गांधी आज जिंदा तो मोदी के 'भारत' में जरूर राजद्रोही ठहराकर सलाखों के पीछे होते या फिर मार दिये जाते !

गोडसे को भगत सिंह का दर्जा देने की कोशिश चल रह रही है। गोडसे ने हिंदू राष्ट्र के विरोधी गाँधी को मारा था। गोडसे जब भगत सिंह की तरह राष्ट्रीय हीरो हो जायेगा, तब तीस जनवरी का क्या होगा? अभी तक यह “गाँधी निर्वाण दिवस” है, आगे ‘गोडसे गौरव दिवस’ हो जायेगा...

Update: 2024-10-02 09:55 GMT

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

The government freed rapist and murderer Ram Rahim and detained activist Sonam Wangchuk on the eve of Gandhi Jayanti as a tribute to Bapu. गांधी जयन्ती की पूर्व संध्या पर टीवी समाचार चैनलों पर दो समाचार चल रहे थे – बलात्कारी और हत्यारा राम रहीम को सरकार फिर से पेरोल पर जेल से बाहर निकाल रही है, और दिल्ली में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के साथ ही गांधी जयन्ती के दिन राजघाट पर जाने का निश्चय किये सोनम वांगचुक को दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर हिरासत में लेकर 24 घंटे से अधिक समय तक लगभग नजरबन्द रखा गया है।

बलात्कारी और हत्यारों को बीजेपी की सख्त जरूरत है, बल्कि यही दुनिया के तथाकथित सबसे बड़े राजनीतिक दल की केन्द्रीय नीति भी है। जाहिर है, गांधी के देश में अब ऐसे ही शातिर अपराधी सत्ता में और सत्ता के समर्थन में हैं। दूसरी तरफ 56 इंच वाली सत्ता किस हद तक डरी रहती है, इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि सत्ता की नीतियों के विरोध में आवाज उठाने वालों के साथ अपराधियों और आतंकवादियों जैसा वर्ताव किया जाता है। ये दोनों घटनाएं अहिंसा और मानवाधिकार के पुजारी गांधी जी को देश की सत्ता की तरफ से उपहार दिया गया है। सत्य के पुजारी के देश को अब झूठे, जुमलेबाज और शातिर अपराधी चलाने लगे हैं।

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इराक, यमन और सीरिया जैसे देशों में बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन करते लोगों पर पुलिस हिंसक और बर्बर कार्यवाई करती है, दूसरी तरफ दुनिया के तथाकथित सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में सता की नीतियों का विरोध करते लोगों को राजद्रोही और नक्सल का तमगा दिया गया है। क्या आज के दौर में इराक, सीरिया और भारत के शासकों में कोई अंतर है? देश की वर्तमान सरकार के दौर में जितने राजद्रोही पनप रहे हैं उतने तो अंग्रेजों के दौर में भी नहीं रहे होंगे। हालत यहाँ तक पहुँच गयी है कि यदि आज गांधी भी जिन्दा होते और पहले जैसे सक्रिय रहते तो वो भी राजद्रोही करार दिए गए होते और सलाखों के पीछे होते, या शायद मार दिए गए होते।

देश ने, मीडिया ने और देश की सत्ता ने साबित भी कर दिया है कि गांधी जी कहाँ पहुँच गए हैं। एक तरफ मीडिया प्रधानमंत्री को गांधी जी को याद करते दिखा रहा था और दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर नाथूराम अमर रहें ट्रेंड कर रहा था। सरकार, संतरी और मंत्री सब खामोश रहे क्योंकि वे भी ऐसा ही मानते हैं। वर्ष 2019 में बीजेपी शासित मध्य प्रदेश के रींवा के बापू भवन से उसी दिन गांधी जी की राख और कुछ और सामान चोरी हो गया और उनके चित्रों के नीचे हरी स्याही से गद्दार लिख दिया गया। गांधी जी के पुतले पर मीडिया के कैमरे के सामने गोलियां चलाने वाली तत्कालीन साध्वी सांसद तो बीजेपी की प्रतिष्ठित सदस्य बनी हुए हैं।

