ICMR के सर्वे में कोरोना को लेकर बड़ा खुलासा, देश में 4 करोड़ के करीब हो सकते हैं कोरोना संक्रमित

सर्वे के अनुसार, अमेरिका में जहां एक ज्ञात कोरोना मामले की तुलना में 10 अज्ञात मामले हो सकते हैं, वहीं भारत में एक ज्ञात मामले की तुलना में 80 से 130 अज्ञात कोरोना मामले हो सकते हैं...

Update: 2020-09-12 18:00 GMT

केरल में कोरोना केसों की संख्या सर्वाधिक (प्रतीकात्मक तस्वीर)

जनज्वार। आइसीएमआर (Indian Council of Medical Research) के द्वारा कोरोना संक्रमण को लेकर कराए गए सीरो सर्वे (Seroprevalence Sseroprevalence surveyurvey - सीरोलॉजिकल सर्वे) में चौंकाने वाले नतीजे आए हैं। आइसीएमआर द्वारा कराए गए सीरो सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि भारत में जब किसी एक व्यक्ति को जांच में कोरोना पता चलता है तो उसकी तुलना में देश में 80 ऐसे लोग होते हैं जो कोरोना संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन उनका पता नहीं चल पाता है। 

आइसीएसम के सीरो सर्वे के अनुसार, कोरोना के प्रति कन्फर्म केस की तुलना में 80 से 130 ऐसे कोरोना संक्रमित हो सकते हैं जिनका पता नहीं चलता है।


मई-जून में कराए गए इस सर्वे के अनुसार, भारत की 40 प्रतिशत आबादी पहले ही SARS-Cov 2 virus की चपेट में है।

शनिवार (12 सितंबर 2020) की सुबह आए आंकड़े के अनुसार, भारत में 46 लाख से कुछ अधिक कोरोना के मामले दर्ज किए गए हैं और अगर इसे 80 से गुना करते हैं तो यह संख्या 372.8 लाख होती है। यानी वर्तमान में आइसीएमआर के सर्वे को आधार मान कर अगर ज्ञात की तुलना में देश में न्यूनतम अज्ञात कोरोना संक्रमितों की संख्या का आकलन करें तो यह 3.72 करोड़ हो सकती है।

आइसीएमआर द्वारा मई-जून में कराया गया सीरो सर्वे भारत का पहला कोविड सर्वे है। भारत से उलट अमेरिका में प्रति एक ज्ञात कोरोना मामले की तुलना में 10 अज्ञात मामले हो सकते हैं।

भारत में वास्तविक ज्ञात संख्या और अनुमानित संख्या के बीच इस भारी अंतर की प्रमुख वजह यह है कि यहां सिर्फ उन लोगों की कोरोना जांच करायी जाती है जिसमें उसके मिलते-जुलते लक्षण होते हैं। दूसरी वजह यह है कि भारत में विभिन्न राज्यों की टेस्टिंग पद्धति में काफी अधिक अंतर है। राज्यों के द्वारा लक्षण दिखने वालों की सिर्फ जांच करायी जाती है। सामुदायिक जांच की सुविधा अबतक भारत में उपलब्ध नहीं है।

इस सर्वे से एक और महत्वपूर्ण तथ्य उभर कर यह आता है कि जिस तरह कोरोना के मामले अज्ञात रह जाते हैं, उसी प्रकार उससे वास्तविक रूप से मरने वालों की संख्या भी अज्ञात रह जाती है। सर्वे के इन तथ्यों को इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित किया गया है।

आइसीएमआर के सर्वे के अनुसार, मई की शुरुआत में भारत में 64, 68, 388 वयस्क लोगों में कोरोना संक्रमण का अनुमान था।

आइसीएमआर ने अनुशंसा की है कि सभी टेस्ट सहित अन्य साकारात्मक पहल को लागू करने, पाॅजिटिव केस को आइसोलेट करने, उच्च संक्रमण जोखिम वाले का पता लगाने से इस महामारी का संक्रमण कम किया जा सकता है। इसके साथ ही स्वास्थ्य प्रणाली का व्यापक होना आवश्यक है।



इस मामले में थायरोकेयर टेक्नोलाॅजी लिमिटेड के एमडी व साइंटिस्ट डाॅ ए वेलुमनी कहते हैं कि मई और जून में जोखिम की दर से पता चलता है कि संक्रमण आबादी में फैल गया है। अनलाॅक की प्रक्रिया शुरू होने से संक्रमण बढेगा लेकिन मौतों की संख्या नहीं बढनी चाहिए इस पर फोकस करना चाहिए।

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