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Ground Report : धरने पर बैठे मिर्जापुर मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने योगी से पूछा - क्या राम मंदिर की तरह 400 वर्षों तक संघर्ष करना पडेगा?

Janjwar Desk
31 Dec 2021 3:19 AM GMT
Ground Report  : धरने पर बैठे मिर्जापुर मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने योगी से पूछा - क्या राम मंदिर की तरह 400 वर्षों तक संघर्ष करना पडेगा?
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Ground Report : मिर्जापुर एपेक्स हॉस्पिटल संस्थान अपनी कारगुजारियोंं को लेकर प्रारंभ से ही विवादों में रहा है। मरीजों के आर्थिक दोहन सहित मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ यहां पर आये दिन होते रहते हैं। अब संस्थान के मेडिकल छात्र भी दुर्व्यवस्था, मनमानी, तानाशाही तथा भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को लेकर आंदोलनरत हैं।

मिर्जापुर से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट

Ground Report : मिर्जापुर एपेक्स इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज व हॉस्पिटल संस्थान ( Mirzapur Apex Institute of Medical Sciences and Hospital Institute ) के ​जिन छात्रों के हाथों में कॉपी और किताब होने चाहिए उन्हें शासन और प्रशासन की लापरवाही व अनदेखी की वजह से कड़ाके की शीतलहर में टेंट लगाकरअनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन ( indefinite strike ) के लिए मजबूर होना पड़ें तो इसे दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है। दरअसल, पिछले महीने से मेडिकल के दर्जनभर छात्र संस्थान की मनमानी एवं उनके भविष्य के साथ किए जा रहे खिलवाड़ को लेकर आंदोलनरत हैं। आश्चर्य की बात है कि संस्थान के संचालक छात्रों के मर्म को समझने के बजाय धृतराष्ट्र की तरह मूकदर्शक बने हुए हैं। मिर्जापुर एपेक्स हॉस्पिटल संस्थान अपनी कारगुजारियोंं को लेकर प्रारंभ से ही विवादों में रहा है। मरीजों के आर्थिक दोहन सहित मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ यहां पर आये दिन होते रहते हैं। अब संस्थान के मेडिकल छात्र भी दुर्व्यवस्था, मनमानी, तानाशाही तथा भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को लेकर आंदोलनरत हैं।

BAMS छात्रों के भविष्य खतरे में

अपनी अनदेखी से परेशान और भविष्य को खतरे में देख बीएएमएस के छात्रों ( BAMS Student ) ने सुशासन का दावा करने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ से पूछा है कि क्या हम लोगों को भी राम मंदिर की तरह अपने हक की लड़ाई के लिए 400 वर्षों तक संघर्ष करना पड़ेगा। इलाहाबादहाईकोर्ट के अदेशों की अनदेखी की योगी सरकार कब तक छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करती रहेगी।

यह पूरा मामला

मिर्जापुर के चुनार स्थित एपेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज व हॉस्पिटल तथा इस संस्थान में वर्ष 2018-19 बैच के बीएएमएस के छात्रों ( BAMS Student ) के मध्य उत्पन्न विवाद पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि सीबीएसई द्वारा मई 2018 में एनईईटी की परीक्षा आयोजित की गई थी। सत्र 2017-18 तक बीएएमएस की प्रवेश परीक्षा सीपीएटी के द्वारा आयोजित की जाती थी। वर्ष 2018-19 में एनईईटी के फार्म भरने की अंतिम तिथि के बाद एक नोटिफिकेशन के द्वारा बीएएमएस की प्रवेश परीक्षा भी एनईईटी के द्वारा आयोजित करने का निर्णय लिया गया। ऐसी परिस्थिति में कुछ छात्र बीएएमएस का प्रवेश परीक्षा का फार्म भरने से वंचित हो गए थे। नवंबर 2018 में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा फार्म भरने से वंचित छात्रों को अलग से परीक्षा लेकर अवसर देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया गया। अदालत के आदेशों के आधार पर 12वीं के उत्तीण छात्रों को प्राप्तांकों के आधार पर काउंसलिंग की अनुमति दी गई थी।

