शर्मनाक! बिना बेहोश किए चीखती-चिल्लाती महिलाओं की जबरन कर दी गई नसबंदी, आपबीती सुन एक्शन में आई NCW, हड़कंप
Khagadiya News : अफसोस की बात यह है कि ऐसे डॉक्टरों को गिरफ्तार करने के बजाय एनजीओ को ब्लैक लिस्ट किया जाता है। बिहार में ये सिलसिला जारी रहा तो शायद ही कोई महिला नसबंदी कराने की हिम्मत जुटा पाये।
Khagadiya News : यूं ही नहीं कहा जाता है कि बिहार ( Bihar ) में जंगलराज है। ऐसा बोलने पर सुशासन बाबू यानि नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) बहुत नाराज होते हैं, लेकिन हकीकत यही है। ऐसा इसलिए कि जंगलराज ( Jungalraj ) केवल वही नहीं होता कि कोई किसी का बेहिचक हत्या कर दे या मनमानी करे। जंगलराज वो भी शामिल है कि चीखती-चिल्लाती, दर्द से कड़ाहती महिला का हाथ पैर पक़कर बेहरमी से डॉक्टरों की टीम बिना बेहोश किए नसबंदी ( sterilized without fainting ) कर दे।
अमानवीयता की हद से पार जाकर नसबंदी का ऐसा ही मामला बिहार ( Bihar ) के खगड़िया ( Khagadiya ) से सामने आया है। इस मामले में महिलाओं के ऑपरेशन ( family planning operation ) के दौरान डॉक्टर की बेरहमी सामने आई है। महिलाओं की दर्दनाक आपबीती सुनकर हर कोई हैरान है। आप भरोसा नहीं कर पाएंगे कि आज के दौर में बिहार में ऐसा भी होता है। जहां जनसंख्या स्थिरीकरण के सभी उपाय होने चाहिए, वहां महिलाओं को बिना बेहोश किए ऑपरेशन कर दिया जाता है।
दिल दहला देने वाली यह शर्मनाक घटना बिहार के खगड़िया जिले के अलौली पीएचसी की है। अलौली में 23 महिलाओं की नसबंदी ऐसे कर दी गई कि जैसे जानवरों की भी नहीं की जाती। बिना बेहोश किये या लोकल एनस्थीसिया दिये ही इन महिलाओं का नसबंदी का आपरेशन कर डाला गया। परबत्ता में भी इसी तरह की अमानवीय घटना हो चुकी है। एनसीडब्लू के एक्शन में आने से मामले की जांच जांच शुरू कर दी गई है। यहां डॉक्टरों ने बंध्याकरण के मानकों को ताक पर रखकर महिलाओं का ऑपरेशन कर दिया है।
आरोपियों को गिरफ्तार करने के बजाय एनजीओ ब्लैक लिस्ट
अफसोस की बात तो यह है कि ऐसे अपराधियों को गिरफ्तार करने के बजाय केवल एनजीओ को ब्लैक लिस्ट किया जाता है। अगर खगड़िया ( Khagadiya ) की घटना के बाद भी बिहार ( Bihar News ) में ये सिलसिला जारी रहा तो शायद ही कोई महिला बच्चा बंद कराने का हिम्मत कर पाएगी।
बिहार सरकार आदेश एनेस्थीशिया आपरेशन की राह में बड़ी बाधा
घटना को लेकर सिविल सर्जन अमर कांत झा का कहना है कि इसमें छोटा-सा चीरा लगता है। लोकल एनेस्थीशिया के लिए सरकार का ही निर्देश है। जनरल एनेस्थीशिया में ऑपरेशन नहीं करने का निर्देश है। लोकल में एक से डेढ़ घंटे पहले नींद की सुई देने का प्रावधान है। जब रोगी अर्धमूर्छित हो जाए तो ऑपरेशन के लिए ले जाया जाता है। वहां निश्चेतना के लिए स्किन पर क्रीम लगाकर काम किया जाता है। इसमें जान जाने का रिस्क भी शामिल होता है। जनरल एनेस्थीशिया में सांस रुकने समेत कई समस्याएं आती हैं और इसके लिए एनेस्थीशिया एक्सपर्ट की जरूरत होती है। एक्सपर्ट का घोर अभाव है। अगर इस केस में प्रावधानों के तहत बगैर नींद की सुई दिए और मरीज के दर्द के बावजूद बंध्याकरण किया गया है तो यह निंदनीय है। हम इसकी जांच करेंगे। इस मामले में संबंधित पीएचसी प्रभारी से रिपोर्ट तलब की गई है।
आरोपी डॉक्टरों का रद्द करें लाइसेंस
फिलहाल, बिना बेहोश किए महिलाओं की नसबंदी का दर्द भले ही वहां के सर्जनों व मेडिकल प्रैक्टिसरों का न सुनाई देता है लेकिन चीखती चिल्लाती महिलाओं की कड़ाहती आवाज की गूंज दिल्ली में राष्ट्रीय महिला आयोग तक पहुंच गई है। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इस घटना पर संज्ञान (NCW took cognizance) लेते हुए मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जिम्मेदार डॉक्टर्स और NGO पर कार्रवाई की मांग की है। रेखा शर्मा ने इस तरह से नसबंदी के काम में शामिल एनजीओ, डॉक्टरों और अन्य लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा है। महिला आयोग ने ट्विटकर कहा है कि मेडिकल लापरवाही और तय प्रक्रिया का पालन नहीं करने के आरोपी डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द करने को कहा है।
नंबर बढ़ाने के लिए जिदंगी से खिलवाड़
अनैतिक और गैर कानूनी तरीके से नसबंदी का इस काम के लिए बिहार सरकार प्रति महिला 2170 रुपये का भुगतान करती है। कहा जाता है कि ज्यादा संख्या बढ़ाने के फेर में जैसे तैसे सरकारी प्रावधान व मापदंड को ताक पर रख कर डॉक्टर बंध्याकरण ऑपरेशन कर जिदंगी से खिलवाड़ करते हैं। ऐसा नहीं है कि प्रशासन व बिहार के नुमाइंदों को इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन बिहार, यहां सबकुछ ऐसे ही चलता है।