हवा में मौजूद प्रदूषक गर्भवती के प्लेसेंटा तक पहुँचकर माँ और बच्चे दोनों को पहुंचा सकते हैं नुकसान, ऐसे करें बचाव !

बच्चों की श्वसन नलियां बेहद संवेदनशील होती हैं, इसलिए ठंड और प्रदूषण का दोहरा प्रभाव उनके लिए खतरनाक है, हवा में मौजूद प्रदूषक गर्भवती महिलाओं के प्लेसेंटा तक पहुँच सकते हैं....

Update: 2025-11-19 16:36 GMT

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जनस्वास्थ्य डॉ. एके अरुण की टिप्पणी

ठंड में प्रदूषण के कई गंभीर खतरे हैं। इनमें श्वसन संबंधी समस्याएं, हृदय रोग, और मानसिक स्वास्थ्य पर असर शामिल हैं। प्रदूषित हवा फेफड़ों में सूजन पैदा करती है और यह बच्चों व बुजुर्गों के लिए सबसे अधिक खतरनाक है। इसके अलावा यह अस्थमा के शुरुआती लक्षण पैदा कर सकता है और हाइपरटेंशन और हार्ट अटैक जैसी समस्याओं का खतरा भी बढ़ा सकता है।

श्वसन और हृदय संबंधी खतरे

ठंडी, प्रदूषित हवा श्वसन मार्ग में सूजन पैदा कर सकती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ, खांसी और घरघराहट जैसे लक्षण हो सकते हैं। अस्थमा और सीओपीडी यह अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी बीमारियों को ट्रिगर कर सकता है। हृदय रोग ठंडी हवा रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ सकती है, जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है और दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।

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बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए खतरे

बच्चों की श्वसन नलियां बेहद संवेदनशील होती हैं, इसलिए ठंड और प्रदूषण का दोहरा प्रभाव उनके लिए खतरनाक है। गर्भवती महिलाओं के लिए हवा में मौजूद प्रदूषक प्लेसेंटा तक पहुँच सकते हैं और माँ और बच्चे दोनों को नुकसान पहुँचा सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण से हाई ब्लड प्रेशर और समय से पहले डिलीवरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

मानसिक स्वास्थ्य पर खतरे

प्रदूषण के कारण मूड में अस्थिरता, चिड़चिड़ापन और तनाव बढ़ सकता है। गंभीर और लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से डिप्रेशन,एंग्जायटी और यहां तक ​​कि डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। प्रदूषण के कारण संज्ञानात्मक कार्यों में गिरावट आ सकती है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है।

बचाव के उपाय

घर से बाहर निकलते समय एन95 मास्क पहनें। बच्चों और बुजुर्गों को अधिक प्रदूषण वाले घंटों में बाहर निकलने से बचाएं। मास्क पहनकर भी बाहरी गतिविधियों से बचें, खासकर जब वायु गुणवत्ता खराब हो। घर के अंदर हवा को साफ करने के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग भी कर सकते हैं।

हाइड्रेटेड रहें। पानी पीने से श्वसन तंत्र नम रहता है और फेफड़ों की समग्र कार्यप्रणाली में सुधार होता है। हर्बल चाय गले और फेफड़ों को आराम पहुँचाने में मदद कर सकती है। आहार में ज़्यादा से ज़्यादा एंटीऑक्सीडेंट शामिल करें।

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