वर्ष 2019 में जिस दिन प्रधानमंत्री न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित कर रहे थे, उस दिन वहां बाहर भारत के मानवाधिकार हनन के विरुद्ध बड़ी रैली का आयोजन भी किया गया था। इसमें रुत्गेर्स यूनिवर्सिटी जो न्यू जर्सी की स्टेट यूनिवर्सिटी है, की प्रोफेसर ऑड्रे त्रुस्चे ने कहा था कि हिंदुत्व नाजी विचारधारा से पूरी तरह प्रभावित है और उसे ही अपना आदर्श मानता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे नाजी विचारधारा को केवल संकेत के तौर पर नहीं बता रहीं हैं बल्कि हिदुत्व का आदर्श वास्तविक और ऐतिहासिक नाजी विचारधारा है। हिंदुत्व के स्वयंभू संरक्षक शुरुआती दिनों में हिटलर के खुले समर्थक रहे और उसने जैसा व्यवहार जर्मनी में यहूदियों के साथ किया था वैसा ही व्यवहार देश के मुस्लिनों के साथ करने के हिमायती थे। यही सब आज तक चल रहा है. देश के प्रधानमंत्री भी उसी विचारधारा से आते हैं।

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जाहिर है, ऐसे मुखर वक्तव्य के बाद अमेरिका से भारत तक, हरेक जगह के बीजेपी समर्थक समूह प्रोफेसर ऑड्रे त्रुस्चे की आलोचना में जुट गए और रुत्गेर्स यूनिवर्सिटी से इन्हें निकालने की वकालत करने लगे। पर, इस यूनिवर्सिटी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि प्रोफ़ेसर आधुनिक भारत के सांस्कृतिक, उपनिवेशवाद और बौद्धिक इतिहास की प्रबुद्ध जानकार हैं, इसलिए यह विश्वविद्यालय उनके वक्तव्यों से सहमत हैं। इसके बाद प्रोफेसर ऑड्रे त्रुस्चे ने कहा कि वे सटीक इतिहास पर भरोसा रखने वाले प्रबुद्ध शैक्षणिक समुदाय के बीच रहकर अभीभूत हैं। इसके बाद से बीजेपी की आलोचना करने वाले हरेक प्रबुद्ध शिक्षाविदों की बेहूदी आलोचना, ह्त्या की धमकी और भारत में नहीं प्रवेश करने देने की एक अंतहीन परम्परा शुरू हो गयी। अब तो सरकार की मदद से विदेशों में भी सत्ता-विरोधियों की ह्त्या की खबरें भी लगातार आती हैं।

सोनिया गांधी ने कहा था, भारत में जो हो रहा है उसे देखकर गांधी जी दुखी होते, जो लोग झूठ की राजनीति कर रहे हैं वे गांधी के अहिंसा का दर्शन कभी नहीं समझ पायेंगे। इतिहासकार मृदुला मुखर्जी के अनुसार गांधी जी धर्मनिरपेक्षता के लिए जाने जाते हैं, गांधी जी के व्यक्तित्व से सबकुछ छोड़कर केवल आप स्वच्छता को नहीं चुन सकते, गांधी जी की सबसे बड़ी लड़ाई दमन के विरुद्ध थी, पर उसके बारे में कोई कुछ नहीं कहता।

व्यंगकार हरिशंकर पारसाई ने जनसंघ के जमाने में, जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे, तब गांधी जी के नाम अपने ही अंदाज में एक पत्र लिखा था – जिसे पढ़कर आप परसाई जी के व्यंग से अधिक उनके दूरदर्शी राजनीतिक विश्लेषण से प्रभावित होंगें। उन्होंने लिखा है, “आपके नाम पर सड़कें हैं- महात्मा गाँधी मार्ग, गाँधी पथ। इन पर हमारे नेता चलते हैं। कौन कह सकता है कि इन्होंने आपका मार्ग छोड़ दिया है। वे तो रोज़ महात्मा गाँधी रोड पर चलते हैं। इधर आपको और तरह से अमर बनाने की कोशिश हो रही है। पिछली दिवाली पर दिल्ली के जनसंघी शासन ने सस्ती मोमबत्ती सप्लाई करायी थी। मोमबत्ती के पैकेट पर आपका फोटो था। फोटो में आप आरएसएस के ध्वज को प्रणाम कर रहे हैं। पीछे हेडगेवार खड़े हैं। एक ही कमी रह गयी। आगे पूरी हो जायेगी। अगली बार आपको हाफ पैंट पहना दिया जायेगा और भगवा टोपी पहना दी जायेगी। आप मजे में आरएसएस के स्वयंसेवक के रुप में अमर हो सकते हैं। आगे वही अमर होगा जिसे जनसंघ करेगा।”

