मोदी सरकार की नजर में असली किसान अडानी-अंबानी, जो कांट्रैक्ट पर करायेंगे खेती

वक्ताओं ने कहा कि किसान दिल्ली बार्डर पर 25 दिनों से सपरिवार जमे हैं और कृषि कानूनों की वापसी को लेकर शांतिपूर्ण धरना दे रहे हैं। भयानक ठंड में वे अपनी जानें दे रहे हैं, लेकिन सरकार की नजर में वे असली किसान नहीं हैं या फिर गुमराह हैं

Update: 2020-12-20 14:59 GMT

लखनऊ। भाकपा (माले) और अखिल भारतीय किसान महासभा ने 3 कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन में शहीद हो चुके लगभग तीन दर्जन किसानों की स्मृति में पूरे उत्तर प्रदेश में श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया।

इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि किसान दिल्ली बार्डर पर 25 दिनों से सपरिवार जमे हैं और कृषि कानूनों की वापसी को लेकर शांतिपूर्ण धरना दे रहे हैं। भयानक ठंड में वे अपनी जानें दे रहे हैं, लेकिन सरकार की नजर में वे असली किसान नहीं हैं या फिर गुमराह हैं। मोदी सरकार की नजर में असली किसान अडानी-अंबानी हैं, जो कांट्रैक्ट (ठेके पर) खेती करेंगे और जिनके फायदे के लिए सरकार नए कृषि कानून लायी है।

नेताओं ने कहा कि आंदोलन में शहीद किसानों की कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी। किसान जब उठेगा, तो सिंहासन का हिलना तय है। सरकार आंदोलन को चाहे जितना भी बदनाम करे, वह किसानों के मनोबल को नहीं तोड़ पाएगी। सरकार को इन काले कानूनों को वापस लेना होगा।


पार्टी राज्य सचिव सुधाकर यादव, अखिल भारतीय खेत मजदूर सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीराम चौधरी, माले की राज्य स्थायी समिति (स्टैंडिंग कमेटी) के सदस्य लाल साहब व राज्य समिति सदस्य कामरेड मिठाई लाल ने शहीद किसानों को वाराणसी में श्रद्धांजलि दी।

किसान महासभा के प्रदेश सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा ने गाजीपुर में श्रद्धांजलि दी। चंदौली, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गोरखपुर, देवरिया, प्रयागराज, रायबरेली, जौनपुर, लखीमपुर खीरी, जालौन, मथुरा, मुरादाबाद सहित तमाम जिलों में शहीद किसानों की स्मृति सभा आयोजित की गई। कुछ जिलों में पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गई।

श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के देशव्यापी आह्वान पर किया गया।

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