पर्यावरण का लेकर बढ़ी जागरुकता, देश के 10 में से 7 नागरिक जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को लेकर चिंतिंत

सीवोटर जीएमआरए हैप्पीनैस ट्रेकर के द्वारा किए गए सर्वे में आधे से ज्यादा लोगों ने सहमति जताई कि वह पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे भविष्य के लिए डराते हैं.....

Update: 2020-07-07 01:30 GMT

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नई दिल्ली। आईएएनएस सीवोटर जीएमआरए हैप्पीनैस ट्रेकर को भारतीयों की खुशी जानने के लिए विकसित किया जा रहा है। किए गए सर्वे में कुछ रूचिकर तथ्य निकल कर सामने आए हैं। जलवायु और पर्यावरण संबंधी मामलों में, लगभग आधे से ज्यादा लोग इस सवाल पर सहमति जताते हैं कि 'क्या जलवायु और पर्यावरणीय मुद्दे आपके भविष्य को लेकर आपको डराते हैं?'

सर्वे में लिंग आधारित अंतर स्पष्ट रूप से दिखा, जिसमें 59.5 प्रतिशत महिलाओं का मजबूती के साथ यह मानना था कि वह अपने भविष्य पर जलवायु बदलाव और पर्यावरणीय मुद्दों के पड़ने वाले प्रभाव को लेकर डरी हुईं हैं जबकि केवल 47.5 प्रतिशत पुरुष उत्तरदाताओं को ऐसा मानना था।

जैसा कि अनुमान था, पीढ़ीगत अंतर भी इस सर्वे में देखने को मिला। केवल 36.7 प्रतिशत उम्रदराज (60 वर्ष या इससे ऊपर के वरिष्ठ नागरिक) ही इस बात से सहमत थे कि वे अपने भविष्य में पर्यावरणीय बदलाव को लेकर डरे हुए हैं। जबकि इस सर्वे में 58.4 प्रतिशत युवाओं(24-45 उम्र) ने इस बात पर सहमति जताई कि वे इस बाबत डरे हुए हैं।

वहीं 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र के कुल 19 प्रतिशत लोग अपने भविष्य पर जलवायु बदलाव के प्रभाव को पूरी तरह नकारते हैं, जबकि 24 से 45 वर्ष के आयु समूह के 12.5 प्रतिशत लोगों ने पूरी तरह से सहमति जताई कि वे जलवायु बदलावों के पड़ने वाले प्रभावों को लेकर चिंतित नहीं हैं।

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जब उत्तरदाताओं के शैक्षणिक समूह का विश्लेषण किया गया तो, पाया गया कि 48.4 प्रतिशत निचले शैक्षणिक समूह के लोगों का मजबूती से मानना था कि वे पर्यावरणीय बदलाव का खुद के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर डरे हुए हैं। जबकि 61.1 प्रतिशत उच्च शैक्षणिक समूह और 64.1 प्रतिशत मध्य शैक्षणिक समूह के लोग भी मजबूती से इस बाबत सहमती जताते हैं।

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