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शिक्षा

Mirzapur Ground Report: एपेक्स मेडिकल कॉलेज के छात्रों का अनिश्चितकालीन धरना जारी, छात्र बोले-परीक्षा कराओ या फांसी चढ़ाओ

Janjwar Desk
30 Dec 2021 5:30 PM GMT
Mirzapur Ground Report: एपेक्स मेडिकल कॉलेज के छात्रों का अनिश्चितकालीन धरना जारी, छात्र बोले-परीक्षा कराओ या फांसी चढ़ाओ
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Mirzapur Ground Report: एपेक्स मेडिकल कॉलेज के छात्रों का अनिश्चितकालीन धरना जारी, छात्र बोले-परीक्षा कराओ या फांसी चढ़ाओ

Mirzapur news। जिन छात्रों के हाथों में कॉपी और किताब होने चाहिए, शिक्षा ग्रहण करने के लिए कॉलेज का कैंपस होना चाहिए, यदि उन छात्रों को कॉपी-किताब के बजाय अपनी मांगों के लिए हाथों में दरखास्त भरी तख्तियां हो, कालेज कैंपस के बजाएं कैंपस के बाहर इस कड़ाके की शीतलहर में टेंट लगाकर धरना-प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ा...

मिर्जापुर से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट

Mirzapur news। जिन छात्रों के हाथों में कॉपी और किताब होने चाहिए, शिक्षा ग्रहण करने के लिए कॉलेज का कैंपस होना चाहिए, यदि उन छात्रों को कॉपी-किताब के बजाय अपनी मांगों के लिए हाथों में दरखास्त भरी तख्तियां हो, कालेज कैंपस के बजाएं कैंपस के बाहर इस कड़ाके की शीतलहर में टेंट लगाकर धरना-प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ा हो तो, इसे दुर्भाग्य, विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे? जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद के चुनार क्षेत्र के एपेक्स इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज व हॉस्पिटल संस्थान जिसके मेडिकल के छात्र अपने हक अधिकार व उज्जवल भविष्य को लेकर कालेज गेट पर धरना प्रदर्शन करने के लिए विवश हैं। वह भी इस कड़ाके की शीतलहर में ऐसे में इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहा जाएगा?

पिछले महीने से मेडिकल के दर्जनभर छात्र संस्थान की मनमानी एवं उनके भविष्य के साथ किए जा रहे खिलवाड़ को लेकर आंदोलनरत है आश्चर्य की बात है कि संस्थान के संचालक छात्रों के मर्म को समझने के बजाय मुखदर्शक दृष्टराष्ट्र की भूमिका में नजर आ रहे हैं। विदित हो कि एपेक्स हॉस्पिटल संस्थान अपनी कारगुजारियोंं को लेकर प्रारंभ से ही विवादों से गिरता आया है। चाहे मरीजों के आर्थिक दोहन का मामला रहा हो या बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर गरीब मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करने का यह स्थान सदैव से चर्चाओं में बना रहा है। ताजा मामला संस्थान के मेडिकल छात्रों से जुड़ा हुआ है जो यहां के दुर्व्यवस्था, मनमानी, तानाशाही तथा अपने (छात्रों) भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को लेकर इन दिनों आंदोलन करने के लिए विवश हुए हैं।

यह है पूरा मामला

मिर्जापुर के चुनार स्थित एपेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज व हॉस्पिटल तथा इस संस्थान में वर्ष 2018-19 बैच के बी.ए.एम.एस. के छात्रों के मध्य उत्पन्न विवाद पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि सीबीएसई द्वारा मई 2018 में एन.ई.ई.टी. की परीक्षा आयोजित की गई थी। सत्र 2017-18 तक बी.ए.एम.एस. की प्रवेश परीक्षा सी.पी.ए.टी. के द्वारा आयोजित की जाती है। वर्ष 2018-19 में एन.ई.ई.टी. के फार्म भरने की अंतिम तिथि के बाद एक नोटिफिकेशन के द्वारा बी.ए.एम.एस. की प्रवेश परीक्षा भी एन.ई.ई.टी. के द्वारा आयोजित करने का निर्णय लिया गया।

ऐसी परिस्थिति में कुछ छात्र बी.ए.एम.एस. का प्रवेश परीक्षा का फार्म भरने से वंचित हो गए थे। नवंबर 2018 में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा फार्म भरने से वंचित छात्रों को अलग से परीक्षा लेकर अवसर देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया गया। उक्त के अनुपालन के क्रम में+2 उत्तीण छात्रों को प्राप्तांकों के आधार पर काउंसलिंग की अनुमति दी गई थी। यूपी प्रमुख द्वारा काउंसलिंग के उपरांत एपेक्स मेडिकल कॉलेज के कुल 100 छात्रों को बी.ए.एम.एस. 2018-19 सत्र में प्रवेश दिया गया। जिसमें 28 छात्र एन.ई.ई.टी. तथा 72 छात्र माननीय उच्च न्यायालय से अनुमति के आधार पर दाखिल हुए। दिसंबर 2018 से सभी छात्र संस्थान में क्लास भी करने लगे थे।