परसाई जी ने आगे लिखा है, “कांग्रेसियों से आप उम्मीद मत कीजिये। यह नस्ल खत्म हो रही है। आगे गड़ाये जाने वाले कालपत्र में एक नमूना कांग्रेस का भी रखा जायेगा, जिससे आगे आनेवाले यह जान सकें कि पृथ्वी पर एक प्राणी ऐसा भी था। गैण्डा तो अपना अस्तित्व कायम रखे है, लेकिन कांग्रेसी नहीं रख सका। मोरारजी भाई भी आपके लिए कुछ नहीं कर सकेंगे। वे सत्यवादी हैं। इसलिए अब वे यह नहीं कहते कि आपको मारने वाला गोडसे आरएसएस का था। यह सभी जानते हैं कि गोडसे फांसी पर चढ़ा, तब उसके हाथ में भगवा ध्वज था और होठों पर संघ की प्रार्थना- नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि। पर यही बात बताने वाला गाँधीवादी गाइड दामोदरन नौकरी से निकाल दिया गया। उसे आपके मोरारजी भाई ने नहीं बचाया।

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मोरारजी सत्य पर अटल रहते हैं। इस समय उनके लिए सत्य है प्रधानमंत्री बने रहना। इस सत्य की उन्हें रक्षा करनी है। इस सत्य की रक्षा के लिए जनसंघ का सहयोग जरूरी है। इसलिए वे यह झूठ नहीं कहेंगे कि गोडसे आरएसएस का था। वे सत्यवादी है। तो महात्माजी, जो कुछ उम्मीद है, बाला साहब देवरास से है। वे जो करेंगे वही आपके लिए होगा। वैसे काम चालू हो गया है। गोडसे को भगत सिंह का दर्जा देने की कोशिश चल रह रही है। गोडसे ने हिंदू राष्ट्र के विरोधी गाँधी को मारा था। गोडसे जब भगत सिंह की तरह राष्ट्रीय हीरो हो जायेगा, तब तीस जनवरी का क्या होगा? अभी तक यह “गाँधी निर्वाण दिवस” है, आगे ‘गोडसे गौरव दिवस’ हो जायेगा। इस दिन कोई राजघाट नहीं जायेगा, फिर भी आपको याद जरूर किया जायेगा।

जब तीस जनवरी को गोडसे की जय-जयकार होगी, तब यह तो बताना ही पड़ेगा कि उसने कौन-सा महान कर्म किया था। बताया जायेगा कि इस दिन उस वीर ने गाँधी को मार डाला था। तो आप गोडसे के बहाने याद किए जायेंगे। अभी तक गोडसे को आपके बहाने याद किया जाता था। एक महान पुरुष के हाथों मरने का कितना फायदा मिलेगा आपको? लोग पूछेंगे- यह गाँधी कौन था? जवाब मिलेगा- वही, जिसे गोडसे ने मारा था।”

अभी जो देश के हालात हैं – सरकार और हिन्दू अतिवादी संगठन सत्ता के नशे में चूर हैं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने आप को खुले तौर पर भारत का पर्यायवाची बता रहा है, जनता अपनी समस्याओं से जूझ रही है और खामोश है, विपक्ष का अस्तित्व भी नहीं है – ऐसे में संभव है आने वाले दिनों में गांधी पूरी तरह से पटल से गायब हो जाएँ और राष्ट्रीय स्तर पर हम गोडसे की जयन्ती मनाना शुरू कर दें। महात्मा गांधी हम शर्मिंदा हैं, हम आपको भूल चुके हैं।

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