Duplicate Remdesivir Injection : नकली रेमडेसिविर मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय का एक्शन, रिपोर्ट दबाने वाले सेंट्रल ड्रग्स लैब के दो डॉक्टर सस्पेंड
Duplicate Remdesivir Injection : कोलकाता स्थित सेंट्रल ड्रग लैबोरेट्री (सीडीएल) नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की पुष्टि के बाद भी जांच रिपोर्ट को 6 महीने तक दबाए रखने के मामले को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गंभीरता से लिया है...
Duplicate Remdesivir Injection : कोलकाता स्थित सेंट्रल ड्रग लैबोरेट्री (सीडीएल) नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की पुष्टि के बाद भी जांच रिपोर्ट को 6 महीने तक दबाए रखने के मामले को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गंभीरता से लिया है। इंजेक्शन की जांच में शामिल 2 डॉक्टर और एक प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
रिपोर्ट दबाने वाले दो डॉक्टर सस्पेंड
बता दें कि सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेट्री (सीडीएल) की वरिष्ठ अफसर डॉ नंदिता साहा और फार्मास्युटिकल केमिस्ट डॉक्टर अरिंदम बासु को निलंबित कर दिया गया है। डॉक्टर अरिंदम बासु और डॉक्टर नंदिता साहा को बिना इजाजत मुख्यालय नहीं छोड़ने के आदेश भी दिए गए हैं। बैक्ट्रिलॉजिस्ट सी. हरिहरन को गुवाहाटी ट्रांसफर कर दिया गया है।
अहम बैठक में हुई रिपोर्ट पर चर्चा
दैनिक भास्कर में छपी खबर के अनुसार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में अहम बैठक हुई। जिसमें सीडीएल कोलकाता की कार्यप्रणाली और मंत्रालय की रिपोर्ट पर चर्चा हुई। इसी बैठक में निलंबर और और ट्रांसफर के आदेश जारी करने का फैसला हुआ।
6 महीने तक मरीजों को लगे नकली रेमडेसिविर
बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन संकट मोचन बन गया था लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और लापरवाह सिस्टम के कारण करीब 6 महीने ( जून 2021 से दिसंबर 2021) तक मरीजों को नकली रेमडेसिविर लगते रहें। भ्रष्टाचार के इस खेल का खुलासा तब हुआ जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शिकायतकर्ता विवेक गवारे की शिकायत पर जांच टीम बनाई और मामले की जांच की।
पकड़ी गई रेमडेसिविर इंजेक्शन की खेप
स्वास्थ्य मंत्रालय के जांच में सामने आया कि जून 2021 को पंजाब पुलिस में रोपड़ से निकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खेप पकड़ी थी। पुलिस ने इसके सैंपल जांच के लिए हिमाचल की बद्दी लैब भेजे। वहां से यह सैंपल कोलकाता स्थित सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेट्री भेज दिए गए।
जांच में पाया गया नकली रेमडेसिविर
बता दें कि सेंट्रल ड्रग लैबोरेट्री (CDL) ने जांच में पाया कि इनमें रेमडेसिविर ड्रग है ही नहीं यानी यह नकली है। यह तुरंत रिपोर्ट भेजने के बजाय लैब दिसंबर 21 तक दबाए रही और नवंबर 21 में इंजेक्शन एक्सपायर हो गए ताकि नए सैंपल ना लिए जा सकें।