वन गुजर समुदाय ने कहा- सौतेला व्यवहार कर रही उत्तराखंड सरकार, अबतक नहीं मिला जनजाति का दर्जा
वन गुजरों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश में वन गुजरों को जनजाति का दर्जा प्राप्त है परन्तु उत्तराखंड की सरकार उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है...
गोपाल लोधियाल की रिपोर्ट
देहरादून। वन गुजर समुदाय का वन एवं पर्यावरण के साथ गहरा रिश्ता है। इस रिश्ते को और ज्यादा मजबूती देने के लिए वन गुजर समुदाय द्वारा इस वर्ष से उत्तराखंड के गुजर खत्तों में सेला पर्व का आयोजन कर वृक्षारोपण का कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया।
वन गुजर संगठन तथा वन पंचायत संघर्ष मोर्चा की पहल पर आयोजित हुए इस कार्यक्रम में वन गुजर समाज की महिलाओं व बुजुर्गो के साथ युवाओं व बच्चों ने भी बहुत उत्साह के साथ भागीदारी की।
इसी क्रम में कालाढूँगी क्षेत्र के राई खत्ता में भी 14 अगस्त को सेला पर्व का आयोजन किया गया जिसमें वन गुर्जर समुदाय के लोगों ने फलों के वृक्षों का रोपण किया तथा इस दौरान एक बैठक भी की।
बैठक में युवा गुजर नेता मीर हमजा ने कहा कि वन गुर्जर समुदाय का वन एवं पर्यावरण के साथ गहरा नाता है। कुछ कथित स्वनाम धन्य पर्यावरणविद वन गुज़रों को वन एवं पर्यावरण का दुश्मन बताकर वन गुजर समुदाय के खिलाफ कुत्सा प्रचार कर रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि वन गुजर समुदाय के लोग सदियों से वनों में रहकर पशुपालन कर अपनी जीविका चला रहे हैं। जंगलों पर अपनी जीविका के लिए निर्भर होने के कारण उन्होंने कभी भी जंगलों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचाया है बल्कि वनो को संरक्षित किया है।
बैठक में वन गुजरों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश में वन गुजरों को जनजाति का दर्जा प्राप्त है परन्तु उत्तराखंड की सरकार उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। उन्होंने सरकार से मांग की कि वन गुजर समुदाय को उत्तराखंड में भी जनजाति का दर्जा दिया जाए।
बैठक में वन गुर्जर समाज की महिलाओं ने बताया कि उन्हें वृद्धावस्था तथा विधवा पेंशन का लाभ भी नहीं दिया जा रहा है। तथा बड़ी संख्या में गुर्जर परिवारों के राशन कार्ड भी नहीं बनाए जा रहे हैं। उनके राशन कार्ड बनाने व विकास कार्यों में वन विभाग रोड़ा अटका देता है जिस कारण वे मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित है।
वन गुर्जर नेता मोहम्मद शफी ने कहा कि वन गुजरों ने वनाधिकार कानून 2006 के अंतर्गत समाज कल्याण विभाग के समक्ष अपने व्यक्तिगत तथा सामुदायिक दावे प्रस्तुत किये हुए हैं परन्तु समाज कल्याण विभाग द्वारा उनके दावों को स्वीकृत नहीं किया जा रहा है तथा उनके दावे बेवजह लटका कर उन्हें परेशान किया जा रहा है।
बैठक में वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के संयोजक तरुण जोशी ने बताया कि भारत सरकार के जनजाति मंत्री अर्जुन मुंडा के साथ उत्तराखंड के वन गुजरों को जनजाति का दर्जा देने को लेकर एक बार बातचीत हुई है। मंत्री महोदय ने उन्हें इस पर उत्तराखंड के वन गुजरों के साथ एक बैठक बुलाकर मामले का समाधान करने का आश्वासन दिया है।
राई खत्ता में आयोजित वृक्षारोपण कार्यक्रम में वन गुजरों द्वारा उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जो कि उनके स्थानीय स्तर पर विधायक भी हैं, वंशीधर भगत तथा प्रभागीय वनाधिकारी को भी आमंत्रित किया था परन्तु बारिश को कारण बता कर वे कार्यक्रम में नहीं आये। परंतु उन्होंने भविष्य में उनके बीच आने का आश्वासन दिया है। वन गुजरों को अपने जनप्रतिनिधि वंशीधर भगत का इंतजार है। देखना है कि वे कब तक उनके बीच पहुँचते हैं।
बैठक में मुनीष कुमार,जुगल किशोर मठपाल, यू एस सिजवाली, मोहम्मद ईशाक, हाजी कासिम, मोहम्मद शरीफ, मदन मेहता, विपिन गैरोला आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।