Indian Medicine Market : ट्रेड मार्जिन 100% से भी अधिक होने के कारण महंगी मिलती हैं दवाएं, ​जानिए क्या हो सकता है इसका समाधान?

Indian Medicine Market : एनपीपीए ने शुक्रवार को दवा बनाने वाली बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की है। इसमें नॉन-शिडयूल्ड मेडिसिंस पर ट्रेडर्स के मार्जिन को तर्कसंगत बनाने पर चर्चा हुई। इस ट्रेड मार्जिन रेशनलाइजेशन दवाओं की कीमतों को तर्कसंगत बनाने का तरीका है। इसमें सप्लाई चेन में ट्रेड मार्जिन की सीमा तय कर दी जाती है...

Update: 2022-05-21 08:18 GMT

Indian Medicine Market : ट्रेड मार्जिन 100 % से भी अधिक होने के कारण महंगी मिलती हैं दवाएं, ​जानिए क्या हो सकता है इसका समाधान?

Indian Medicine Market : देश में महंगी दवाओं पर ट्रेड मार्जिन ज्यादा है। खासकर उन दवाओं के मामले में ऐसा है, जिनकी कीमत 100 रुपए से अधिक (Indian Medicine Market) है। न्यूज बेवसाइट न्यूज 18 के अनुसार यह जानकारी नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी के एनालिसिस में सामने आयी है। आपको बता दें कि एनपीपीए का काम देश में दवाओं की कीमतों को नियंत्रित रखना है। यह दवा कंपनियों के रेगुलेटर के तौर पर काम करती है।

एनपीपीए ने शुक्रवार को दवा बनाने वाली बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की है। इसमें नॉन-शिडयूल्ड मेडिसिंस पर ट्रेडर्स के मार्जिन (Indian Medicine Market) को तर्कसंगत बनाने पर चर्चा हुई। इस ट्रेड मार्जिन रेशनलाइजेशन दवाओं की कीमतों को तर्कसंगत बनाने का तरीका है। इसमें सप्लाई चेन में ट्रेड मार्जिन की सीमा तय कर दी जाती है।

दवाओं की निर्माता कंपनी (Indian Medicine Market) जिस कीमत पर दवा बेचता और ग्राहक जिस कीमत पर दवा खरीदत है, उसके बीच के अंतर को ट्रेड मार्जिन कहा जाता है। किसी भी टैबलेट की कीमत जैसे-जैसे बढ़ती हैं, उसका ट्रेड मार्जिन वैसे-वैसे बढ़ता जाता है।

50-100 रुपए की कीमत की रेंज में आने वाले 2.97 फीसदी टैबलेट का ट्रेड मार्जिन 50-100 फीसदी के बीच है। इस कैटेगरी की 1.25 फीसदी दवाओं का मार्जिन 100-200 फीसदी के बीच हैं 2.41 फीसदी दवाओं का मार्जिन 200 से 500 फीसदी है।

एनपीपीए की एनालिसिस के मुताबिक, अगर 100 रुपए से ज्यादा कीमत (Indian Medicine Market) वाले टैबलेट की बात रें तो इनमें से 8 फीसदी का मार्जिन करीब 200 से 500 फीसदी के बीच हैं 2.7 फीसदी का मार्जिन करीब 500 से 1000 फीसदी हैं 1.48 फीसदी का मार्जिन 1000 फीसदी से ज्यादा हैं

डग्र रेगुलेटर के एनालिसिस से पता चलता है कि इंडिया में नॉन शेड्यूल दवाओं का सालाना टर्नओवर 1.37 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है। यह भारत में फार्मा मार्केट के टर्नओवर का 81 फीसदी हैं इसलिए दवाओं की मार्जिन में कमी करने की बहुत गुंजाइश हैं। इससे ग्राहकों को खासकर गरीब तबके के लोगों को खासा लाभ मिल सकेगा, क्योंकि उन्हें सस्ती कीमतों पर दवाएं उपलब्ध हो सकेंगी।

एनपीपीए और दवा कंपनियों (Indian Medicine Market) की मीटिंग में शामिल एक सरकारी अधिकारी ने न्यूज 18 डॉट कॉम को बताया है कि हमले इंडस्ट्री के साथ इंप्लीमेंटेंशन एप्रोच और कैलकुलेशन मैथोडलॉजी के बारे में बातचीत की हैं फार्मा कंपनियों ने यह माना है कि टीएमआर अच्छी पहल है और इससे दवाओं की कीमतों में बड़ी कमी आएगी।

अगर एनपीपीए की पहल से महंगी दवाओं खासकर टैबलेट की कीमतों (Indian Medicine Market) में कमी आती है तो इससे लोगों को बहुत फायदा होगा। अब भी हमारे देश में ज्यादातर आबादी की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे में अगर दवाओं पर उनकी आमदनी का जो हिस्सा खर्च होता है अगर उसमें कमी आती है तो निश्चित रूप से यह एक सकारात्मक बात होगी।

https://youtu.be/LzobhWJkC7Y  

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