हड़ताल पर छह मेडिकल कॉलेजों 2000 रेजिडेंट डॉक्टर्स, रूपाणी सरकार के हाथ-पांव फूले, महामारी अधिनियम लागू करने की दी चेतावनी

रेजिडेंट डॉक्टर्स की मांग है कि पुराने 1:2 दिन के फॉर्मूले को बहाल किया जाए और सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन प्रदान किया जाए। डॉक्टर चाहते हैं कि सरकार बॉन्ड की अवधि के दौरान उन्हें दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्र के बजाय उनके मातृ संस्थानों में उन्हें तैनात करे....

Update: 2021-08-07 09:10 GMT

(गुजरात के उपमुख्यमंत्री ने आंदोलनकारियों की मांग को खारिज किया और उन्हें वापस काम पर लौटने को कहा है।)

जनज्वार। गुजरात के छह सरकारी मेडिकल कॉलेजों के 2000 रेजिडेंट डॉक्टर बुधवार 4 जुलाई से हड़ताल पर हैं। ये डॉक्टर्स बांड सेवा अवधि और सातवें वेतन आयोग के मुद्दे को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर गुजरात सरकार ने इस हड़ताल को अवैध करार देते हुए महामारी रोग अधिनियम लागू करने की चेतावनी दी है।

खबरों के मुताबिक ये आंदोलनकारी रेजिडेंट डॉक्टर राजधानी अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, भावनगर और जामनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के हैं। इनमें से ज्यादातर वे रेजिडेंट डॉक्टर्स हैं जिन्होंने हाल ही में अपना पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स पूरा किया है।

बता दें कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों के छात्रों को गुजरात में एक बांड पर हस्ताक्षर करने होते हैं जिसके तहत यह अनिवार्य है कि वे अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में एक वर्ष तक सेवा करेंगे। डॉक्टर 40 लाख रुपये देकर बांड तोड़ सकते हैं।

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान जब संक्रमितों के मामले लगातार बढ़ रहे ते तब रूपाणी सरकार ने घोषणा की थी कि कोविड 19 ड्यूटी के ड्यूटी को दो दिनों की बॉन्ड ड्यूटी के बराबर माना जाएगा। इस प्रकार कोविड वार्डों में छह महीने की अवधित को एक वर्ष की बॉन्ड अवधि के रूप में माना जाएगा। 

हालांकि जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एक बयान में कहा है कि जुलाई में जब कोविड के मामलों में कापी गिरावट आई तो एक नई अधिसूचना जारी की गई जिसमें कहा गया कि पिछले 1:2 के बजाय 1:1 दिन के फॉर्मूले को बहाल कर दिया गया है।

वहीं रेजिडेंट डॉक्टर्स की मांग है कि पुराने 1:2 दिन के फॉर्मूले को बहाल किया जाए और सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन प्रदान किया जाए। डॉक्टर चाहते हैं कि सरकार बॉन्ड की अवधि के दौरान उन्हें दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्र के बजाय उनके मातृ संस्थानों में उन्हें तैनात करे।

वहीं दूसरी ओर गुजरात के उपमुख्यमंत्री ने आंदोलनकारियों की मांग को खारिज किया और उन्हें वापस काम पर लौटने को कहा है। उपमुख्यमंत्री ने एक बयान मं कहा- "इन दिनों बहुत कम कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संक्या में डॉक्टर्स की आवश्यकता है। हमने एक आदेश जारी किया है जिसमें बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने वाले डॉक्टरों को ग्रामीण क्षेत्रों में अपने-अपने काम पर जाने के लिए कहा गया है। उनके लिए बॉन्ड की शर्तों के अनुसार गांव में सेवाएं देना अनिवार्य है। अगर वे अपने गांवों सेवाएं नहीं देना चाहते तो उन्हें चालीस लाख रुपये जमा करने होंगे।"

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