Delhi NCR में कोयले से चलने वाली इंडस्ट्रीज पर मंडराया तालेबंदी का खतरा, हजारों लोग हो जाएंगे बेरोजगार, मचेगा हाहाकार

Panipat : दिल्ली एनसीआर की औद्योगिक इकाईयों पर तालंबंदी की स्थिति एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन द्वारा कोयले से चलने वाले उद्योगों को 30 सितंबर तक बंद करने या पीएनजी गैस पर शिफ्ट करने के आदेश की वजह से उत्पन्न हुई है।

Update: 2022-09-09 08:46 GMT

file photo

Panipat News : केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन ( air quality management commission ) के आदेश पर अमल हुआ तो दिल्ली एनसीआर ( Delhi NCR ) में स्थित हरियाणा ( Haryana News ) के पानीपत ( Panipat ) शहर का कारोबार पूरी तरह से ठप हो जाएगा। टेक्सटाइल इंडस्ट्री ( Textile industries ) के लिए चर्चित पानीपत में कोयले ( Coal based industry ) से चलने वाली 690 में से 650 उद्योगों में 30 सितंबर को ताला लग जाएगा। इन उद्योगों को आगे चलाए रखने के लिए उन्हें 30 सितंबर तक पीएनजी गैस ( PNG Gass ) या बायोमास फ्यूल ( biomass fuel ) में कोयले से संचालित इंडस्ट्री को शिफ्ट करना होगा।

इसके बाद दिल्ली एनसीआर ( Delhi NCR ) में सिर्फ क्लीनर फ्यूल ( air quality management commission ) का इस्तेमाल करने वाली इंडस्ट्री ही चल सकेंगी। कोयले से चलने वाले बॉयलर बंद हो जाएंगे। यह स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई है कि दिल्ली एनसीआर में एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन ने 30 सितंबर तक कोयले से चलने वाले उद्योगों को पीएनजी गैस पर शिफ्ट करने के आदेश दिए थे।

सालाना लगता है 4 हजार करोड़ का कोयला

पानीपत ( Panipat ) जिला में करीब 690 बॉयलर वाली इंडस्ट्री में से कोयले से चलने वाली 650 इंडस्ट्री के बॉयलरों में इस वक्त सालाना करीब 4 हजार करोड़ रुपए का कोयला लगता है। पानीपत में रोजाना औसतन करीब 250 ट्रक कोयले के आते हैं। एक ट्रक के कोयले की लागत करीब 5 लाख रुपए है। यह सारा कोयला इंडोनेशिया से कांडला व दूसरे बंदरगाहों के माध्यम से यहां आता है। कोयले ज्यादातर उपयोग डाइंग इंडस्ट्री में होता है जो सेक्टर-29 पार्ट टू में है। 

क्यों मंडराया तालेबंदी का खतरा

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन ( air quality management commission ) ने पानीपत सहित एनसीआर ( Panipat NCR ) की कोयला आधारित इंडस्ट्री ( coal based industry ) को 30 सितंबर 2022 तक पीएनजी गैस या बायोमास फ्यूल पर शिफ्ट करने के आदेश दिए हुए हैं। ऐसा न करने पर कोयले से संचालित उद्योगों को बंद करने का आदेश है। 

गैस की कीमत महंगी, कारोबार पर पड़ेगा असर

कोयले के मुकाबले गैस महंगी होने से इंडस्ट्री संचालक गैस पर शिफ्ट नहीं हो रहे हैं और 30 सितंबर की डेट नजदीक आने पर उद्यमियों को अपनी इंडस्ट्री को बंद करने या एनसीआर से बाहर शिफ्ट करने का डर सता रहा था। 

पानीपत में 50% इंडस्ट्री कोयले पर निर्भर

एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन की ओर से इस बारे में जरूरी आदेश जारी होने के बाद हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी पानीपत के उद्योगपतियों को चेतावनी दी थी, लेकिन 30 सितंबर को सिर्फ 21 दिन बाकी है पर आज भी पानीपत की लगभग 50 फीसदी यूनिट कोयले पर ही आधारित है जोकि सितंबर माह की बाद उद्योगपतियों के लिए एक बड़ी मुसीबत बन सकती है।

पानीपत-मतलौडा को दिल्ली एनसीआर से बाहर करने की मांग

लगभग 2 महीने पहले सरकार ने पानीपत शहर और मतलौडा को दिल्ली एनसीआर से बाहर करने के लिए प्लानिंग कमेटी के पास प्रस्ताव भेजा था। अभी तक पानीपत और मतलौडा को एनसीआर से बाहर नहीं किया। उद्योगपति भी इस असमंजस में फंसे हुए हैं की वह एनसीआर से बाहर होंगे या नहीं। पानीपत इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रेसिडेंट प्रीतम सचदेवा का कहना है कि आज भी पानीपत के उद्योगपति इसी आस पर है कि वह एनसीआर से बाहर हो जाएंगे, लेकिन सरकार के साथ उनकी कोई अभी तक मीटिंग इस बात को लेकर नहीं हुई। ऐसे में एनसीआर के रूल ही लागू होंगे। पानीपत का 50ः फीसदी उद्योग ठप हो जाएगा।

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