नमक के पानी से गरारे कर पता चलेगा कोरोना है या नहीं, ICMR ने कोरोना टेस्टिंग के अनोखे तरीके को दी मंजूरी
इस टेस्ट को सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर टेस्ट नाम दिया गया है। इसका मतलब है नमक के पानी से गरारे के जरिए कोरोना की जांच करना। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने शनिवार को इसे अप्रूवल दे दिया है। नीरी के अनुसार देशभर में टेस्टिंग को बढ़ाने में इस प्रोसेस से काफ़ी मदद मिलेगी।
जनज्वार ब्यूरो,दिल्ली। नमकीन पानी से गरारे कर हम कोरोना के बारे में पता लगा सकेंगे। इस तरह का अनोखा टेस्ट नागपुर की नेशनल एनवायरनमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) ने ईजाद किया है। कोरोना की जांच का यह बहुत ही आसान तरीका है। इसके अंतर्गत 3 घंटे में ही RT-PCR जितने सटीक नतीजे मिलते हैं। नमक के पानी से गरारे करके आप पता लगा सकते है कि आपको कोरोना है या नही।
इस टेस्ट को सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर टेस्ट नाम दिया गया है। इसका मतलब है नमक के पानी से गरारे के जरिए कोरोना की जांच करना। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने शनिवार को इसे अप्रूवल दे दिया है। नीरी के अनुसार देशभर में टेस्टिंग को बढ़ाने में इस प्रोसेस से काफ़ी मदद मिलेगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने की तारीफ-
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस तकनीक को बेहतरीन बताया। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से कोरोना की जांच में तेजी आएगी। बिना स्वाब के किया जाने वाला कोरोना का यह टेस्ट गेमचेंजर साबित हो सकता है।
नेशनल एनवायरनमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) में पर्यावरण विषाणु विज्ञान प्रकोष्ठ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कृष्णा खैरनार इसके बारे में बताते हैं, "स्वैब संग्रह विधि के लिए समय की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, चूंकि इस तकनीक में सम्भावित संक्रमितों जांच के दौरान कुछ असुविधा का सामना भी करना पड़ सकता है जिससे वे कभी-कभी असहज भी हो सकते। साथ ही इस प्रकार से एकत्र किए गए नमूनों को एकत्रीकरण केंद्र और जांच केंद्र तक ले जाने में भी कुछ समय लगता है। वहीं दूसरी ओर, नमक के पानी से गरारे (सेलाइन गार्गल) की आरटी-पीसीआर विधि तत्काल, आरामदायक और रोगी के अनुकूल है। सैम्पल तुरंत ले लिया जाता है और तीन घंटे में ही परिणाम मिल जाएगा।"
खुद ही ले सकते हैं सैम्पल-
डॉ कृष्णा खैरनार बताते हैं कि इस टेस्ट किट में सलाइन यु्क्त एक ट्यूब होगी। कोरोना की जांच के लिए इस सलाइन को मुंह में डालकर 15 सेकंड तक गरारा करना होगा। इसके बाद उसी ट्यूब में गरारे को थूक कर जांच के लिए दे देना होगा। लैब में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित बफर के साथ इसे मिश्रित करके 30 मिनट तक रखा जाएगा। आरटी-पीसीआर परीक्षण के लिए आरएनए प्राप्त करने के लिए इस मिश्रण को छह मिनट के लिए 98 डिग्री पर गर्म किया जाएगा। इस घोल को गर्म करने पर एक आरएनए टेम्प्लेट तैयार किया जाता है, जिसे आगे रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) के लिए संसाधित किया जाता है। सैम्पल एकत्र करने और उसे संसाधित करने की यह विशेष विधि हमें आरएनए निष्कर्षण की दूसरी अन्य महंगी ढांचागत आवश्यकता के स्थान पर इसका प्रयोग करने के लिए सक्षम बनाती है। लोग इससे स्वयं का परीक्षण भी कर सकते हैं, क्योंकि इस विधि अपना सैम्पल खुद ही लिया जा सकता है। यह विधि पर्यावरण के अनुकूल भी है, क्योंकि इसमें अपशिष्ट उत्पादन कम से कम होता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में साबित होगा उपयोगी-
न्यूनतम बुनियादी ढांचा आवश्यकताओं को देखते हुए यह विधि ग्रामीण व जनजाति क्षेत्रों के लिए उपयुक्त साबित होगी। वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि परीक्षण की यह अनूठी तकनीक ऐसे ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से लाभप्रद सिद्ध होगी जहां अभी तक बुनियादी ढांचे का अभाव है।