इसी बीच 25 /9 /2018 को आयुर्वेदा, योग व प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी एवं होम्योपैथ (आयुष) मंत्रालय ने सी.सी.आई.एम. की रिपोर्ट के आधार पर सत्र 2018-19 बी.ए.एम.एस. के लिए एपैक्स संस्थान को डीवाईएल पत्र जारी किया गया। सी.सी.आई.एम. द्वारा अपनी जांच में एपैक्स संस्थान में मानक को पूर्ण नहीं पाया गया। आयुष मंत्रालय के आदेश दिनांक 25/9/2018 के विरुद्ध एपैक्स संस्थान द्वारा उच्च न्यायालय इलाहाबाद में रिट संख्या 338 74/218 रिट योजित की गई। मामले की सुनवाई केेे उपरांत उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा 11/10 /2018 को आदेश पारित किया गया। उच्च न्यायालय द्वारा आदेश के आधार पर एपैक्स संस्थान को बी.ए.एम.एस. सत्र 2018-19 में छात्रों के प्रवेश का अवसर प्राप्त हुआ। उल्लेखनीय हो कि उक्त आदेश एक अंतरिम आदेश था।

आयुष मंत्रालय द्वारा संस्थान को 31 दिसंबर 2018 तक सभी कमियों को दूर कर मानक पूरा करने का भी निर्देश दिया गया था। बावजूद समय बीत जाने के बाद भी संस्थान द्वारा मानव को पूर्ण न कर सी.सी.आई.एम. का अप्रूवल प्राप्त नहीं किया जा सका। मानक पूर्ण न करने के कारण सत्र 2019-20 के लिए भी सी.सी.आई.एम. से अप्रूवल प्राप्त नहीं किया जा सका।

28 मई 2020 को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया गया। नोटिफिकेशन में संबंध्द तीन कॉलेज कृष्णा आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, जीवन आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज व एम.ए.एस. आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज को सत्र 2018-19 बैच के बी.ए.एम.एस. सभी छात्रों का 30 मई 2020 से 5 जून 2020 तक रजिस्ट्रेशन करा लेने का निर्देश दिया गया। वाराणसी के काशी विद्यापीठ से संबद्ध अन्य तीन मेडिकल कॉलेज जिसमें एपेक्स संस्थान भी था को सी.सी.आई.एम. के डिनायल जांच के आधार पर सत्र 2018-19 बी.ए.एम.एस. के छात्रों का रजिस्ट्रेशन कराने का निर्देश नहीं दिया गया। रजिस्ट्रेशन ना होने से सत्र 2018-19 बी.ए.एम.एस. के छात्रों की परीक्षा नहीं हो सकी। परीक्षा से वंचित एपेक्स संस्थान के छात्रों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अनुतोष प्राप्त करने हेतु एक रिट संख्या-2315/2020, दाखिल की गई। 5 व 6 जुलाई सन 2021 को एपेक्स संस्थान के प्रयासों से असंतुष्ट होकर पीड़ित मेडिकल छात्रों द्वारा एपैक्स मेडिकल कॉलेज चुनार परिसर के गेट पर 2 दिन का धरना प्रारंभ किया गया जिसे बाद में थाना प्रभारी चुनार के आश्वासन पर बाद में समाप्त कर दिया गया था।

21 सितंबर 2021 को कोई समाधान ना निकलने की स्थिति में पीड़ित मेडिकल छात्रों द्वारा पुनः कॉलेज परिसर के अंदर धरना प्रारंभ कर दिया गया। पुनः धरना 19 नवंबर 2021 को उपजिलाधिकारी व क्षेत्राधिकारी चुनार द्वारा की गई मध्यस्था व काफी मान मनौवल व उनके हस्तक्षेप के पश्चात छात्रों ने समाप्त कर दिए थे। उच्चाधिकारियों के उपस्थिति में मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने छात्रों को आश्वासन दिया था कि उनके सभी जायज मांगों को मानने के साथ ही उन्हें सारी सुविधाएं मुहैया कराए जाएंगे, लेकिन बाद में फिर मेडिकल कॉलेज अपने तानाशाही रवैए पर आ गया। जिससे मेडिकल छात्रों को पुनः अपना भविष्य अंधकार में होता हुआ नजर आने लगा था अधिकारियों एवं मेडिकल कॉलेज संस्थान के बीच छात्रों के हित में बनी सहमति को भी ध्वस्त कर दिया गया। 19 नवंबर 2021 को दोनों पक्षों के मध्य सहमति बनी थी कि दोनों पक्ष मिलकर आपस में तालमेल बनाकर माननीय उच्च न्यायालय में प्रभावी पैरवी कर अनुतोष प्राप्त करने का प्रयास करेंगे।

