बिहार के मुख्यमंत्री आवास तक पहुंचा कोरोना, किशनगंज में 72 घंटे का लॉकडाउन लगा, लगातार बढ़ रहे कंटेनमेंट जोन

बिहार में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अस्पतालों में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, नए इलाकों में मरीज पाए जा रहे हैं और लोग लापरवाह हो गए हैं...

Update: 2020-07-07 07:23 GMT

                    File photo

जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार के सीएम हाउस में कोरोना का संक्रमण पहुंच गया है। राज्य में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। एक जिला में 72 घँटे का कंप्लीट लॉकडाउन लगा दिया गया है। राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या 12 हजार का आंकड़ा पार कर गई है। संक्रमितों और कण्टेन्मेंट ज़ोन दोनों की संख्या बढ़ी है। हालांकि इनमें से 9 हजार मरीज स्वस्थ भी हो चुके हैं, पर रोज नए इलाके से मरीज पाए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री आवास में कोरोना की दस्तक के बाद पूरे परिसर को सेनेटाइज कराया जा रहा है। पॉजिटिव रिपोर्ट वाले सदस्य को पटना एम्स में भर्ती कराया दिया गया है। बाकी सदस्यों को होम क्वेरेन्टीन कर दिया गया है। मुख्यमंत्री काम करते रहेंगे, क्योंकि उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आयी थी। एक नवनिर्वाचित विधान पार्षद और उनकी पत्नी की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आने की बात सामने आ रही है। राज्य के किशनगंज जिले में 72 घँटे का कंप्लीट लॉकडाउन लगा दिया गया है।

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार 6 जुलाई तक बिहार में कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 12140 थी। इनमें सर्वाधिक 1058 मरीज राजधानी पटना के हैं। राज्य में अबतक 9014 मरीज ठीक हो चुके हैं तो 97 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है।

वैसे तो ये आंकड़े कोरोना से ज्यादा प्रभावित अन्य राज्यों की अपेक्षा अच्छे दिख रहे हैं। रिकवरी रेट भी 74.25 प्रतिशत हो जाता है, पर रोज ब रोज नए क्षेत्रों में पांव पसार रहा संक्रमण राज्य के लोगों के लिए चिंता का सबब बनता जा रहा है। बिहार की रिकवरी रेट देश की औसत से ज्यादा है, पर पिछले 10 दिनों में रिकवरी रेट गिर गई है। कारण, मरीजों की संख्या रोज पहले की अपेक्षा तेजी से बढ़ रही है।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 27 जून को बिहार में कोरोना मरीजों की रिकवरी रेट 78.5 प्रतिशत थी, जो 6 जुलाई को 4 फीसदी गिरकर 74.25 प्रतिशत हो गई है। यह स्थिति इसलिए बनी है, क्योंकि इधर पॉजिटिव मरीजों की संख्या में तेजी आ गई है।

इसी हिसाब से राज्य में कण्टेन्मेंट ज़ोन की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। स्वास्थ्य विभाग के सचिव लोकेश कुमार ने 6 जुलाई को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि राज्य में कण्टेन्मेंट ज़ोन की संख्या 1314 है। उन्होंने बताया कि पूर्व में बने 342 कण्टेन्मेंट ज़ोन में 28 दिनों तक कोई नया मरीज नहीं मिलने के कारण इन्हें कण्टेन्मेंट मुक्त घोषित कर दिया गया है। इन 1314 कण्टेन्मेंट ज़ोन के तहत 18 लाख 4 हजार घर हैं। इन क्षेत्रों में विशेष निगरानी की जा रही है। यहां लोगों के आने-जाने पर पाबंदी है, आवश्यक वस्तुओं को छोड़ अन्य दुकानें बंद करा दी गईं हैं। इन क्षेत्रों के लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है। कण्टेन्मेंट ज़ोन का निर्धारण संबंधित डीएम करते हैं।

आंकड़े बताते हैं कि पिछले 25 दिनों में कण्टेन्मेंट ज़ोन की संख्या लगभग 4 गुनी बढ़ी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य में 11 जून  को कण्टेन्मेंट ज़ोन की संख्या 325 थी, जो 6 जुलाई को बढ़कर 1314 हो गई है। 1 जुलाई को इनकी संख्या 1056 थी। ये आंकड़े यह भी बताते हैं कि नए इलाकों में भी संक्रमण फैल रहा है।

