हाथरस केस को नवाजुद्दीन सिद्दीक़ी ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण, कहा "जाति के कारण गांव के लोग मेरे परिवार को अच्छी नजर से नहीं देखते"

मेरी दादी छोटी जाति से ताल्लुक रखती थीं, जबकि मेरा परिवार शेख था। इस वजह से अभी भी गांव के लोग मेरे परिवार को अच्छी नजर से नहीं देखते

Update: 2020-10-09 13:23 GMT

जनज्वार। बॉलीवुड के अभिनेता  ने समाज में फैले जातिवाद को तोड़ने की अपील की है। उत्तर प्रदेश के रहने वाली सिद्दीक ने कहा कि हमारे समाज में जातिगत भेदभाव की जड़ें बहुत गहरी हैं। सिद्दीकी ने एनडीटीवी के साथ हुई बातचीत में हाथरस गैंगरेप मामले को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि यह अच्छा है कि लोग अपनी आवाज उठा रहे हैं।  साथ ही अपनी आपबीती बताते हुए उनका कहना था कि उनकी दादी की जाति के कारण अभी भी उनके गांव में कुछ लोगों द्वारा उनके परिवार को स्वीकार नहीं किया गया है। 

उनका कहना था कि  मेरी दादी छोटी जाति से ताल्लुक रखती थीं, जबकि मेरा परिवार शेख था।  इस वजह से अभी भी गांव के लोग मेरे परिवार को अच्छी नजर से नहीं देखते हैं। शहरी संस्कृति में भले ही जातियां गौण हो रही हों लेकिन ग्रामीण भारत में अभी भी जातियों का वर्चस्व हावी है। एक ही समुदाय में छोटी-बड़ी जातियों के बीच भेदभाव जारी है।

उन्होंने कहा कि उन लोगों के ये फर्क नहीं पड़ता कि आप बॉलीवुड एक्टर हैं या धनपति? उन्हें जातियों से मतलब है। आज भी हम चाहें कि जो हमारे ममेरे रिश्तेदार हैं, उनकी शादी पैतृक रिश्तेदारों में कराऊं तो ये संभव नहीं है।  सिद्दीकी का कहना था कि  सोशल मीडिया का प्रभाव गांव के लोगों पर उतना नहीं है जितना शहरों में है। उन्होंने हाथरस मामले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि लोगों को इसके खिलाफ आवाज उठानी ही चाहिए।

मालूम हो कि 14 सितंबर को हाथरस जिले के एक गांव में एक दलित लड़की के साथ कथित रूप से गैंगरेप हुआ था। उसके बाद उसकी जीभ काट दी गयी और पीठ की हड्डी तोड़ दी गई। घटना के बाद लड़की को पहले अलीगढ के मेडिकल काॅलेज में और फिर स्थिति अधिक खराब होने पर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। 28 सितंबर को लड़की को सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया था और 29 सितंबर की सुबह उसकी मौत हो गई।

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