Covishield Side Effects : डॉक्टर बेटी की मौत पर पिता ने मांगा 1000 करोड़ रुपये का मुआवजा, बॉम्बे HC में याचिका दाखिल

Covishield Side Effects : याचिकाकर्ता का कहना है कि चूंकि उनकी बेटी हेल्थकेयर वर्कर थी, उसे वैक्सीन लेने के लिए मजबूर किया गया था, उनके मुताबिक डीजीसीआई और एम्स ने वैक्सीन की सुरक्षा पर गलत बयान दिए हैं....

Update: 2022-02-02 11:53 GMT

डॉक्टर बेटी की मौत पर पिता ने मांगा 1000 करोड़ रुपये का मुआवजा

Covishield Side Effects : महाराष्ट्र के एक मेडिकल प्रोफेसर पिता ने कोरोना वैक्सीन को लेकर ब़ॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) में याचिका दाखिल करते हुए 1000 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है। उन्होंने याचिका में आरोप लगाया है कि वैक्सीन के साइड इफेक्स से ही उनकी बेटी की मौत हुई है। उन्होंने कोविड वैक्सीन बनाने वाले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute Of India), इसके सहयोगी बिल गेट्स (Bill Gates), केंद्र सरकार और राज्य सरकार के अधिकारियों को पक्षकार बनाया है।

याचिकाकर्ता दिली लूनावत के मुताबिक उनकी 33 वर्षीय बेटी स्नेहल लूनावत नागपुर के एक मेडिकल कॉलेज में लेक्चरर थी। उसने 28 जनवरी 2021 को कोवीशील्ड (Covishield Side Effects) की पहली डोज नासिक में ली थी। 5 फरवरी को उसके सिर में तेज दर्द हुआ। डॉक्टर से संपर्क करने उसे माइग्रेन की दवा दी गई जिसे खाकर उसे राहत महसूस हुई। इसके बाद 6 फरवरी को उसने गुड़गांव की यात्रा की और 7 फरवरी की सुबह 2 बजे उसे थकान के साथ उल्टी हुई।

उनके मुताबिक, इसके बाद पास के आर्यन अस्पताल में भर्ती होने पर स्नेहल को कहा गया कि उसके ब्रेन में ब्लीडिंग हो सकती है। न्यूरोसर्जन मौजूद न होने के कारण उसे दूसरे अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टर्स ने स्नेहल के दिमाग में थक्का होने की आशंका जताई जिसके बाद उसे ब्रेन हेमरेज हुआ। डॉक्टर्स ने खून का थक्का हटाने की सर्जरी की। इसके बाद स्नेहल 14 दिन वैंटिलेटर पर भी रही लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार न हुआ। 1 मार्च 2021 को उसकी मौत हो गई।

याचिकाकर्ता लूनावत का कहना है कि चूंकि उनकी बेटी हेल्थकेयर वर्कर थी, उसे वैक्सीन लेने के लिए मजबूर किया गया था। लूनावत के मुताबिक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ने वैक्सीन की सुरक्षा पर गलत बयान दिए हैं। उन्होंने सीरम इंस्टीट्यूट पर झूठी प्रतिक्रिया देने का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि वैक्सीन का कोई दुष्प्रभाव नहीं पाया गया है, ये कहना गलत है।

उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया है कि केंद्र सरकार की आफ्टर इफेक्ट्स फोलोइंग इम्यूनाइजेशन कमेटी ने 2 अक्टूबर 2021 को माना था कि स्नेहल की मौत वैक्सीन के साइट इफेक्ट से हुई है। याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य के जिम्मेदार अधिकारियों और कोवीशील्ड वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट पुणे से उन्हें मुआवजा की राशि मिलनी चाहिए। याचिका में कहा गया है कि स्नेहल को शहीद घोषित किया जाना चाहिए और उनके नाम समर्पित एक शोध संस्थान खोला जाना चाहिए।

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