वरिष्ठ पत्रकार सन्तोष सिंह कहते हैं 'राज्य में स्क्रीनिंग को बंद कर दिया गया है। क्वेरेन्टीन सेंटर बंद किए जा चुके हैं। कई जिला अस्पतालों में टेस्ट के लिए श्वाब लेने का काम बंद हो गया है। प्रोटोकॉल के अनुसार टेस्ट करा लेना भी बहुत मुश्किल हो गया है। मरीजों की संख्या बढ़ने से अस्पतालों में बेड की भी कमी हो रही है। इन सबके बीच सरकार चुनावी मोड में आ गई है।' वे अपनी बात के पक्ष में कई उदाहरण भी देते हैं।

हॉस्पिटलों और सरकारी कार्यालयों में मरीजों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। विगत लगभग एक सप्ताह में पटना के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस सहित कुछ जिला अस्पतालों के भी चिकित्सक पॉजिटिव पाए गए हैं। 5 जुलाई को आइजीआइएमएस के निदेशक और स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख पॉजिटिव पाए गए थे। निदेशक सहित कुछ अन्य कर्मियों के पॉजिटिव पाए जाने के बाद आइजीआइएमएस को फिलहाल सील कर दिया गया है। छपरा सिविल कोर्ट के भी कुछ कर्मी पॉजिटिव पाए गए, जिसके बाद यहां सेनेटाइजेशन कराया जा रहा है और सुनवाई वर्चुअल की जा रही है। 6 जुलाई तक बिहार के मुख्य अस्पताल पीएमसीएच के 16 डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ पॉजिटिव हो चुके हैं। 6 जुलाई को ही यहां के एक और कोरोना डेडिकेटेड एनएमसीएच के एक डॉक्टर की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।

लॉकडाउन और उसके बाद श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाए जाने से लाखों की संख्या में प्रवासी बिहार आए। उसी समय से कोरोना पॉजिटिवों की संख्या में तेजी आई। पर अब प्रवासी नहीं आ रहे, फिर भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है।

डॉक्टरों का मानना है कि लोगों द्वारा कड़ाई से नियमों का पालन नहीं किए जाने के कारण ऐसी स्थिति बन रही है। खासकर अनलॉक के बाद लोग निश्चिंत हो गए हैं। लोगों को लग रहा है कि अब कोरोना का खतरा नहीं रहा। लोग फिजिकल डिस्टेंसिंग के नियमों का भी पालन नहीं कर रहे हैं। बहुत से लोग मास्क भी नहीं लगा रहे। हाट-बाजारों की भीड़ डॉक्टरों के इस बात की पुष्टि करती है।

पर कोरोना के तेजी से बढ़ रहे मामलों के पीछे क्या लोगों की लापरवाही ही एकमात्र कारण है? इन सबके बीच बिहार में विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू हो चुकी है। चुनाव आयोग अपने स्तर से तैयारी कर रहा है तो राजनैतिक दल भी चुनावी तैयारियों में लग गए हैं। इसी बीच कई छोटे-बड़े नेता संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। बिहार विधान परिषद के अध्यक्ष, एक मंत्री, दो विधायक, एक पूर्व सांसद सहित कई नेता कोरोना की चपेट में आ गए हैं।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 6 जुलाई की संध्या 4 बजे तक राज्य में 2 लाख 64 हजार 109 लोगों की कोरोना जांच हुई है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की जनसंख्या 10करोड़ 40 लाख है। राज्य के विपक्षी दल, खासकर राजद लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि जांच अन्य राज्यों की अपेक्षा कम हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार अभी औसतन 7200 जांच रोज हो रही है। राज्य में 1 जुलाई को 7799, 2 जुलाई को 7291, 3 जुलाई को 7187 लोगों की जांच हुई। वहीं 4 जुलाई को 7930, 5 जुलाई को 6799 और 6 जुलाई को 6213 लोगों की जांच हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार जांच का आंकड़ा 10 हजार करने का निर्देश दे रहे हैं। इसके लिए कुछ मशीनों की खरीददारी भी की गई है और कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है, पर अभी भी जांच का आंकड़ा 8 हजार पार नहीं कर सका है।

बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हैं। वे कहते हैं 'बिहार में कोरोना संक्रमण अप्रत्याशित रूप से बढ़ चुका है। सरकार को कहीं कोई चिंता नहीं। ना जाँच की, ना इलाज की। पूरा मंत्रिमंडल, प्रशासन और सरकार चुनावी तैयारियों में व्यस्त है। सरकार आँकड़े छिपा रही है। अगर सरकार नहीं संभली तो अगस्त-सितंबर तक स्थिति और विस्फोटक हो सकती है।'

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