इन आधी-अधूरी तैयारियों के साथ पटना को डूबने से कैसे बचायेंगे नीतीश कुमार!
पिछले साल लगातार 5 दिनों की बारिश के बाद पिछले वर्ष सितंबर महीने में पटना डूब गया था। ज्यादातर इलाकों में सड़कों पर 2 से 5 फीट पानी लग गया था और कई दिनों तक नावें चलानी पड़ी थीं, इस साल भी हालात कुछ अच्छे नहीं हैं...
पटना के अलग-अलग इलाकों से जनज्वार टीम की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। बिहार में मॉनसून प्रवेश कर चुका है। लगभग सभी जिलों में मध्यम बारिश हो रही है। 2 दिन पूर्व बिहार के कई जिलों में अच्छी बारिश हुई थी। पटना में भी पिछले 4 दिनों से रुक-रुककर अच्छी बारिश हो रही है। इतनी ही बारिश में पटना के कई इलाकों में जलजमाव हो चुका है।
'जनज्वार' ने पटना के अमूमन सभी क्षेत्रों में जाकर हालात को समझने की कोशिश की। लोगों के मन में पिछले वर्ष के भारी जलजमाव की याद ताजा हो जा रही है। पिछले वर्ष सितंबर महीने में लगातार पांच दिनों तक हुई बारिश के बाद पूरा पटना जलमग्न हो गया था। सभी प्रमुख इलाकों की सड़कों पर 2 से 6 फीट तक जलजमाव हो गया था। सड़कों पर नाव चल रहे थे और बड़ी संख्या में लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना पड़ा था। कई दिनों तक पटना में जलकर्फ्यू लग गया था।
जनज्वार की टीम ने पटना के सभी प्रमुख इलाकों में जाकर पटना को जलमग्न होने से बचाने के लिए अबतक किए गए कार्यों को देखने-समझने की कोशिश की तो सरकार और नगर निगम द्वारा लाई गई योजनाओं-परियोजनाओं की जमीनी हकीकत देखने को मिली।
क्षेत्र के लोगों से बात की, उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश की। मुख्य रूप से पटना के सीवरेज सिस्टम, नालों की उड़ाही, संप हाउसों की स्थिति, इनमें लगे पंपों की स्थिति आदि को जाना और समझा। इन सबके बीच एक बात तो स्पष्ट तौर पर सामने आई कि तैयारी अभी भी अधूरी है। गोला रोड जैसे कुछ क्षेत्रों में काम अभी चल ही रहा है तो सैदपुर के इलाकों में सीवरेज सिस्टम का काम पूरा हो चुका है, पर काम के दौरान इतने गड्ढे बनाकर छोड़ दिए गए हैं कि ये अलग से खतरा बन गए हैं।
लोग कहते हैं हमें उम्मीद थी कि पिछले साल बाढ़ की तबाही से सीख लेकर नीतीश सरकार इस बार समय से तैयारी कर लेगी। नालों की उड़ाही हो जाएगी, ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त कर लिए जाएंगे और संप हाउसों की व्यवस्था सुधार ली जाएगी। पर धरातल पर ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा। लिहाजा लोग तनाव में हैं कि पहले से कोरोना और चमकी बुखार ने कहर ढाया हुआ है, उस पर से अगर बारिश की तबाही झेलनी पड़े तो जिंदगी तबाह हो जायेगी।
पिछले वर्ष पटना समेत बिहार के कई इलाकों में जलजमाव और नाव चलने के बाद स्थिति सामान्य होते ही सरकार ऐक्शन में आई थी। कई जांच समितियां बनीं गईं। कई छोटे-बड़े अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई हुई। वादा किया गया कि इस बार सारी तैयारी समयपूर्व कर ली जाएगी और लोगों को कोई परेशानी नहीं होगी। कुछ काम हुए भी, पर ये सब नाकाफी दिख रहे। चूंकि कई महत्वपूर्ण कार्य अब भी अधूरे हैं तो कई शुरू ही नहीं हो सके।
जनज्वार टीम सबसे पहले पटना के दिनकर गोलंबर स्थित संप हाउस पहुंची, फिर बारी-बारी से अन्य संप हाउसों को भी देखा-समझा। दिनकर गोलंबर संप हाउस को अपग्रेड करने की बात कही गई थी, पर इसका अपग्रेडेशन नहीं हो सका। कांग्रेस मैदान स्थित अस्थायी संप हाउस का काम भी अधूरा है। हां, सैदपुर के संप हाउस की स्थिति ठीकठाक कही जाएगी। अशोकनगर जीरो पॉइंट संप हाउस पिछले वर्ष के जलजमाव में फेल होकर बैठ गया था। इस संप हाउस में 200 एचपी का एक, सौ एचपी के दो और 50 एचपी के दो मोटर लगे हैं। इसमें से एक की मरम्मत चल रही है। पिछले वर्ष इस संप हाउस के फेल हो जाने के बाद इसकी क्षमता बढ़ाने की बात की गई थी ताकि सभी मोटर एक साथ चल सकें,पर यह काम अभी शुरू ही नहीं हुआ।