बताया जाता है कि पुनः 7 दिसंबर 2021 को एपेक्स मेडिकल कॉलेज के पीड़ित छात्रों द्वारा कॉलेज प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कि कालेज प्रशासन जानबूझकर माननीय उच्च न्यायालय में लचर पैरवी कर रहा हैधरना प्रारंभ कर दिया गया है जो अभी भी अनवरत जारी है। मेडिकल कॉलेज के दर्जन भर से ज्यादा छात्र जिसमें कई छात्राएं भी शामिल हैं इस कड़ाके की शीतलहर में कॉलेज परिसर के बाहर उड़ते हुए सड़क के धूल के बीच अनशन करने के लिए बाध्य हैं। कड़ाके की ठंड में यह रात्रि के समय भी टेंट लगाकर शीतलहर और ठंड हवाओं के थपेड़ों के बीच अपने भविष्य को लेकर अनशनरत थे, लेकिन काफी मान मनौवल एवं अधिकारियों के आग्रह के पश्चात इन्होंने रात्रि कालीन अनशन को तो समाप्त कर दिया है, लेकिन दिन में बुलंद हौसलों के साथ तटस्थ हैं। छात्रों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

गहराई से जांच हुई तो खुल सकते हैं कई राज

मिर्जापुर जनपद के चुनार स्थित एपैक्स ट्रस्ट हॉस्पिटल एवं मेडिकल कॉलेज अपनी सफलताओं से कम अपनी कारगुजारीओं से ज्यादा सुर्खियों में बना रहा है। जिसकी कॉलेज खोलने के लिए यहां के छात्र ही काफी हैं। अब यह अलग बात है कि प्रशासन भी किसी और गंभीरता से कभी झांकने की जहमत नहीं उठा सका है कि आखिरकार ऐसा क्या रहा है कि अस्पताल में मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ इसे ट्रस्ट का रूप देकर दिन दूना रात चौगुना इसे विकसित कर दिया गया। ऐसी कौन सी जादू की झप्पी रही है जो इसे ऊंची हवेली में खड़ी करती जा रही है जबकि यहां की व्यवस्थाओं पर नजर डाले तो यहां पढ़ने वाले मेडिकल के वह छात्र जो यह हसीन सपने लेकर उच्च मुकाम हासिल करने का ख्वाब लेकर इस मेडिकल कॉलेज से जुड़े हुए थे वह चकनाचूर हो कर सड़क पर धरने के रूप में तब्दील नजर आ रहा है।

छात्र आरोपों की तोहमत तो लगाते ही हैं स्थानीय लोग भी दबी जुबान बताते हैं कि ट्रस्ट के नाम पर इस संस्थान ने जमीन प्राप्त करने में भी खूब हेराफेरी की है। इसी प्रकार ऐसी कई और खामियां नजर आती हैं जिसके योग्य कॉलेज नहीं है बावजूद कॉलेज की बस से लेकर संस्थान द्वारा इसे खूब प्रचारित किया जा रहा है जिस का हकदार यह कॉलेज नहीं है। दुर्भाग्य की बात यह है कि इस तरफ किसी ने खास करके शासन प्रशासन के लोगों ने भी कार्रवाई की जरूरत नहीं उठाई है। मिर्जापुर के चुनार से लेकर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अपनी जड़े जमा कर चिकित्सा सेवा के नाम पर यह संस्थान धना दोहन का ही कार्य करता रहा है जो किसी से छुपा हुआ नहीं है।

कहां जाता है कि इस संस्थान के नाकामियों को यदि किसी ने उजागर करने का प्रयास भी किया तो उसके मुंह को बंद करने के लिए यह संस्थान बंद लिफाफे की प्रवृत्ति का भी सहारा लेकर कामयाबी हासिल कर लेता है जिससे इसके खिलाफ उठने वाली आवाज दब कर रह जाती है। नजीर के तौर पर पिछले कई दिनों से धरने पर बैठे मासूम छात्रों के आवाज को ही देखा जा सकता है, जिनकी आवाज को उजागर करने के लिए वह बयान वीर (नेता) और मीडिया के वह लोग भी खामोशी की चादर ताने हुए हैं, जो सड़क की पटरियों पर भीड़ भरी दुर्गम राहों पर धूल फांकते हुए होमगार्ड एवं 24 घंटे की अनवरत ड्यूटी बजाने वाले सिपाही के 20 रुपया वसूली को राष्ट्रीय मुद्दे की खबर बनाने पर तुल जाते हैं।

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