UP : सिद्धार्थनगर में धान उपज क्रय केंद्रों पर दलालों का वर्चस्व, पीपुल्स एलायंस ने शुरू किया 'किसान अधिकार अभियान'

क्रय केंद्रों पर बिचौलियों का कब्जा है, जो किसानों से औने पौने दाम में 900 रुपये से लेकर 1200 रुपये तक धान की उपज लेकर क्रयकेन्द्रों पर सरकारी रेट 1888 रुपये में बेच रहा है। ऐसे में किसानों के खेती के लागत भी नहीं निकल पा रही है...

Update: 2020-11-03 12:05 GMT

सिद्धार्थनगर, जनज्वार। पीपुल्स एलाइंस ने सिद्धार्थनगर के किसानों के धान के उपज क्रय केंद्रों पर नहीं बिक पाने को लेकर 'किसान अधिकार अभियान' शुरू कर दिया है। जनपद में 92 क्रय केंद्र बनाए गए हैं, जोकि सुचारू रूप से नहीं चल पा रहा है।

किसान क्रय केंद्रों पर उपज नहीं बेच पा रहा है, क्रय केंद्रों पर किसानों को उपज में नमीं और कई कारण बताकर लौटा दिया जा रहा है। जिसकी वजह से किसान अपना उपज बिचौलियों को औने पौने दाम पर बेच दे रहा है। कई जगह किसानों ने 900 रुपये क्विंटल धान बेचा है, जोकि सरकारी दाम का आधा भी नहीं है। किसानों ने बताया कि खेती में खाटा खाकर उपज मजबूरी में बेच रहे हैं।

डुमरियागंज तहसील के देवरिया गाँव के 52 वर्षी किसान राम सुंदर ने बताया कि क्रय केंद्रों पर उपज नहीं ली जा रही है, जिसकी वजह से आढ़तियों के हाथों 1200 रुपये क्विंटल धान बेचना पड़ा। उन्होंने कहा कि क्रय केंद्रों पर कॉमिशन चलता, बिचौलियों की ही केंद्रों पर चलती है। किसान डायरेक्ट क्रय केंद्रों पर अपनी उपज बेच नहीं पा रहा है। इस बार धान की पैदावारी भी कम रही, एक बीघा खेत में 5 क्विंटल तक ही धान हुआ है और एक बीघे में पांच हजार से ज्यादा लागत लग जाती है। किसान पूरी तरह से घाटे में है।

70 वर्षीय बुजुर्ग किसान असगर अली कहते हैं कि क्षेत्र का कोई भी किसान क्रय केंद्रों पर उपज नहीं बेच पाता है। बिचौलिया और जिसकी क्रयकेन्द्रों पर पकड़ होती है, वही अपना उपज बेच पाता है।

कुर्तिडीहा के 23 वर्षी युवा किसान आसिफ 23 कहते हैं कि मजबूरी में 1200 रुपये क्विंटल धान बेच रहा हूं। अभी और धान बेचना है अगर सरकारी रेट में बिक जाता है तो खेती का लागत भी मिल जाएगी। ऐसे में 1200 रुपये में घाटा खाकर उपज को बेचा गया है।

पीपुल्स एलाइंस के शाहरुख अहमद के मुताबिक, किसानों के साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। क्रय केंद्र नाममात्र के लिए है। क्रयकेन्द्रों पर किसान अपना उपज बेच नहीं पा रहा है। क्रय केंद्रों पर बिचौलियों का कब्जा है, जो किसानों से औने पौने दाम में 900 रुपये से लेकर 1200 रुपये तक धान का उपज लेकर क्रयकेन्द्रों पर सरकारी रेट 1888 रुपये में बेच रहा है। ऐसे में किसानों के खेती के लागत भी नहीं निकल पा रही है।


शा​​हरुख अहमद आगे कहते हैं, प्रशासन को क्रयकेन्द्रों को सुचारू रूप से चलाना चाहिए और वहां पर किसानों की उपज ली जानी चाहिए। सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे फसल न बिकने को लेकर कानून बनाए हैं, जिससे बिचौलियों, दलालों और घूसखोरों पर अंकुश लगाया जा सके। वहीं सरकार ने तीन काले कानून जो किसानों के लिए बनाया हैं वो किसानों के लिए बहुत भयावह हैं। सरकार को तीनों काले कानून किसानों के हित में वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान अधिकार अभियान किसानों की आवाज़ बनेगा और इस कालाबाज़ारी को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा।

वही पीपुल्स एलायंस के जिला संयोजक अज़ीमुश्शान फ़ारूक़ी कहते हैं, जिला सिद्धार्थ नगर में 92 क्रयकेन्द्र है, लेकिन यहाँ का किसान अपने गल्ले को औने पौने दाम में बेचने पर मजबूर है। किसान धान की फसल क्रय केंद्रों पर नहीं बेच पा रहा है। बिचौलिया किसान से 900 से 1200 क्विंटल धान को खरीद रहा है। उसके बाद बिचौलिया क्रय केंद्र पर जाकर किसानों का धान बेचकर लाभ उठाता है और किसान घाटे में रहता। सरकार किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।

पीपुल्स एलाइंस ने किसान अधिकार अभियान के तहत कई गाँव के किसानों से बातचीत की। इनमें रामायण चौधरी, अब्दुल वहाब, अख्तर, राम सुंदर, फैजुल्लाह, राम निवास, मुख्तार अहमद, विनोद कुमार चौधरी, असगर अली, मीना देवी, हबीबा खातून, सुभावती, मो. हई मोहम्मद अली, समीउल्लाह, आसिफ, सिद्धू समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।

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