दो करोड़ से भी ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं पीपल बाबा, कोरोना भी नहीं रोक पाया इनका सफर
पीपल बाबा ने उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान समेत 18 राज्यों के करीब 202 जिलों में पेड़ लगवाए हैं और इनका साथ दे रहे हैं देश के करीब 14 हजार वॉलेंटियर...
रोहित मौर्य
जनज्वार। अगर पीपल बाबा की मानें तो इन सबका सिर्फ एक ही समाधान है और वो हैं पेड़। इस बात को हममें से शायद ही कोई नकारेगा। इसलिए तो पीपल बाबा यानी स्वामी प्रेम परिवर्तन ने पेड़ लगाने को ही अपनी रोज की नौकरी बना ली और जीवन इसी सेवा भाव में न्यौछावर कर दिया। पीपल बाबा ने पिछले करीब 44 साल में 2 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए हैं और उनका ये सफर इस कोरोना काल में भी जारी है।
पीपल बाबा ने उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान समेत 18 राज्यों के करीब 202 जिलों में पेड़ लगवाए हैं और इनका साथ दे रहे हैं देश के करीब 14 हजार वॉलेंटियर। जबकि इनके खुद के 'एनजीओ गिव मी ट्रीज ट्रस्ट' में 30 फुल टाइम वर्कर काम करते हैं।
कैसे हुई शुरुआत?
ये साल 1977 की बात है। स्वामी प्रेम परिवर्तन का बचपन का नाम आजाद था और पिता सेना में डॉक्टर थे। चौथी कक्षा में पढ़ने वाले आजाद को उनकी टीचर अक्सर पर्यावरण के महत्व के बारे में बताती थीं। साथ ही सचेत भी करती थीं कि आगे चलकर नदियां सूख जाएंगी। तो 10 साल के आजाद ने 26 जनवरी के दिन अपनी मैडम से पूछ ही लिया कि मैडम हम क्या कर सकते हैं? इसका जवाब मैडम ने ये दिया कि क्लाइमेट चेंज, ग्लोबल वॉर्मिंग, प्रदूषण सबका उपाय पेड़ है। आजाद ने घर आकर ये बात अपनी नानी को बताई। नानी भी पेड़ों के महत्व को अच्छे से जानती थीं। आजाद जब उदास भी होते तो उन्हें पेड़ों के नीचे ही बैठने के लिए कहती थीं। तो उस दिन भी नानी ने कहा कि हाँ तुम पेड़ लगाओ।
प्रेम बताते हैं, ''मैं उसी दिन अपने माली काका की साइकिल पर बैठकर गया, नर्सरी से 9 पौधे खरीदे। वो आज भी आपको रेंज हिल रोड, खिड़की कैंटोनमेंट, पुणे में 9 पेड़ आपको मिल जाएंगे।'' उस दिन के बाद से उनकी जो यात्रा शुरू हुई है वो आज भी जारी है। पीपल बाबा सिर्फ पेड़ लगाकर छोड़ नहीं देते हैं बल्कि उनका ख्याल भी रखते हैं।
पीपल बाबा ने अपनी पढ़ाई इंग्लिश में पोस्ट ग्रेजुएशन तक की है। इसके बाद उन्होंने अलग-अलग कंपनियों में 13 साल तक इंग्लिश एजुकेशन ऑफिसर के तौर पर काम किया। इसी के साथ ही उनकी पेड़ लगाने की यात्रा चलती रही। इसके बाद उन्होंने इसे फुल टाइम काम बना लिया। हालांकि अपने जीवनयापन और फैमिली के लिए वो ट्यूशन्स देते रहे और आज भी देते हैं। परिवार ने उनका इस काम में पूरा साथ दिया।
साल 2010 में फिल्म स्टार जॉन अब्राहम ने इनके काम को नोटिस किया। उन्होंने ही एक इस काम को बड़े स्केल पर ले जाने और सोशल मीडिया पर आने की सलाह दी। जिसके बाद पीपल बाबा ने 2011 में गिव मी ट्रीज ट्रस्ट की स्थापना की।
कोरोना में भी जारी है पेड़ लगाने का काम?
