Janjwar Impact : उत्तर प्रदेश के इन 12 निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों की मान्यता खत्म, काउंसलिंग लिस्ट से भी हुए बाहर
Janjwar Impact : केंद्रीय आयुर्वेदिक चिकित्सा परिषद की जांच में 27 आयुर्वेदिक कॉलेेेज मानक के अनुरूप नहीं पाए गए हैं, इनमें उत्तर प्रदेश के 12 आयुर्वेदिक कॉलेज भी शामिल हैं, ऐसे में इन आयुर्वेदिक कॉलेजों की मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई है....
मिर्जापुर से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट
Janjwar Impact : मेडिकल की तैयारी कर चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में भविष्य संवारने का सपना पाले निराश छात्रों के लिए सुकून भरा समाचार आया है। उत्तर प्रदेश में 12 निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों (Private Ayurvedi Colleges) की मान्यता रद्द करने के साथ ही साथ इनके नाम को भी काउंसलिंग की सूची (Counseling List) से बाहर कर दिया गया है। इसमें एक नाम पूर्वांचल, खासकर के मिर्जापुर जनपद के सर्वाधिक चर्चित एपेक्स मेडिकल कॉलेज चुनार, मिर्जापुर (Apex Medical College Chunar, Mirzapur) का भी नाम है जिसके खिलाफ पिछले वर्ष दिसंबर 2021 में छात्र अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन करने के साथ ही साथ जिला प्रशासन से भी इस कॉलेज की शिकायत कर चुके हैं।
केंद्रीय आयुर्वेदिक चिकित्सा परिषद की जांच में 27 आयुर्वेदिक कॉलेेेज मानक के अनुरूप नहीं पाए गए हैं। इनमें उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के 12 आयुर्वेदिक कॉलेज भी शामिल हैं। ऐसे में इन आयुर्वेदिक कॉलेजों की मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई है।
आयुर्वेद विभाग केेेे निदेशक प्रोफेसर एसएन सिंह के अनुसार जिन आयुर्वेदिक कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी गई है उनमें श्री कृष्ण आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज वाराणसी, आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज शिकोहाबाद फिरोजाबाद, एसएनएस के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज गाजीपुर, शहीद नरेंद्र आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज अलीगढ़, डॉक्टर अनार सिंह मेडिकल कॉलेज फर्रुखाबाद, एमडी आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज आगरा, केवी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेेज आगरा, जेडी वैदिक मेडिकल कॉलेेज अलीगढ़, शांंति आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज बलिया, प्रेम रघु आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज हाथरस, भगवंत आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज बिजनौर और मिर्जापुर के चुनार स्थित एपेक्स मेडिकल कॉलेज शामिल हैं।
यह वही एपेक्स मेडिकल कॉलेज चुनार है जहां के फर्जीवाड़े को लेकर छात्र पिछले महीने कई दिनों तक कड़ाके की ठंड में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन करने को विवश हुए थे। इस खबर को 'जनज्वार' ने न केवल प्रमुखता से प्रकाशित किया था, बल्कि छात्रोंं की समस्याओंं को मौके पर जाकर सुनने का भी काम किया था।
गौरतलब है कि मिर्जापुर के चुनार स्थित एपेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज व हॉस्पिटल तथा इस संस्थान में वर्ष 2018-19 बैच के बीएएमएस (BAMS) के छात्रों के मध्य उत्पन्न विवाद पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि सीबीएसई द्वारा मई 2018 में एनईईटी की परीक्षा आयोजित की गई थी। सत्र 2017-18 तक बीएएमएस की प्रवेश परीक्षा सीपीएटी के द्वारा आयोजित की जाती है। वर्ष 2018-19 में एनईईटी के फार्म भरने की अंतिम तिथि के बाद एक नोटिफिकेशन के द्वारा बी.ए.एम.एस. की प्रवेश परीक्षा भी एनईईटी के द्वारा आयोजित करने का निर्णय लिया गया। ऐसी परिस्थिति में कुछ छात्र बीएएमएस का प्रवेश परीक्षा का फार्म भरने से वंचित हो गए थे।
