दुनिया में कुल बाघों के 70 फीसदी हैं भारत में, पर्यावरण संतुलन में है इनकी महत्वपूर्ण भूमिका

पर्यावरण संतुलन के लिए पृथ्वी पर सही संख्या में जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों का होना जरूरी माना जाता है। भारत में बाघों की सुरक्षा के लिए कई कानून भी हैं।

Update: 2020-07-29 04:27 GMT

प्रतीकात्मक तस्वीर

जनज्वार। पर्यावरण संतुलन के लिए पृथ्वी पर सही संख्या में जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों का होना जरूरी होता है। प्रकृति ने आवश्यकता के अनुसार इनकी रचना भी की है। इनकी संख्या असंतुलित होने से प्रकृति का संतुलन भी बिगड़ने लगता है। पर्यावरण के दृष्टिकोण से बाघ भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। हमारे देश में बाघ अच्छी संख्या में पाए जाते हैं और इनकी सुरक्षा को लेकर बहुत पहले से कानून भी बनाए गए हैं।

हमारे देश में बाघों की संख्या पूरी दुनिया की लगभग 70 फीसदी है। अर्थात दुनिया में जितने बाघ हैं, उसके 70 प्रतिशत भारत में हैं। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह दावा किया है कि दुनिया में बाघों की कुल संख्या में से करीब 70 फीसदी भारत में हैं।

उन्होंने कहा कि भारत बाघों के पोषण की दिशा में बाघ वाले सभी 13 देशों के साथ मिलकर अथक प्रयास कर रहा है। बाघ और अन्य वन्य जीव भारत की एक प्रकार की ताकत हैं जिसे भारत अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर दिखा सकता है।

वैश्विक बाघ दिवस की पूर्व संध्या पर बाघों की गणना पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि बाघ प्रकृति का एक असाधारण हिस्सा है और भारत में इनकी बढ़ी संख्या प्रकृति में संतुलन को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि भारत के पास धरती का काफी कम हिस्सा होने जैसी कई बाधाओं के बावजूद, भारत में जैव-विविधता का आठ प्रतिशत हिस्सा है, क्योंकि हमारे देश में प्रकृति, पेड़ों और इसके वन्य जीवन को बचाने और उन्हें संरक्षित करने की संस्कृति है।

वन्यजीवों को प्राकृतिक संपदा बताते हुये जावडेकर ने कहा कि यह प्रशंसा की बात है कि भारत में दुनिया की बाघों की आबादी का 70 प्रतिशत हिस्सा है। उन्होंने कहा कि भारत बाघों के पोषण की दिशा में बाघ वाले सभी 13 देशों के साथ मिलकर अथक प्रयास कर रहा है। जावड़ेकर ने यह भी घोषणा की है कि उनका मंत्रालय एक ऐसे कार्यक्रम पर काम कर रहा है जिसमें मानव और जानवरों के बीच टकराव की चुनौती से निपटने के लिए जंगल में ही जानवरों को पानी और चारा उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी।

बाघ की प्रमुख प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए पर्यावरण मंत्री द्वारा छोटी बिल्लियों की उपस्थिति पर एक पोस्टर भी जारी किया। उल्लेखनीय है कि बाघ अभयारण्यों के बाहर भारत के कुल बाघों के लगभग 30 प्रतिशत बाघ रहते हैं। इसे देखते हुए भारत ने वैश्विक रूप से विकसित संरक्षण आश्वासन/बाघ मानकों (सीए/टीएस) के माध्यम से इनके प्रबंधन तरीके का आकलन करन शुरू किया था जिसे अब देश भर के सभी 50 बाघ अभयारण्यों तक विस्तारित किया जाएगा।

बाघों को कुदरत के अनमोल नगीने बताते हुये जावडेकर ने कहा कि 1973 में देश में केवल 9 बाघ अभयारण्य थे और अब इनकी संख्या बढकर 50 हो गई है। उन्होंने कहा कि बाघों के अलावा भारत के जंगलों में 30 हजार हाथी, 3 हजार एक सींग वाले गैंडे और 500 से अधिक शेर भी पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में बाघों की संख्या बढाने के लिए हर तरह की मदद देने को तैयार है।

भारत में प्रकृति से समन्वय के साथ सहअस्तित्व की संस्कृति का जिक्र करते हुए पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इसने संसाधनों की कमी के बावजूद देश में दुनिया की करीब आठ प्रतिशत जैव विविधता के संरक्षण में मदद की है। उन्होंने यह भी कहा कि पेडों की पूजा जैसे रीति रिवाज प्रकृति के साथ हमारे अनोखे तालमेल को दर्शाते हैं।

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