पीपल बाबा करीब 44 साल से पेड़ लगा रहे हैं, क्योंकि पिता मिलिट्री में थो देश के हिस्सों में काम करने का मौका मिला। पिछले 20 साल से उन्होंने दिल्ली को अपना बेस कैंप बनाया हुआ है। अपनी संस्था के जरिए देशभर में पेड़ लगवाते हैं। इसी सिलसिले में पौधे लेने के लिए 19 मार्च को वह हरिद्वार पहुंचे थे। वह जहां गए थे वहां कोरोना पोजेटिव केस आने की वजह से इलाके को सील कर दिया गया। वहां रहते हुए भी उन्होंने आसपास के गांवों में 1 हजार 64 पेड़ लगवा दिए। इसके अलावा दिल्ली लौटने के बाद उन्होंने लखनऊ, नोएडा और दिल्ली में पड़े लगवाए। कुल मिलाकर कोरोना काल में भी पीपल बाबा ने अब तक 8064 पेड़ लगवा दिए हैं।
एक-एक पेड़ का हिसाब रखने पर जब उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, "हमें अपने कर्मों को ऑडिट करते रहना चाहिए। तभी मैं एक एक पेड़ का हिसाब रखता हूँ। मेरे पास पुरानी फाइल्स भी हैं जिनमें से आप जबका पूछोगे मैं तब बता सकता हूं कि कौन सा पेड़ कब लगाया।"
पीपल बाबा नाम कैसे पड़ा?
पीपल बाबा ने जो 2 करोड़ से ज्यादा जो पेड़ लगाए हैं, उनमें करीब सवा करोड़ पेड़ नीम और पीपल के हैं। उनका कहना है, "हम इंडियन अपनी रूट से जुड़े हैं जिन्हें आम चीजें ज्यादा समझ आती है, लोगों को नीम, पीपल और बरगद के पेड़ ज्यादा समझ आते हैं। वैसे हम जामुन, अमरूद, इमली और जगह के हिसाब से अलग अलग पेड़ लगाते हैं। लेकिन पीपल पवित्र पेड़ माना जाता है। इस पेड़ से कई तरह की धार्मिक भावनाएं जुड़ी होती हैं, कई मान्यताएं और पौराणिक महत्व भी हैं। जिससे वैसे तो कोई इसे लगाता नहीं लेकिन लगा दिया तो इसे कोई काटने नहीं आता।"
पहली बार किसने बुलाया पीपल बाबा?
स्वामी प्रेम परिवर्तन बताते हैं, "मैं राजस्थान के पाली जिला में गया था किसी के साथ। तो किसी ने कहा कि कुएं सूख रहे हैं तो इसका उपाय बताइए। तो हमने बचपन में पंजाब के किसानों से सुना था कि आप बड़ का पेड़ लगाएँ क्योंकि उसकी जड़ें पानी खींचती हैं। वो वहां आसपास के कई जिलों पर हमने पीपल और बड़ के बहुत पेड़ लगाए। तो पाली में एक चौपाल लगी थी और वहां के सरपंच ने मेरा इंट्रोडक्शन पीपल बाबा के नाम से कराया। जिसे सुनकर मैं खुद चौंक गया और उसे बाद हर तरफ मुझे पीपल बाबा ही कहा जाने लगा।"
क्या पेड़ों को बचाने की भी किसी मुहिम में हिस्सा लेते हैं पीपल बाबा? इस पर पीपल बाबा कहा कहना है, "इस जीवन में मेरे पास धरना देने या ऐसी चीजों का समय नहीं है। मैं अगर आधा घंटा भी बैठूंगा तो इतनी देर में मेरे 7-8 पेड़ और लग जाएंगे। कितने पेड़ काटेंगे? 16 काटेंगे हम 16 हजार लगा दें। मेरी नानी कहा करती थीं आप पेड़ लगाने वालों की संख्या बढ़ाओ, आप पेड़ काटने वालों की संख्या घटा नहीं सकते।"
पीपल बाबा आम लोगों से भी आग्रह करते हैं कि हम सभी को पेड़ लगाने चाहिए।
(रोहित मौर्य का यह लेख बेटर इंडिया से साभार)