पटना के ज्यादातर मुख्य नाले 60 से 65 वर्ष पुराने हैं। पिछले वर्ष के जलजमाव में यह बात सामने आई थी कि इन नालों के नक्शे ही उपलब्ध नहीं हैं। न तो नगर निगम के पास,न सरकार के पास। अब नक्शा ही नहीं, तो सफाई और उड़ाही कैसे होगी। नालों पर भारी अतिक्रमण है। नक्शा के अभाव में इसे हटाना भी कठिन हो गया था। इसे लेकर नगर निगम की भारी किरकिरी भी हुई थी। यह तो स्पष्ट नहीं कि नक्शा मिला या नहीं, पर कुछ दिनों पूर्व नालों पर से अतिक्रमण हटाने और इनकी सफाई का काम जरूर शुरू हुआ है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने 19 जून को भी इस नक्शे के गुम होने की चर्चा की है। उधर सफाई के बाद भी कई मुख्य नालों में भारी मात्रा में गाद होने की शिकायत लोग कर रहे हैं।
हम कुर्जी नाला स्थित संप हाउस पहुंचे। कुर्जी नाला संप के पास से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पूरी कर ली गयी है। यहां अब अतिक्रमण नहीं है। उधर पिछले दिनों रामलखन पथ के तीन पुलियों को काटकर हटा दिया गया है। दावा किया जा रहा है कि इनके हटने के बाद न्यू बाईपास नाले से कंकड़बाग में जलजमाव नहीं होगा। ये पुलिये पहले ह्यूमपाइप के बनाए गए थे, बाद में इन पर सड़क बना लिए गए थे।
कंकड़बाग को एशिया की सबसे बड़ी कॉलोनी कहा जाता है। पिछले वर्ष कंकड़बाग और राजेंद्र नगर सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में से थे और यहां की सड़कों पर एक पखवाड़े से ज्यादा समय तक 5 से 6 फीट पानी लगा था। उधर बाकरगंज नाले पर अभी भी अतिक्रमण है,जिस कारण इसकी पूरी उड़ाही नहीं हो सकी है। सैदपुर नाले से अतिक्रमण हटाया जा चुका है। यहां स्थिति संतोषजनक है।
सैदपुर सीवरेज प्लान व एडजोइनिंग नेटवर्क के तहत 51 किलोमीटर के सीवरेज लाइन का काम पूरा कर लिया गया है। वैसे इस दौरान यहां बड़े-बड़े गढ्ढे छोड़ दिए गए हैं, जलजमाव होने की स्थिति में ये खतरनाक साबित हो सकते हैं।
पिछले वर्ष गोला रोड, रूपसपुर नहर रोड के किनारे के मुहल्ले सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से थे। हमने यहां भी हालात का जायजा लिया और लोगों से बात कर समस्याओं को समझा।छह-सात किलोमीटर की परिधि वाले इस क्षेत्र में पिछले वर्ष एक माह से ज्यादा समय तक जलजमाव हुआ था और लोग घरों में कैद हो गए थे।
स्थानीय लोग बताते हैं कि पश्चिमी पटना के गोला रोड के मुख्य नाले की सफाई निर्माण के बाद से कभी नहीं हुई थी। पिछले वर्ष की स्थिति से भयभीत स्थानीय लोगों ने इस बार पहल की और स्थानीय सांसद-विधायक के पास फरियाद कर मई माह में सफाई काम शुरू कराया।
लोगों का कहना है कि यहां सफाई में इतना कचरा निकल रहा कि पूरी उड़ाही नहीं हो पाई। लोगों ने नगर निगम के सिटी मैनेजर और इंजीनियर को भी बुलाया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह नाला बनाया ही ऐसा गया है कि अपनी क्षमता का आधा पानी भी नहीं निकाल सकता।
पटना के प्रमंडलीय आयुक्त संजय अग्रवाल ने भी दो दिन पूर्व यहां निरीक्षण किया था। इस दौरान ह्यूम पाइप लगाकर बनाए गए दीघा घुड़दौड़ स्थित कई पुलियों को तोड़ने का आदेश दिया गया। दीघा से रूपसपुर के बीच कई स्थानों पर नालों को अवरुद्ध कर बनाई गई सड़कों को काटने का भी उन्होंने निर्देश दिया। वैसे अभी यहां लगभग डेढ़ महीने से सफाई कार्य चल रहा है और काम अधूरा है।
दो दिनों की बारिश के बाद कई इलाकों में जलजमाव की खबर पाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 19 जून को कई नालों, पईनों और संप हाउस का निरीक्षण किया। उन्होंने बादशाही पईन का भी निरीक्षण किया। बादशाही पईन की लंबाई लगभग 30 किलोमीटर है और यह पटना शहर से गुजरता है। माना जाता है कि इस पर से अतिक्रमण हटाकर इसके प्रवाह को दुरुस्त कर लिया जाय तो पटना के बड़े इलाके को जलजमाव से स्थायी रूप से निजात मिल जाएगा।
यहां वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट द्वारा कई तरह के काम कराए गए हैं। इसे अतिक्रमण मुक्त करने, रिसेंक्शनिंग करने और सीसीटीवी कैमरा लगाने की योजनाओं पर काम हो रहा है। मुख्यमंत्री ने साथ गए जल संसाधन मंत्री संजय झा और विभाग के प्रधान सचिव संजीव हंस को कई आवश्यक निर्देश दिए।
सरकार और पटना नगर निगम अपनी तरफ से पूरा दावा कर रहे हैं कि तैयारी कर ली गयी है और लोगों को परेशानी नहीं होगी। पर जनता आशंकित है, चूंकि कई जगहों पर धरातल पर तैयारी नहीं दिख रही तो कई जगहों पर तैयारी अधूरी लग रही है। बरसात शुरू है और इसी के साथ सरकार और नगर निगम के वादों और दावों की परीक्षा भी शुरू हो गई है।