नवंबर 2018 में उच्च न्यायालय द्वारा फॉर्म भरने से वंचित छात्रों को अलग से परीक्षा लेकर अवसर देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया गया। उक्त के अनुपालन के क्रम में +2 उत्तीर्ण छात्रों को प्राप्तांकों के आधार पर काउंसलिंग की अनुमति दी गई थी। यूपी प्रमुख द्वारा काउंसलिंग के उपरांत एपेक्स मेडिकल कॉलेज के कुल 100 छात्रों को बीएएमएस 2018-19 सत्र में प्रवेश दिया गया। जिसमें 28 छात्र एनईईटी तथा 72 छात्र उच्च न्यायालय से अनुमति के आधार पर दाखिल हुए।
दिसंबर 2018 से सभी छात्र संस्थान में क्लास भी करने लगे थे। इसी बीच 25 सितंबर 2018 को आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी एवं होम्योपैथ (आयुष) मंत्रालय ने सीसीआईएम की रिपोर्ट के आधार पर सत्र 2018-19 बीएएमएस के लिए एपैक्स संस्थान को डीवाईएल पत्र जारी किया गया। सीसीआईएम द्वारा अपनी जांच में एपैक्स संस्थान में मानक को पूर्ण नहीं पाया गया।
आयुष मंत्रालय के 25 सितंबर 2018 के आदेश के खिलाफ एपैक्स संस्थान द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) में रिट याचिका (रिट संख्या 338 74/218) दाखिल की गई। मामले की सुनवाई केेे उपरांत इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 11 अक्टूबर 2018 को आदेश पारित किया गया। उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर एपैक्स संस्थान को बीएएमएस सत्र 2018-19 में छात्रों के प्रवेश का अवसर प्राप्त हुआ।
उल्लेखनीय हो कि उक्त आदेश एक अंतरिम आदेश था। आयुष मंत्रालय द्वारा संस्थान को 31 दिसंबर 2018 तक सभी कमियों को दूर कर मानक पूरा करने का भी निर्देश दिया गया था। समय बीत जाने के बाद भी संस्थान द्वारा मानव को पूर्ण न कर सीसीआईएम का अप्रूवल प्राप्त नहीं किया जा सका। मानक पूरा न करने के कारण सत्र 2019-20 के लिए भी सीसीआईएम से अप्रूवल प्राप्त नहीं किया जा सका।
28 मई 2020 को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया गया। नोटिफिकेशन में संबद्ध तीन कॉलेज कृष्णा आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, जीवन आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज व एमएएस आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज को सत्र 2018-19 बैच के बीएएमएस के सभी छात्रों का 30 मई 2020 से 5 जून 2020 तक रजिस्ट्रेशन करा लेने का निर्देश दिया गया।
वाराणसी के काशी विद्यापीठ से संबद्ध अन्य तीन मेडिकल कॉलेज, जिसमें एपेक्स संस्थान भी था, को सीसीआईएम के डिनायल जांच के आधार पर सत्र 2018-19 बीएएमएस के छात्रों का रजिस्ट्रेशन कराने का निर्देश नहीं दिया गया। रजिस्ट्रेशन ना होने से सत्र 2018-19 बीएएमएस के छात्रों की परीक्षा नहीं हो सकी। परीक्षा से वंचित एपेक्स संस्थान के छात्रों द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अनुतोष प्राप्त करने हेतु एक रिट दाखिल (रिट संख्या-2315/2020) की गई।
5 व 6 जुलाई सन 2021 को एपेक्स संस्थान के प्रयासों से असंतुष्ट होकर पीड़ित मेडिकल छात्रों द्वारा एपैक्स मेडिकल कॉलेज चुनार परिसर के गेट पर 2 दिन का धरना प्रारंभ किया गया जिसे बाद में चुनार के थाना प्रभारी के आश्वासन पर बाद में समाप्त कर दिया गया था।
21 सितंबर 2021 को कोई समाधान ना निकलने की स्थिति में पीड़ित मेडिकल छात्रों द्वारा पुनः कॉलेज परिसर के अंदर धरना प्रारंभ कर दिया गया। लेकिन इस धरने को 19 नवंबर 2021 को चुनार के उपजिलाधिकारी व क्षेत्राधिकारी की मध्यस्थता व काफी मान मनौवल व उनके हस्तक्षेप के पश्चात छात्रों ने समाप्त कर दिया था।
उच्चाधिकारियों के मौजूदगी में मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने छात्रों को आश्वासन दिया था कि उनकी सभी जायज मांगों को मानने के साथ ही उन्हें सारी सुविधाएं मुहैया कराए जाएंगी, लेकिन फिर मेडिकल कॉलेज अपने तानाशाही रवैये पर आ गयाल जिससे मेडिकल छात्रों को पुनः अपना भविष्य अंधकार में होता हुआ नजर आने लगा था। अधिकारियों एवं मेडिकल कॉलेज संस्थान के बीच छात्रों के हित में बनी सहमति को भी ध्वस्त कर दिया गया।
