित है....

Update: 2020-07-21 15:08 GMT

गुवाहाटी। असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 90 प्रतिशत से अधिक भूमि और वन क्षेत्र बारिश के पानी से भर गए और डूबने या वाहन की चपेट में आने के कारण अब तक कम से कम 116 जंगली जानवर जान गंवा चुके हैं, जबकि 143 जानवरों को बचाया गया है। अधिकारियों ने मंगलवार यह जानकारी दी।

वन विभाग और काजीरंगा पार्क के अधिकारियों ने कहा कि कई बाघ और गैंडे अपने आवासों में बाढ़ के कारण भटककर आसपास के गांवों और ऊंचे स्थानों पर चले गए। पार्क और असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के अधिकारियों ने कहा कि पार्क का 430 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का 90 प्रतिशत हिस्सा अब बाढ़ से प्रभावित है। काजीरंगा के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-37 पर वाहनों की आवाजाही अवरुद्ध हो गई है।

अधिकारियों के अनुसार, 11 गैंडे, 88 पाढ़ा, सात जंगली सूअर, चार जंगली भैंस, दो बारहसिंगा, दो साही और एक सांभर और एक अजगर अब तक बाढ़ के पानी में डूबकर या राष्ट्रीय राजमार्ग-37 पर वाहनों की चपेट में आकर मरे हैं। बचाए गए जानवरों में से 110 पाढ़ा, चार बाघ, दो गैंडे, 17 अजगर और तीन कछुए हैं।

अधिकारियों ने कहा कि 16 पाढ़ा ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया, जबकि 117 जानवरों को इलाज के बाद वन क्षेत्र में छोड़ दिया गया। पार्क के निदेशक पी. शिवकुमार ने कहा कि पार्क क्षेत्रों में बढ़ते जल स्तर ने तीन बाघों को कंडोलिमारी गांव और आसपास के क्षेत्रों में भटकने के लिए मजबूर किया था।

शिवकुमार ने आईएएनएस को फोन पर बताया, "इसके बाद, बाघों को पहले ही पार्क क्षेत्र में वापस खदेड़ दिया गया है। पूरे काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में जानवरों की देखभाल के लिए सभी प्रयास किए गए हैं।" 1908 में बना काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान 2,200 से अधिक एक सींग वाले भारतीय गैंडों का घर है, जो दुनिया की कुल आबादी का लगभग दो-तिहाई है। 

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