ल्यूकोरिया पीड़ित महिलायें समय से करवायें इलाज, रोग की अनदेखी हो सकती है जानलेवा

What is leucorrhoea : योनि में ‘ट्रिकोमोन्स वेगिनेल्स’ नामक बैक्टीरिया की उपस्थिति के कारण भी ल्यूकोरिया होता है। इसके अलावा ल्यूकोरिया असुरक्षित सेक्स संबंध बनाने से होने वाले संक्रमण के कारण। बार-बार गर्भपात होने या अबॉर्शन करवाने से...

Update: 2024-01-17 09:58 GMT

जनस्वास्थ्य चिकित्सक डॉ. एके अरुण की टिप्पणी

Women Health : ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) के लक्षणों में योनि का हमेशा गीला बना रहना, दिन-रात सफेद स्त्राव निकलना, स्त्राव की मात्रा कभी कम तो कभी ज्यादा होना, स्त्राव के कारण योनि में जलन और खुजली होना, स्त्राव में दुर्गंध आना, बार-बार मूत्र त्याग की इच्छा, कब्ज की समस्या, कमर में दर्द, हमेशा थकान महसूस करना, स्वभाव में चिड़चिड़ापन, उत्साह की कमी, शारीरिक कमजोरी, चलने और उठने के दौरान जांघों में भारीपन और दर्द, हाथ-पैरों में जलन, सीने में दर्द और भारीपन, सिरदर्द, चक्कर आना, आँखों के नीचे काले घेरे और गड्ढे पड़ जाना, भोजन का न पचना, खाने में अरुचि, इत्यादि स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिलती है।

इसके अलावा यह वेजाइनल हाइजीन की अस्वच्छता, हीमोग्लोबिन की कमी और पोषण की कमी से भी होता है। योनि में ‘ट्रिकोमोन्स वेगिनेल्स’ नामक बैक्टीरिया की उपस्थिति के कारण भी ल्यूकोरिया होता है। इसके अलावा ल्यूकोरिया असुरक्षित सेक्स संबंध बनाने से होने वाले संक्रमण के कारण। बार-बार गर्भपात होने या अबॉर्शन करवाने से। डायबिटीज पेशेंट महिलाओं की योनि में फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग के कारण। शरीर की इम्म्युनिटी सिस्टम के कमजोर होने के कारण भी ल्यूकोरिया होता है।

ल्यूकोरिया (leukorrhea) से होने वाले अन्य रोग

श्वेत प्रदर (Vaginal discharge) की समस्या होने पर यह शारीरिक दुर्बलता, स्वभाव में चिड़चिड़ापन, उत्साह की कमी का कारण तो बनता ही है, साथ ही विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे - गर्भाशय का कैंसर, योनि मार्ग की सूजन, जननेन्द्रिय में फोड़ा-फुंसी होना, बार-बार गर्भपात, गर्भाशय और डिम्ब ग्रंथियों का अपने स्थान से खिसकना, मूत्राशय की सूजन, डिम्बाशय शोथ, हीमोग्लोबिन की कमी, शीघ्रतापूर्वक गर्भ ठहरना, डायबिटीज, सिफलिस, गनोरिया, किडनी की बीमारियां, जिगर के रोग, अजीर्ण आदि रोगों के लक्षण के रूप में उत्पन्न होता है। इसके कारण प्रजनन अंगों में सूजन आ जाती है।

उचित समय पर इलाज जरूरी

श्वेत प्रदर का रोग होने पर इसका उपचार उचित समय पर ही शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि इससे यह रोग जल्द ही ठीक हो जाता है। देर करने पर और भी विभिन्न प्रकार की बीमारियों के होने का खतरा रहता है। इस रोग के होने पर रोगी को कब्ज से बचने की कोशिश करनी चाहिए, अन्यथा इसका स्त्राव बढ़ जाता है। मसालेदार और गरिष्ठ भोजन के बजाय हल्का, संतुलित और पौष्टिक भोजन को अपने आहार में सम्मिलित करना चाहिए।

लगातार स्त्राव होने के कारण कपड़ों के खराब होने और दूसरों के सामने शर्मिंदगी की स्थिति न झेलनी पड़े, इसका ध्यान रखना चाहिए। इसलिए बेहतर होगा कि श्वेत प्रदर की समस्या होने पर आप पीरियड के दिनों की तरह सैनिटरी नैपकिन या टेम्पून का इस्तेमाल करें। होमियोपैथी में ल्यूकोरिया के उपचार की अच्छी दवा है।

Tags:    

Similar News