यूपी प्रमुख द्वारा काउंसलिंग के उपरांत एपेक्स मेडिकल कॉलेज के कुल 100 छात्रों को बीएएमएस 2018-19 सत्र में प्रवेश दिया गया।, जिसमें 28 छात्र एनईईटी और 72 छात्र माननीय उच्च न्यायालय से अनुमति के आधार पर दाखिल हुए। दिसंबर 2018 से सभी छात्र संस्थान में क्लास भी करने लगे थे। इसी बीच 25 सितंबर 2018 को आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी एवं होम्योपैथ (आयुष) मंत्रालय ने सीसीआईएम की रिपोर्ट के आधार पर सत्र 2018-19 बीएएमएस के लिए एपैक्स संस्थान को डीवाईएल पत्र जारी किया गया। सीसीआईएम द्वारा अपनी जांच में एपैक्स संस्थान में मानक को पूर्ण नहीं पाया गया।

आयुष मंत्रालय के आदेश दिनांक 25/9/2018 के विरुद्ध एपैक्स संस्थान द्वारा उच्च न्यायालय इलाहाबाद में रिट संख्या 338 74/218 रिट योजित की गई। मामले की सुनवाई केेे उपरांत उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा 11/10 /2018 को आदेश पारित किया। उच्च न्यायालय द्वारा आदेश के आधार पर एपैक्स संस्थान को बीएएमएस सत्र 2018-19 में छात्रों के प्रवेश का अवसर प्राप्त हुआ। बता दें कि उक्त आदेश एक अंतरिम आदेश था।

आयुष मंत्रालय द्वारा संस्थान को 31 दिसंबर 2018 तक सभी कमियों को दूर कर मानक पूरा करने का भी निर्देश दिया गया था। बावजूद समय बीत जाने के बाद भी संस्थान द्वारा मानव को पूर्ण न कर सीसीआईएम का अप्रूवल प्राप्त नहीं किया जा सका है। मानक पूर्ण न करने के कारण सत्र 2019-20 के लिए भी सीसीआईएम से अप्रूवल प्राप्त नहीं किया जा सका।

28 मई, 2020 को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया गया। नोटिफिकेशन में संबंद्ध तीन कॉलेज कृष्णा आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, जीवन आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज व एमएएस आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज को सत्र 2018-19 बैच के बीएएमएस सभी छात्रों का 30 मई 2020 से 5 जून 2020 तक रजिस्ट्रेशन करा लेने का निर्देश दिया गया। वाराणसी के काशी विद्यापीठ से संबद्ध अन्य तीन मेडिकल कॉलेज जिसमें एपेक्स संस्थान भी था को सीसीआईएम के डिनायल जांच के आधार पर सत्र 2018-19 बीएएमएस के छात्रों का रजिस्ट्रेशन कराने का निर्देश नहीं दिया गया। रजिस्ट्रेशन न होने से सत्र 2018-19 बीएएमएस के छात्रों की परीक्षा नहीं हो सकी। परीक्षा से वंचित एपेक्स संस्थान के छात्रों ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अनुतोष प्राप्त करने हेतु एक रिट संख्या-2315/2020, दाखिल की थी। 5 व 6 जुलाई, 2021 को एपेक्स संस्थान के प्रयासों से असंतुष्ट होकर पीड़ित मेडिकल छात्रों द्वारा एपैक्स मेडिकल कॉलेज चुनार परिसर के गेट पर 2 दिन का धरना प्रारंभ किया गया जिसे बाद में थाना प्रभारी चुनार के आश्वासन पर बाद में समाप्त कर दिया गया था।