19 नवंबर 2021 को दोनों पक्षों के मध्य सहमति बनी थी कि दोनों पक्ष मिलकर आपस में तालमेल बनाकर उच्च न्यायालय में प्रभावी पैरवी कर अनुतोष प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। बताया जाता है कि पुनः 7 दिसंबर 2021 को एपेक्स मेडिकल कॉलेज के पीड़ित छात्रों द्वारा कॉलेज प्रशासन पर आरोप लगाते हुए (कालेज प्रशासन जानबूझकर उच्च न्यायालय में लचर पैरवी कर रहा है) धरना प्रारंभ कर दिया गया है जो अभी भी अनवरत जारी है।
मेडिकल कॉलेज के दर्जनभर से ज्यादा छात्र जिसमें कई छात्राएं भी शामिल हैं इस कड़ाके की शीतलहर में कॉलेज परिसर के बाहर उड़ते हुए सड़क के धूल के बीच अनशन करने के लिए बाध्य हैं। कड़ाके की ठंड में यह रात्रि के समय भी टेंट लगाकर शीतलहर और ठंड हवाओं के थपेड़ों के बीच अपने भविष्य को लेकर अनशनरत थे, लेकिन काफी मान मनौवल एवं अधिकारियों के आग्रह के पश्चात इन्होंने रात्रिकालीन अनशन को तो समाप्त कर दिया है, लेकिन दिन में बुलंद हौसलों के साथ तटस्थ हैं। छात्रों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
विदित हो कि एपेक्स हॉस्पिटल संस्थान अपनी कारगुजारियोंं को लेकर प्रारंभ से ही विवादों से घिरता आया है। चाहे मरीजों के आर्थिक दोहन का मामला रहा हो या बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर गरीब मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करने का यह स्थान सदैव से चर्चाओं में बना रहा है।
गहराई से हुई जांच तो खुलेंगी भ्रष्टाचार की जमी परतें
मिर्जापुर जनपद के चुनार स्थित एपैक्स ट्रस्ट हॉस्पिटल एवं मेडिकल कॉलेज अपनी सफलताओं से कम और अपनी कारगुजारियों से ज्यादा सुर्खियों में बना रहा है जिसकी कलई खोलने के लिए यहां के छात्र ही काफी रहे हैं। सवाल उठता है कि आखिरकार ऐसा क्या रहा है कि अस्पताल में मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ इसे ट्रस्ट का रूप देकर दिन दूना रात चौगुना विकसित कर दिया गया। ऐसी कौन सी जादू की झप्पी रही है जो इसे ऊंची हवेली में खड़ी करती जा रही है जबकि यहां की व्यवस्थाओं पर नजर डाले तो यहां पढ़ने वाले मेडिकल के वह छात्र जो यहां उच्च मुकाम हासिल करने का ख्वाब लेकर इस मेडिकल कॉलेज से जुड़े हुए थे वह चकनाचूर होकर सड़क पर धरने के रूप में तब्दील हुआ है।
छात्र आरोपों की तोहमत तो लगाते ही हैं, स्थानीय लोग भी दबी जुबान बताते हैं कि ट्रस्ट के नाम पर इस संस्थान ने जमीन प्राप्त करने में भी खूब हेराफेरी की है। इसी प्रकार ऐसी कई और खामियां नजर आती हैं जिसके योग्य कॉलेज नहीं है, बावजूद कॉलेज की बस से लेकर संस्थान द्वारा इसे खूब प्रचारित किया जा रहा है जिस का हकदार यह कॉलेज नहीं है।
दुर्भाग्य की बात यह है कि इस तरफ किसी ने खासकर शासन-प्रशासन के लोगों ने भी कार्रवाई की जहमत नहीं उठाई। मिर्जापुर के चुनार से लेकर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अपनी जड़े जमाकर चिकित्सा सेवा के नाम पर यह संस्थान धनदोहन का ही कार्य करता रहा है जो किसी से छुपा हुआ नहीं है।
कहा जाता है कि इस संस्थान की नाकामियों को अगर किसी ने उजागर करने का प्रयास भी किया तो उसके मुंह को बंद करने के लिए यह संस्थान बंद लिफाफे की प्रवृत्ति का भी सहारा लेकर कामयाबी हासिल कर लेता है जिससे इसके खिलाफ उठने वाली आवाज दब कर रह जाती है।
उदाहरण के तौर पर पिछले कई दिनों से धरने पर बैठे मासूम छात्रों के आवाज को ही देखा जा सकता है, जिनकी आवाज को उजागर करने के लिए वह बयानवीर नेता और मीडिया के वह लोग भी खामोशी की चादर ताने हुए हैं, जो सड़क की पटरियों पर भीड़ भरी दुर्गम राहों पर धूल फांकते हुए होमगार्ड एवं 24 घंटे की अनवरत ड्यूटी बजाने वाले सिपाही के 20 रुपया वसूली को राष्ट्रीय मुद्दे की खबर बनाने पर तुल जाते हैं।