Measles outbreak in Mumbai : अब मुंबई में खसरे का खतरा, 1 बच्चे की मौत, 50 अस्पताल में भर्ती

Measles outbreak in Mumbai : बीएमसी ने खसरे से संक्रमित बच्चों के इलाज के लिए कस्तूरबा अस्पताल में एक विशेष वार्ड बनाया है

Update: 2022-11-15 11:18 GMT

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Measles outbreak in Mumbai : मुंबई में खसरे के प्रकोप से लोगों में दहशत की स्थित है। मुंबई नगर निगम के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि शहर में खसरे से एक साल के बच्चे की मौत हो गई। साल 2022 126 बच्चे खसरे के शिकार हो चुके हैं। बीएमसी के एक अधिकारी ने कहा कि नल बाजार इलाके के लड़के का पिछले हफ्ते से चिंचपोकली के बृहन्मुंबई नगर निगम द्वारा संचालित कस्तूरबा अस्पताल में इलाज चल रहा था। 14​ नवंबर को उसकी मौत हो गई। खसरे से पीड़ित 50 बच्चे अभी भी अलग-अलग अस्पताल में उपचार जारी है।

कस्तूरबा अस्पताल में विशेष वार्ड

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में खसरे के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए बीएमसी ने खसरे से संक्रमित बच्चों के इलाज के लिए कस्तूरबा अस्पताल में एक विशेष वार्ड बनाया है। बीएमसी बुलेटिन के मुताबिक चार नवंबर से 14 नवंबर के बीच 61 बच्चों को खसरे जैसे लक्षणों के साथ कस्तूरबा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसमें बताया गया कि उनमें से 12 को सोमवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में खसरे बीमारी का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है जिससे बच्चों पर खतरा बढ़ गया है। इस खतरनाक बीमारी से एक साल के बच्चे की मौत हो गई है। बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के एक अधिकारी ने कहा कि नल बाजार इलाके में रहने वाला बच्चा चिंचपोकली में बीएमसी द्वारा संचालित कस्तूरबा अस्पताल में पिछले हफ्ते से भर्ती था और सोमवार को उसकी मौत हो गई।

सितंबर के बाद 96 बच्चे खसरे से पीड़ित

बीएमसी के अधिकारियों का कहना है कि डॉक्टरों के मुताबिक खसरा ब्रांकोनिमोनिया के साथ गुर्दे खराब होने व सेप्टीसीमिया के कारण बच्चे की मौत हुई है। बीएमसी की ओर से जारी एक बुलेटिन में कहा गया है कि मुंबई के कुछ इलाकों में खसरे का प्रकोप देखने को मिला है। सितंबर से कम से कम 96 बच्चे इससे संक्रमित पाए जा चुके हैं जबकि इस साल जनवरी से देखें तो यह आंकड़ा 126 है।

ये हैं खसरे के लक्षण

बीएमसी की ओर से जारी बुलटिन में इस बात का भी जिक्र है कि खसरे में बच्चे को बुखार, सर्दी, खांसी और शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। इस बीमारी से जटिलताएं उन बच्चों में गंभीर हो सकती हैं जिन्हें आंशिक रूप से टीका लगाया गया है या जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है।  

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