Karnataka : हॉस्पिटल की लापरवाही ने ली महिला और नवजात जुड़वा बच्चों की जान, भर्ती न करने के आरोपी डॉक्टर-नर्स सस्पेंड, मचा बवाल

कर्नाटक ( Karnataka ) के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. के सुधाकर ने कहा कि आपातकालीन स्थितियों में मरीजों को अस्पताल में दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।

Update: 2022-11-04 09:23 GMT

Karnataka : हॉस्पिटल की लापरवाही ने ली महिला और नवजात जुड़वां बच्चे की जान, भर्ती न करने के आरोपी डॉक्टर-नर्स सस्पेंड, मचा बवाल 

Karnataka : कर्नाटक के तुमकुरु ( Tumakuru)  जिले में एक 30 वर्षीय महिला और उसके नवजात जुड़वां बच्चों ( woman and newborn twin die ) की जिला अस्पताल के अधिकारियों द्वारा भर्ती करने से इनकार करने के बाद प्रसव पीड़िता सहित उसके दो नवजात की भी मौत हो गई। अस्पताल के अधिकारियों ने महिला कस्तूरी को यह कहते हुए ​एडमिट ( Hospital refuse to admit pregnant women ) करने से इनकार कर दिया था उसके पास सरकार की मातृ चैतन्य योजना के तहत आधार कार्ड या थायी कार्ड नहीं है।

चौंकाने वाली बात ये है कि प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को कार्ड न होने के आधार पर अस्पताल में भर्ती करने से मना नहीं किया जा सकता। प्रसव पीड़ा आपात स्थिति है। भला कोई डॉक्टर या नर्स ऐसा कैसे कर सकता है। डॉक्टर और नर्सों की लापरवाही का नतीजा यह हुआ कि घर पर डिलीवरी होते-होते महिला सहित दो नवजात की भी मौत ( women and newborn baby death )  हो गईं

द न्यूज मिनट ( The News Minute ) के मुताबिक कस्तूरी तमिलनाडु की रहने वाली थीं और 6 माह पहले अपनी छह साल की बेटी के साथ तुमकौर के भारतीनगर में शिफ्ट हुई थी। कस्तूरी को बुधवार यानि 2 नवंबर की देर रात प्रसव पीड़ा हुई। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि वे उसे वहां भर्ती नहीं कर सकते क्योंकि उसके पास आधार ओट 'थायी' कार्ड नहीं था, जो प्रसव पूर्व और प्रसवोत्तर अवधि के दौरान महिला के स्वास्थ्य रिकॉर्ड का कार्य करता नहीं है। डॉक्टर और नर्स यह भूल गए कि आपात स्थिति में महिला को कार्ड दिखाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

अफसोस की बात यह है कि डॉक्टरों ने महिला को तुमकुरु अस्पताल में भर्ती करने क बजाय बेंगलुरु के विक्टोरिया अस्पताल में रेफर कर दिया। महिला के पास बेंगलुरु जाने के लिए पैसा न होने की वजह से वह भारतीनगर में अपने घर लौट आई और गुरुवार की सुबह वहां बच्चों को जन्म दिया। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक कस्तूरी ने बच्चे के जन्म के दौरान गंभीर प्रसव पीड़ा का सामना किया। चिकित्सीय सहायता न मिलने की वजह से प्रसव के दौरान ही तीनों की मृत्यु हो गई।

इस अमानवीय घटना का खुलासा हाते ही स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आये। लोगों ने कस्तूरी की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन के उदासीन रवैये के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने संबंधित डॉक्टरों और कर्मचारियों को संस्पेंड ( doctor-nurse suspend ) करने की मांग की है।

डॉक्टर और नर्स सस्पेंड

जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मंजूनाथ ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा देते हुए कहा कि मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने के लिए आधार और मदर कार्ड अनिवार्य नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल में तीन नर्सों को निलंबित कर दिया गया है। वह डॉक्टर के निलंबन की भी सिफारिश करते हैं। डीएचओ ने कहा कि दुखद घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

कार्ड दिखाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते डॉक्टर

इस मसले में पर कर्नाटक ( Karnataka ) के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. के सुधाकर ने कहा कि आपातकालीन स्थितियों में मरीजों को अस्पताल में दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर दिया गया है। दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।

डॉक्टर और नर्स पर मंडराया बर्खास्तगी का खतरा

Karnataka News : कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ.के सुधाकर ने कहा कि दोषी पाए जाने पर निलंबित कर्मियों को न केवल सेवा से बर्खास्त किया जाएगा, बल्कि उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को सख्त आदेश दिए गए हैं कि वे सावधानी बरतें ताकि इस तरह की घटना दोबारा न हो।

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