Oxfam Report : 2020 की तुलना में 2021 में कम मिले महिलाओं को रोजगार, समय पूर्व मृत्यु के खतरों में भी हुई बढ़ोतरी

Oxfam Report : कोरोना के साइड इफेक्ट को लेकर आक्सफैम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 की तुलना में गरीब परिवार की महिलाओं के सामने संकट पहले से ज्यादा गंभीर हो गया है।

Update: 2022-11-27 03:45 GMT

Oxfam Report : कोरोना के साइड इफेक्ट को लेकर आक्सफैम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 की तुलना में गरीब परिवार की महिलाओं ( women ) के सामने संकट पहले से ज्यादा गंभीर हो गया है। 2021 में महिलाओं को रोजगार की कमी ( women employment ) , आर्थिक संकट और घरेलू हिंसा का शिकार का सामना ज्यादा करना पड़ा। विश्व भर में सरकारें महामारी (Pandemic) से अपनी अर्थव्यवस्थाओं (Economies) को उबारने और महंगाई (Inflation) पर रोक लगाने की कोशिशों के तहत महिलाओं एवं लड़कियों को गरीबी (Poverty) की ओर धकेल रही हैं। यानि महिलाओं के सशक्तिकरण ( women empowerment ) को लेकर जारी मुहिम कमजोर पड़ गया है।

दुनिया भर में जारी है महिला सुरक्षा की उपेक्षा

आक्सफैम की 'द असाल्ट आफ आस्टेरिटी' (The Assault Of Austerity) नाम से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि महामारी के चलते 2020 की तुलना में 2021 में कम संख्या में महिलाओं को रोजगार मिला। महिलाओं को जरूरी सार्वजनिक सेवाओं में कटौती के परिणाम के रूप में शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों का सामना करना पड़ा, क्योंकि वे उन पर ज्यादा निर्भर करती हैं। कोरोना महामारी से उबरने की राह महिलाओं एवं लड़कियों के जीवन की सुरक्षा और उनके कठिन परिश्रम की कीमत पर तैयार की जा रही है। विश्व भर में सरकारें महामारी से अपनी अर्थव्यवस्थाओं को उबारने और महंगाई पर रोक लगाने की कोशिशों के तहत महिलाओं एवं लड़कियों को गरीबी के नए स्तर, अधिक कामकाज और समय से पहले मृत्यु के अभूतपूर्व खतरे में डाल रही हैं।

हर साल 8 लाख महिलाएं समय पूर्व मौत की शिकार

कोरोना के दौर में महिलाओं की स्थिति का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि महिलाएं एवं लड़कियां को स्वच्छ पेयजल के लिए पहले से ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्वच्छ पेयजल के अभाव में 8,00,000 से ज्यादा महिलाएं हर साल मौत को समय पूर्व गले लगा रही हैं। इतना ही नहीं महिलाएं पहले से ज्यादा हिंसक घटनाओं का सामना कर रही हैं। हर 10 महिलाओं एवं लड़कियों में से एक को बीते साल अपने करीबी व्यक्ति से यौन और शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा।

सेवाओं में कटौती से खतरे में लैंगिक न्याय

Oxfam Report : ऑक्सफैम प्रमुख अमीना हेरसी का कहना है कि महामारी के बाद इससे उबरने की राह महिलाओं एवं लड़कियों के जीवन, कड़ी मेहनत और सुरक्षा की कीमत पर तैयार की जा रही है। मितव्ययिता लैंगिक आधारित हिंसा का एक रूप है। इसके बावजूद दुनिया भर की सरकारें सार्वजनिक सेवाओं में कटौती कर नुकसान पहुंचाना जारी रख सकती हैं या वे उन लोगों पर कर लगा सकती हैं जो इसे वहन कर सकते हैं। कोरोना के बाद महिलाओं की राह में बढ़ते संकट को देखते हुए ऑक्सफैम की रिपोर्ट में सभी सरकारों से अपील की है कि वो मितव्ययिता को समाप्त करने बजाय नारीवादी बजटिंग और प्रगतिशील कराधान जैसे विकल्पों की तलाश करने पर जोर दें। ऑक्सफैम ने आईएमएफ से दर्दनाक, विफल मितव्ययिता उपायों को आगे बढ़ाने से रोकने और अपने सभी मौजूदा ऋण कार्यक्रमों पर मितव्ययिता-आधारित शर्त को निलंबित करने का आह्वान किया। 

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