21 सितंबर, 2021 को कोई समाधान न निकलने की स्थिति में पीड़ित मेडिकल छात्रों द्वारा पुनः कॉलेज परिसर के अंदर धरना प्रारंभ कर दिया गया। पुन धरना 19 नवंबर, 2021 को उप जिलाधिकारी व क्षेत्राधिकारी चुनार द्वारा की गई मध्यस्थ व उनके हस्तक्षेप के पश्चात छात्रों ने समाप्त कर दिए थे। उच्चाधिकारियों के उपस्थिति में मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने छात्रों को आश्वासन दिया था कि उनके सभी जायज मांगों को मानने के साथ ही उन्हें सारी सुविधाएं मुहैया कराए जाएंगे, लेकिन बाद में फिर मेडिकल कॉलेज अपने तानाशाही रवैए पर आ गया। जिससे मेडिकल छात्रों का भविष्य अंधकार में होता हुआ नजर आने लगा। 19 नवंबर, 2021 को दोनों पक्षों के मध्य सहमति बनी थी कि दोनों पक्ष मिलकर आपस में तालमेल बनाकर उच्च न्यायालय में प्रभावी पैरवी कर अनुतोष प्राप्त करने का प्रयास करेंगे।

छात्रों का आरोप है कि 7 दिसंबर, 2021 को एपेक्स मेडिकल कॉलेज के पीड़ित छात्रों द्वारा कॉलेज प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कि कालेज प्रशासन जान बूझकर माननीय उच्च न्यायालय में लचर पैरवी कर रहा है। धरना प्रारंभ कर दिया गया है जो अभी भी अनवरत जारी है। मेडिकल कॉलेज के दर्जन भर से ज्यादा छात्र जिसमें कई छात्राएं भी शामिल हैं, इस कड़ाके की शीतलहर में कॉलेज परिसर के बाहर उड़ते हुए सड़क के धूल के बीच अनशन करने के लिए बाध्य हैं। कड़ाके की ठंड में यह रात्रि के समय भी टेंट लगाकर शीतलहर और ठंड हवाओं के थपेड़ों के बीच अपने भविष्य को लेकर अनशनरत थे, लेकिन काफी मान मनौवल एवं अधिकारियों के आग्रह के पश्चात इन्होंने रात्रिकालीन अनशन को तो समाप्त कर दिया है, लेकिन दिन में बुलंद हौसलों के साथ तटस्थ हैं। छात्रों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

जांच होने पर खुल सकते हैं खामियों के कई राज

धरनारत छात्रों का सवाल है कि आखिर ऐसा क्या है कि अस्पताल में मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ इसे ट्रस्ट का रूप देकर दिन दूना रात चौगुना विकसित कर दिया गया। ऐसी कौन सी जादू की झप्पी रही है जो इसे ऊंची हवेली में खड़ी करती जा रही है। जबकि यहां की व्यवस्थाओं पर नजर डाले तो यहां पढ़ने वाले मेडिकल के छात्रों के हसीन सपने चकनाचूर होने के कगार पर हैं। स्थानीय लोग भी दबी जुबान बताते हैं कि ट्रस्ट के नाम पर इस संस्थान ने जमीन प्राप्त करने में भी खूब हेराफेरी की है। दुर्भाग्य की बात यह है कि शासन—प्रशासन के लोगों ने भी कार्रवाई की जरूरत नहीं उठाई है। मिर्जापुर के चुनार से लेकर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अपनी जड़े जमा कर चिकित्सा सेवा के नाम पर यह संस्थान धन दोहन का ही कार्य करता रहा है। आरोप तो यहां तक है कि संस्थान के नाकामियों को यदि किसी ने उजागर करने का प्रयास भी किया तो उसका मुंह को बंद करने के लिए यह संस्थान बंद लिफाफे का भी सहारा लेने से नहीं चूकता। संस्थान के खिलाफ उठने वाली आवाज को दवा दिया जाता है।

बतौर उदाहरण पिछले कई दिनों से धरने पर बैठे मासूम छात्रों के आवाज को ही देखा जा सकता है। इनकी आवाज को उजागर करने के लिए वह बयानवीर नेता और मीडिया के वह लोग भी खामोशी की चादर ताने हुए हैं। सड़क की पटरियों पर भीड़ भरी दुर्गम राहों पर धूल फांकते हुए होमगार्ड एवं 24 घंटे की अनवरत ड्यूटी बजाने वाले सिपाही के 20 रुपया वसूली को राष्ट्रीय मुद्दे की खबर बनाने पर तुल जाते हैं।

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